CLASS 10 SANSKRIT PAPER 2023
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टूर्नामेंट नियम और नियम
नियम:
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- टूर्नामेंट में आपके पास पूर्वनिर्धारित संख्या में प्रयास होंगे।
- उच्चतम स्कोर प्राप्त करने वाले प्रतिभागी विजेता होंगे।
- किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी की स्थिति में आपको टूर्नामेंट से अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा।
नियम:
- टूर्नामेंट में कुल 2 प्रश्न होंगे।
- प्रत्येक सही उत्तर के लिए आपको 1 अंक मिलेगा।
- कोई नकारात्मक अंकन नहीं होगा।
- टूर्नामेंट समाप्त होने के बाद, परिणामों की घोषणा की जाएगी।
- विजेताओं को पुरस्कार वितरण समारोह में आमंत्रित किया जाएगा।
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एतत् भारतम्..............सदा पूजनीयम् । रिक्त स्थान को उचित पद से भरें ।
माम्
अहम्
अस्माभिः
मयि
2
वाक्य का अर्थ है 'यह भारत हमारे द्वारा सदा पूजनीय है'। यहाँ कर्मवाच्य/भाववाच्य का भाव है, इसलिए कर्ता में तृतीया विभक्ति (अस्माभिः) का प्रयोग होगा।
'प्राचीनकाले शिष्यः...............इति कथ्यते स्म ।' रिक्त स्थान की पूर्ति उचित विकल्प से करें ।
छात्रः
अन्तेवासी
ब्रह्मचारी
विद्यार्थी
2
'भारतीय संस्काराः' पाठ के अनुसार, प्राचीन काल में शिष्यों को ब्रह्मचारी कहा जाता था।
भारतीय जीवन दर्शनस्य महत्त्वपूर्णमुपादानं.............इति । रिक्त स्थान को उचित पद से भरें ।
संस्कारः
संस्कृतिः
कर्मकांडः
महोत्सवः
0
भारतीय जीवन दर्शन का सबसे महत्त्वपूर्ण उपादान संस्कार है।
जटाजिनधराः ऋषयः...............अवगाहन्ते । रिक्त स्थान को उचित विकल्प से भरें ।
पद्माम्
मन्दाकिनीम्
यमुनाम्
कोसीम्
1
'मन्दाकिनी वर्णनम्' पाठ के श्लोक के अनुसार, जटा और मृगचर्म धारण करने वाले ऋषि मन्दाकिनी नदी में स्नान करते हैं।
स्वामी दयानन्द ने हिंदी और संस्कृत दोनों भाषाओं में किसकी रचना की ?
सत्यार्थप्रकाश
वेदभाष्य
उपनिषद्
बालरामायण
1
स्वामी दयानन्द ने वेदभाष्य की रचना संस्कृत और हिंदी दोनों भाषाओं में की। (नोट: सत्यार्थप्रकाश उनकी प्रमुख हिंदी रचना है)।
'कनीयसी' पद का अर्थ है
बड़ी
छोटी
पत्नी
पुत्री
1
'कनीयसी' शब्द 'कनीयस्' का स्त्रीलिंग रूप है, जिसका अर्थ छोटी (younger/smaller) होता है।
प्राचीन समाजे अनेके दोषाः...................। रिक्त स्थान को उचित विकल्प से भरें ।
आसीत्
आस्ताम्
आसन्
आसम्
2
'दोषाः' बहुवचन है, इसलिए क्रिया भी लङ्लकार बहुवचन (आसन्) होगी।
'न्यायदर्शन' के प्रवर्तक कौन हैं ?
कपिल
पतंजलि
पाणिनि
गौतम
3
न्यायदर्शन के रचयिता महर्षि गौतम हैं। (कपिल-सांख्य, पतंजलि-योग)।
स्वार्थ किसको बढ़ाता है ?
