CLASS 12 12 BUSINESS STUDIES PAPER 2025 (SET I) 217
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टूर्नामेंट नियम और नियम
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- एक बार उत्तर चुनने के बाद, आप इसे बदल नहीं सकते।
- टूर्नामेंट में आपके पास पूर्वनिर्धारित संख्या में प्रयास होंगे।
- उच्चतम स्कोर प्राप्त करने वाले प्रतिभागी विजेता होंगे।
- किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी की स्थिति में आपको टूर्नामेंट से अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा।
नियम:
- टूर्नामेंट में कुल 2 प्रश्न होंगे।
- प्रत्येक सही उत्तर के लिए आपको 1 अंक मिलेगा।
- कोई नकारात्मक अंकन नहीं होगा।
- टूर्नामेंट समाप्त होने के बाद, परिणामों की घोषणा की जाएगी।
- विजेताओं को पुरस्कार वितरण समारोह में आमंत्रित किया जाएगा।
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तरलता का निर्माण करता है
संगठित बाजार
असंगठित बाजार
प्राथमिक बाजार
गौण बाजार
3
गौण बाजार (Secondary Market) या स्टॉक एक्सचेंज मौजूदा प्रतिभूतियों की खरीद-फरोख्त की सुविधा देकर तरलता (Liquidity) का निर्माण करता है।
नवीन निर्गमित अंशों में व्यवहार करता है
गौण बाजार
प्राथमिक बाजार
(A) और (B) दोनों
इनमें से कोई नहीं
1
प्राथमिक बाजार (Primary Market) वह बाजार है जहाँ नई प्रतिभूतियाँ (New Issues) पहली बार जारी की जाती हैं।
वैधानिक रूप से सेबी की स्थापना हुई थी
1988 में
1990 में
1992 में
1994 में
2
सेबी (SEBI) की स्थापना 1988 में हुई थी, लेकिन इसे वैधानिक दर्जा (Statutory Status) सेबी अधिनियम, 1992 के तहत 30 जनवरी 1992 को प्राप्त हुआ।
भारत में स्कंध विपणियों का भविष्य है
उज्ज्वल
अंधेरे में
सामान्य
कोई भविष्य नहीं
0
भारत एक बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है, इसलिए यहाँ स्कंध विपणियों (Stock Exchanges) का भविष्य उज्ज्वल (Bright) है।
‘प्रिंसिपल्स ऑफ मार्केटिंग’ पुस्तक के लेखक कौन हैं ?
फिलिप कोटलर
प्रो० विलियम जे. स्टैण्टन
रिचार्ड ब्रिसकिक
प्रो