मित्रता
शत्रुता
घृणा
क्रोध
1
'विश्वशांति' पाठ के अनुसार, स्वार्थ शत्रुता (वैर) को बढ़ाता है।
'भुजंगः' पद का अर्थ है
पक्षी
सर्पः
मिथः
अत्र
1
भुजंग का अर्थ साँप (सर्प) होता है।
'कर्ण' किसके पक्ष से युद्ध करता था ?
पाण्डव के पक्ष से
कौरव के पक्ष से
अपने पक्ष से
किसी के पक्ष से नहीं
1
महाभारत युद्ध में कर्ण ने कौरव (दुर्योधन) के पक्ष से युद्ध किया था।
'न दातव्यम् न दातव्यम्' कर्णस्य दानवीरता पाठ में यह किसकी उक्ति है ?
कर्ण
शक्र
शल्य
कृष्ण
2
जब कर्ण अपना कवच-कुंडल देने लगा, तो उसके सारथी और मद्रराज शल्य ने उसे रोकने के लिए कहा 'न दातव्यम्' (नहीं देना चाहिए)।
'सेवमानः' पद का प्रकृति-प्रत्यय क्या होगा ?
सेव् + शतृ
सेव् + शानच्
सेव् + क्तवतु
सेव् + क्त
1
'सेव्' आत्मनेपदी धातु है, इसलिए वर्तमान काल का अर्थ देने के लिए इसमें शानच् प्रत्यय (मानः) लगता है।
'सप्ताह + ठक्' से कौन-सा पद बनेगा ?
सप्ताहिकम्
सप्ताहे
साप्ताहिकः
सप्ताही
2
'ठक्' प्रत्यय लगने पर 'इक' जुड़ता है और प्रथम स्वर की वृद्धि हो जाती है। सप्ताह + ठक् = साप्ताहिकः।
'गम् + तुमुन्' से कौन-सा अव्यय निष्पन्न होगा ?
गमितुम्
गन्तुम्
गतम्
गच्छन्
1
गम् + तुमुन् = गन्तुम् (जाने के लिए)।
‘संख्यापूर्वी द्विगुः’ का उदाहरण निम्न में से कौन-सा है ?
सचिवालयः
गोलगृहम्
शताब्दी
पीताम्बरः
2
द्विगु समास में पहला पद संख्यावाची होता है। शताब्दी (सौ वर्षों का समूह) इसका सही उदाहरण है।
'अ + उ' के मेल से कौन-सा नया वर्ण बनेगा ?
ओ
व
य
औ
0
गुण संधि के नियम के अनुसार 'अ' और 'उ' मिलकर 'ओ' बनते हैं।
'तन्मध्ये' पद में कौन-सी संधि है ?
संयोग
विसर्ग
स्वर
व्यंजन
3
तत् + मध्ये = तन्मध्ये। यहाँ व्यंजन का परिवर्तन हुआ है, इसलिए व्यंजन संधि है।
'बालकः सिंहात् बिभेति।' वाक्य के 'सिंहात्' पद में पंचमी विभक्ति किस सूत्र से हुई है ?
भीत्रार्थानां भयहेतुः
आख्यातोपयोगे
भुवः प्रभवः
पराजेरसोढः
0
जिससे डरा जाए, उस कारक में अपादान संज्ञा (पंचमी) होती है। सूत्र: भीत्रार्थानां भयहेतुः।
किस कारक में तृतीया विभक्ति होती है ?
अपादान
सम्प्रदान
अधिकरण
करण
3
क्रिया के साधन (करण कारक) में तृतीया विभक्ति होती है (करणे तृतीया)।
किस पद में 'अनीयर्' प्रत्यय है ?
गन्तव्यम्
गमनीयम्
गतवान्
गतम्
1
गम् + अनीयर् = गमनीयम्। (गन्तव्यम् में तव्यत्, गतवान् में क्तवतु है)।
'महत्त्वम्' में कौन-सा तद्धित प्रत्यय है ?
त्व
तल्
त्रल्
मतुप्
0
महत् + त्व = महत्त्वम्।
'कृत्वा' अव्यय में कौन-सा प्रत्यय है ?
तुमुन्
क्त
क्त्वा
क्तवतु
2
कृ + क्त्वा = कृत्वा (करके)।
जन्मपूर्व संस्कार क्यों किया जाता है ?
गर्भ रक्षा लिए
गर्भस्थ में संस्कारारोपण हेतु
गर्भवती की प्रसन्नता के लिए
इनमें से सभी के लिए
3
भारतीय संस्कारों में जन्मपूर्व संस्कारों का उद्देश्य गर्भ की रक्षा, शिशु में संस्कार डालना और गर्भवती की प्रसन्नता, ये सभी हैं।
शैशव संस्कार कितने हैं ?
पाँच
छः
सात
चार
1
शैशव (बचपन) के कुल छः (6) संस्कार होते हैं: जातकर्म, नामकरण, निष्क्रमण, अन्नप्राशन, चूड़ाकर्म, कर्णभेद।
'पाणिग्रहण' कर्मकांड किस संस्कार में होता है ?
जातकर्म
विवाह
अन्नप्राशन
उपनयन
1
पाणिग्रहण (हाथ थामना) विवाह संस्कार का मुख्य कर्मकांड है।
'अष्टाध्यायी' ग्रंथ के रचनाकार हैं
इन्द्र
यास्क
पाणिनि
गौतम
2
संस्कृत व्याकरण के प्रसिद्ध ग्रंथ 'अष्टाध्यायी' की रचना महर्षि पाणिनि ने की है।
'कृषिविज्ञान' के प्रवर्तक आचार्य कौन हैं ?
वराहमिहिर
आर्यभट्ट
चरक
पराशर
3
कृषि विज्ञान (कृषि-पराशर) के रचयिता महर्षि पराशर हैं।
आज मानवता के विनाश का भय किससे है ?
विश्वविध्वंसक अस्त्रों से
विश्व-प्रेम से
असहयोग से
आपसी मित्रता से
0
आधुनिक समय में विश्वविध्वंसक अस्त्रों (परमाणु हथियार आदि) से मानवता के विनाश का खतरा है।
'उत्कर्षः' पद का विलोम है।
परमार्थः
अपकर्षः
विशेषः
मित्रता
1
उत्कर्ष (उन्नति) का विलोम अपकर्ष (अवनति) होता है।
भक्ताः पीताम्बरं नमन्ति । रेखांकित पद का सामासिक विग्रह निम्न में से कौन-सा है?
पीतम् अम्बरं यस्य सः
पीतम् अम्बरं यस्य तस्य
पीतम् अम्बरं यस्य तम्
पीतम् अम्बरम्
0
'पीताम्बर' यहाँ भगवान विष्णु/कृष्ण (व्यक्ति विशेष) के लिए प्रयुक्त हुआ है, इसलिए बहुव्रीहि समास होगा: पीतम् अम्बरं यस्य सः। (Note: वाक्य में 'पीताम्बरं' द्वितीया विभक्ति में है, लेकिन विग्रह प्रायः प्रथमा में 'सः' लगाकर दिखाया जाता है, या संदर्भानुसार 'तम्' भी हो सकता है। मानक उत्तर 'सः' वाला होता है)।
उपसर्गों की संख्या है
अट्ठारह
सात
बीस
बाईस
3
संस्कृत व्याकरण में कुल बाईस (22) उपसर्ग माने गए हैं (प्र, परा, अप, सम्, आदि)।
'संस्कृतम्' पद में कौन-सा उपसर्ग है ?
सु
सम्
संस्र्
सन्
1
संस्कृतम् = सम् + कृतम्।
क्रिया को सम्पन्न करने वाला क्या कहलाता है ?
कर्म
करण
कर्ता
सम्प्रदान
2
जो क्रिया करता है (स्वतन्त्रः कर्ता), उसे कर्ता कहते हैं।
किस सर्वनाम पद में षष्ठी विभक्ति है ?
अयम्
अनेन
अस्य
अस्मिन्
2
इदम् शब्द का षष्ठी एकवचन रूप अस्य होता है।
वेदाः............सन्ति । रिक्त स्थान की पूर्ति उचित विशेषण से करें ।
चतस्रः
चतुरः
चत्वारि
चत्वारः
3
वेद शब्द पुल्लिंग है, इसलिए चार (4) का पुल्लिंग रूप चत्वारः प्रयोग होगा।
'अस्' धातु का विधिलिङ् लकार का रूप निम्न में से कौन-सा है ?
आसीत्
भविष्यति
अस्तु
स्यात्
3
अस् धातु का विधिलिङ् प्रथम पुरुष एकवचन रूप स्यात् होता है।
'स्मरति' किस धातु का रूप है ?
स्मर्
स्मार्र्
स्मृ
स्मै
2
स्मरति का मूल धातु स्मृ (स्मरण करना) है।
'गजः मन्दं-मन्दं चलति' वाक्य के 'मन्दं मन्दं' पद में द्वितीया विभक्ति किस सूत्र से हुई है ?
कर्मणि द्वितीया
क्रिया विशेषणे द्वितीया
अभिनिविशश्च
कालाध्वनोरत्यन्त संयोगे द्वितीया
1
यहाँ 'मन्दं-मन्दं' (धीरे-धीरे) चलने की क्रिया की विशेषता बता रहा है। क्रियाविशेषण में द्वितीया होती है: क्रिया विशेषणे द्वितीया।
“येनांगविकारः” इस सूत्र का उदाहरण निम्न में से कौन-सा है ?
सः पुस्तकेन छात्रः ज्ञायते
त्वं कलमेन लिखसि
रामः अक्ष्णा काणः अस्ति
मया पत्रं लिख्यते
2
जिस अंग में विकार हो, उसमें तृतीया होती है। रामः अक्ष्णा काणः अस्ति (राम आँख से काना है) इसका सही उदाहरण है।
'पठनम्' में कौन-सा प्रत्यय है ?
शतृ
शानच्
ल्युट्
क्त
2
पठ् + ल्युट् = पठनम्। (ल्युट् प्रत्यय से 'अन' जुड़ता है और शब्द नपुंसकलिंग बनता है)।
'तरप्' प्रत्यय किस पद में है ?
लघुतरः
लघुतम्ः
लघिष्ठः
लघ्वी
0
तरप् प्रत्यय में 'तर' शेष रहता है। लघु + तरप् = लघुतरः।
वीरेश्वर कैसा मंत्री था ?
दयालु
ईमानदार
क्रूर
दुष्ट
0
'अलसकथा' पाठ के अनुसार, वीरेश्वर मिथिला का दयालु और दानशील मंत्री था।
अलसशाला में आग क्यों लगाई गई ?
असली आलसियों को चिह्नित करने के लिए
आलसियों को भगाने के लिए
आलसियों को जगाने के लिए
अलसशाला का खर्च कम करने के लिए
0
धूर्तों की पहचान करने और असली आलसियों को चिह्नित करने के लिए अलसशाला में आग लगाई गई।
संस्कृत साहित्य कैसा है ?
अल्प
विपुल
अर्थहीन
अत्यल्प
1
संस्कृत साहित्य लेखिका पाठ की पहली पंक्ति: "संस्कृत साहित्यं विपुलम् अस्ति" (संस्कृत साहित्य विशाल है)।
'वरदाम्बिका परिणय' किसकी रचना है ?
गंगादेवी
क्षमाराव
पुष्पादीक्षित
तिरुमलाम्बा
3
तिरुमलाम्बा ने 'वरदाम्बिका परिणय' नामक चम्पू काव्य की रचना की थी।
'अहो अमीषां किमकारि.............स्पृहा हि नः ।' पद्य किस पुराण से संकलित है ?
विष्णु पुराण
भागवत पुराण
नारद पुराण
कूर्म पुराण
1
'भारत महिमा' पाठ का यह दूसरा श्लोक भागवत पुराण से लिया गया है।
भारतीय धरा कैसी है ?
अशोभना
विशाला
अशोभनीया
मलीना
1
श्लोक: "विशाला अस्मदीया धरा भारतीया"। भारतीय धरा विशाला (विशाल) है।
'मनोहर + टाप्' से कौन-सा पद बनेगा ?
मनोहायी
मनोहरा
मनोहरी
मनोहरः
1
'टाप्' स्त्री-प्रत्यय है जो अकारान्त शब्दों को आकारान्त (स्त्रीलिंग) बनाता है। मनोहर + टाप् = मनोहरा।
'दृश्' धातु के लृट् लकार का रूप निम्न में से कौन-सा है ?
पश्यतु
अपश्यत्
द्रक्ष्यति
पश्यति
2
दृश् धातु का लृट् लकार (भविष्य काल) रूप द्रक्ष्यति चलता है। (पश्यति लट् लकार है)।
उच्चारण प्रक्रिया का ज्ञान किस शास्त्र से होता है ?
शिक्षा
कल्प
छन्द
निरुक्त
0
'शिक्षा' वेदांग उच्चारण प्रक्रिया का ज्ञान कराता है।
वेद किस प्रकार का शास्त्र है ?
कृतक
नित्य
नित्य और कृतक दोनों
इनमें से कोई नहीं
1
भारतीय परंपरा में वेद को अपौरुषेय और नित्य शास्त्र माना गया है।
‘नमस्ते’ में कौन-सी संधि है ?
स्वर संधि
व्यंजन संधि
विसर्ग संधि
अयादि संधि
2
नमः + ते = नमस्ते। यहाँ विसर्ग का 'स्' हुआ है, अतः विसर्ग संधि है।
‘इत्यादिः’ में किन-किन वर्णों की सन्धि हुई है ?
य + आ
इ + आ
आ + इ
अ + इ
1
इति + आदिः = इत्यादिः। यहाँ 'इ' और 'आ' की संधि हुई है (यण संधि)।
'परोपकारः' का विग्रह क्या होगा ?
परस्य उपकारः
परम् उपकारः
परो उपकारः
परेषु उपकारः
0
परोपकारः = परस्य उपकारः (दूसरों का उपकार)। यह षष्ठी तत्पुरुष समास है।
'प्रारभत' पद में कौन-सा उपसर्ग है ?
प्र
प्रति
परा
प्रा
0
प्र + आरभत = प्रारभत। उपसर्ग प्र है।
'पंचानां वटानां समाहारः' का समस्त पद क्या होगा ?
पंचवट
पंचवटम्
पंचवटी
पंचवटे
2
पाँच वटों का समूह = पंचवटी (द्विगु समास)।
पटना नगर की पालिका देवी कौन हैं ?
शीतला देवा
दुर्गा देवी
पटन देवी
माँ काली
2
पाटलिपुत्र वैभवम् पाठ के अनुसार, पटना की रक्षक देवी पटन देवी हैं।
गोविन्दसिंहः सिखसम्प्रदायस्य...............गुरुः आसीत् । रिक्त स्थान को उचित पद से भरें:
दशमः
प्रथमः
अष्टमः
पंचमः
0
गुरु गोविंद सिंह सिख संप्रदाय के दसवें (दशमः) गुरु थे।
मेगास्थनीज कहाँ का राजदूत था ?
यूनान
चीन
श्रीलंका
जापान
0
मेगास्थनीज यूनान (Greece) का राजदूत था जो चंद्रगुप्त मौर्य के दरबार में आया था।
'पक्ष्यति' पद में कौन-सी धातु है?
पक्ष्
प्रच्छ
पच्
पाच्
2
'पच्' (पकाना) धातु का लृट् लकार (भविष्यत काल) रूप 'पक्ष्यति' बनता है।
'नदी' शब्द का तृतीया विभक्ति एकवचन में रूप क्या होगा?
नद्यै
नदीम्
नद्या
नद्याः
2
नदी शब्द का तृतीया एकवचन रूप 'नद्या' होता है।
'नीतिश्लोकाः' पाठ के आधार पर उत्तम शान्ति क्या है?
विद्या
धर्म
क्षमा
अहिंसा
2
विदुर नीति के अनुसार, 'क्षमा' उत्तम शांति है ("क्षमा एको वशीकृतिर्लोके...")।
आचारः .................... हन्ति। रिक्त स्थान को उचित पद से भरें-
कीर्ति
क्रोधम्
अनर्थं
अलक्षणं
3
श्लोक: "आचारो हन्ति अलक्षणम्"। सदाचार कुलक्षणों (बुरे लक्षणों) को नष्ट करता है।
'उद्योगिनं पुरुषसिंहमुपैति लक्ष्मीः' उक्ति किस पाठ से ली गई है?
कर्मवीर कथा
स्वामी दयानन्दः
पाटलिपुत्र वैभवम्
अलसकथा
0
यह पंक्ति 'कर्मवीर कथा' पाठ से है, जिसका अर्थ है कि लक्ष्मी मेहनती (उद्योगी) पुरुष के पास आती है।
रामप्रवेश राम किसको जीवन की परम गति मानकर अध्ययन में जुट गया?
शिक्षा कर्म
धर्म कर्म
अहिंसा
सत्कर्म
0
रामप्रवेश राम ने 'शिक्षा कर्म' को ही जीवन की परम गति माना और निरंतर अध्ययन में लग गए।
'सत्यार्थ प्रकाश' नामक ग्रंथ के रचयिता कौन थे?
स्वामी विवेकानन्द
स्वामी श्रद्धानन्द
स्वामी दयानन्द
रामकृष्ण परमहंस
2
स्वामी दयानन्द सरस्वती ने 'सत्यार्थ प्रकाश' की रचना की थी।
'मन्दाकिनी वर्णनम्' पाठ वाल्मीकि रामायण के अयोध्याकांड के किस सर्ग से संकलित है?
95
75
85
57
0
यह पाठ अयोध्याकाण्ड के 95वें सर्ग से लिया गया है।
'कथं मारात्मके त्वयि विश्वासः?' किसकी उक्ति है?
पथिक
बाघ
लेखक
नारायण पंडित
0
व्याघ्रपथिक कथा में पथिक ने बूढ़े बाघ से पूछा था - "तुम्हारे जैसे हिंसक जीव पर कैसे विश्वास करूँ?"
‘त्वयि’ युष्मद् शब्द के किस विभक्ति का रूप है?
तृतीया
चतुर्थी
सप्तमी
द्वितीया
2
'त्वयि' युष्मद् शब्द का सप्तमी विभक्ति एकवचन रूप है।
'ऐ + अ' के मेल से कौन-सा नया वर्ण बनेगा?
आव
आय
अव
अय
1
अयादि संधि के नियम (एचोऽयवायावः) के अनुसार, 'ऐ' के बाद स्वर आने पर 'आय्' हो जाता है। 'ऐ' + 'अ' = 'आय'।
'उपनगरम्' का सामासिक विग्रह क्या होगा?
नगरस्य समीपम्
नगरं समीपम्
नगरात् समीपम्
उपस्य नगरम्
0
अव्ययीभाव समास में 'उप' का अर्थ 'समीप' होता है। विग्रह: नगरस्य समीपम्।
कर्मकारक में कौन-सी विभक्ति होती है?
सप्तमी
तृतीया
चतुर्थी
द्वितीया
3
सूत्र 'कर्मणि द्वितीया' के अनुसार कर्म कारक में द्वितीया विभक्ति होती है।
'साधु' शब्द का तृतीया विभक्ति, एकवचन का रूप निम्न में से कौन-सा है?
साधवे
साधोः
साधुना
साधुम्
2
साधु शब्द (उकारान्त पुलिंग) का तृतीया एकवचन 'साधुना' होता है।
'राघवः' पद में कौन-सा तद्धित प्रत्यय है?
तल्
मतुप्
अण्
ठक्
2
रघु + अण् (अपत्यार्थ में) = राघवः।
'शिव + छाया' की सन्धि क्या होगी?
शिवश्छाया
शिवोछाया
शिवच्छाया
शिविच्छाया
2
'छे च' सूत्र से ह्रस्व स्वर के बाद 'छ' आने पर बीच में 'च्' का आगम होता है। शिव + छाया = शिवच्छाया।
'विद्यैका' पद का संधि-विच्छेद क्या होगा?
विद्या + ऐका
विद्या + एका
विद्य + एका
विदे + का
1
वृद्धि संधि: आ + ए = ऐ। विद्या + एका = विद्यैका।
'गतिरिति' में कौन-सी संधि है?
स्वर
व्यंजन
विसर्ग
यण्
2
गतिः + इति = गतिरिति। विसर्ग का 'र्' हो गया है, अतः विसर्ग संधि है।
किस समास का उभयपद प्रधान होता है?
अव्ययीभाव
तत्पुरुष
द्वन्द्व
बहुव्रीहि
2
द्वन्द्व समास में दोनों पद (पूर्व और उत्तर) प्रधान होते हैं।
'कर्मवीरः' का सामासिक विग्रह क्या होगा?
कर्मणे वीरः
र्मणः वीरः
कर्मणि वीरः
कर्मणा वीरः
2
कर्म में वीर = कर्मणि वीरः (सप्तमी तत्पुरुष)।
'यथा नद्यः स्यन्दमानाः.........पुरुषमुपैति दिव्यम् ।' पद्यांश किस उपनिषद् का है?
कठोपनिषद्
ईशावास्योपनिषद्
मुण्डकोपनिषद्
श्वेताश्वतरोपनिषद्
2
'मंगलम्' पाठ का यह श्लोक मुण्डकोपनिषद् से लिया गया है।
'अत्येति' पद का अर्थ है
पार कर जाता है
सुना जाता है
देखा जाता है
कार्य किया जाता है
0
अति + एति = अत्येति, जिसका अर्थ है 'पार कर जाना' या 'मृत्यु को पार कर जाना' (संदर्भ: मृत्युम् अत्येति)।
'अद्यावधिः' का संधि-विच्छेद क्या होगा?
अद्या + वधिः
अद्य + अवधिः
अद्य + आवधिः
अदि + अवधिः
1
दीर्घ संधि: अद्य + अवधिः = अद्यावधिः (आज तक)।
‘अत्युत्कृष्टा’ में कौन-सा उपसर्ग है?
अपि
अधि
अप
अति
3
अति + उत्कृष्टा = अत्युत्कृष्टा। यहाँ 'अति' उपसर्ग है।
'सचिवालयः' पद में कौन-सा समास है?
तत्पुरुष
कर्मधारय
बहुव्रीहि
द्वन्द्व
0
सचिवानाम् आलयः (सचिवों का घर) = सचिवालयः। यह षष्ठी तत्पुरुष समास है।
निर्धारण के अर्थ में कौन-सी विभक्ति होती है?
पंचमी
तृतीया
चतुर्थी
सप्तमी
3
सूत्र 'यतश्च निर्धारणम्' से समुदाय में से किसी को अलग करने (निर्धारण) में षष्ठी और सप्तमी विभक्ति होती है। विकल्प में सप्तमी है।
'नाना' अव्यय के योग में कौन-सी विभक्ति होती है?
तृतीया
चतुर्थी
सप्तमी
प्रथमा
0
'पृथग्विनानानाभिस्तृतीयान्यतरस्याम्' सूत्र के अनुसार नाना के योग में द्वितीया, तृतीया और पंचमी विभक्ति होती है। विकल्प में तृतीया है।
'मातरि' किस शब्द का रूप है?
माता
मातृ
मात्रा
मातर्
1
'मातरि' मूल शब्द 'मातृ' (माता) का सप्तमी एकवचन रूप है।
'पिब' किस धातु का रूप है?
पिब
पी
पा
पत्
2
मूल धातु 'पा' (पीना) है, जिसका रूप 'पिबति, पिबतः...' चलता है।
'भवती' में कौन-सा स्त्री प्रत्यय है?
ङीष्
ङीप्
ङीन्
ती
1
भवत् + ङीप् = भवती। (उगितश्च सूत्र से ङीप् प्रत्यय लगता है)।
'गतम्' में कौन-सा प्रत्यय है?
तुमुन्
क्तवतु
ल्युट्
क्त
3
गम् + क्त = गतम् (भूतकालिक कृदंत)।
ल्यप् प्रत्ययान्त अव्यय निम्न में से कौन-सा है?
उपस्थितः
कृत्वा
उपगम्य
सेवमानः
2
उप + गम् + ल्यप् = उपगम्य। (ल्यप् प्रत्यय उपसर्ग के साथ लगता है और 'य' शेष रहता है)।
'राजन्' शब्द का स्त्रीलिंग रूप निम्न में से कौन-सा है?
रानी
राजकुमारी
राज्ञी
राजपत्नी
2
राजन् का संस्कृत स्त्रीलिंग रूप 'राज्ञी' होता है।
‘नर्तकी’ में कौन-सा स्त्री प्रत्यय है?
ङीष्
ङीप्
ङीन्
ति
0
नर्तक + ङीष् = नर्तकी। ('षिद्गौरादिभ्यश्च' सूत्र से ङीष् होता है)।
'जनता' पद किस तद्धित प्रत्यय से बना है?
तल्
तसिल्
ठक्
ठञ्
0
जन + तल् = जनता। (तल् प्रत्यय भाववाचक संज्ञा बनाता है, रूप 'ता' में बदलता है)।
वीराः.............. भवन्ति। रिक्त स्थान की पूर्ति उचित विशेषण से करें।
धैर्यवान्
धैर्यवन्तः
धैर्यमान्
धैर्यवती
1
'वीराः' बहुवचन है, इसलिए विशेषण भी बहुवचन 'धैर्यवन्तः' होगा।
मध्यकाले पाटलिपुत्रं वर्षसहस्रपरिमितं जीर्णतामन्वभूत्। रेखांकित पद का प्रश्ननिर्माण निम्न में कौन-सा है?
कुत्र
कदा
कीदृशी
किम्
2
जीर्णताम् (कैसी अवस्था) के लिए प्रश्नवाचक 'कीदृशीम्' या 'कीदृशी' उपयुक्त होता है।
'ग्रामोऽयं महानगरं भविष्यति किन्तु कलहस्य अग्निदाहस्य जलपूरस्य च भयात् सर्वदाक्रान्तं भविष्यति।' यह किनकी उक्ति है?
भगवान् बुद्ध
भगवान् महावीर
चन्द्रगुप्त
समुद्रगुप्त
0
यह भविष्यवाणी भगवान बुद्ध ने पाटलिग्राम (पटना) के बारे में की थी।
धूर्ताः कृत्रिमालस्यं दर्शयित्वा भोजनं प्राप्नुवन्ति। रेखांकित पद का प्रश्ननिर्माण क्या होगा?
कम्
किम्
कुत्र
के
1
भोजनम् (द्वितीया एकवचन) के स्थान पर प्रश्नवाचक 'किम्' (क्या) आएगा।
आधुनिक काल की संस्कृत लेखिकाओं में अधिक प्रसिद्ध कौन हैं?
पण्डिता क्षमाराव
पुष्पा दीक्षित
वनमाला भवालकर
मिथिलेश कुमारी मिश्र
0
आधुनिक काल की संस्कृत लेखिकाओं में 'पण्डिता क्षमाराव' (1890-1953) का नाम अत्यंत प्रसिद्ध है।
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✓ \u0938\u0924\u094D\u092F\u093E\u092A\u093F\u0924
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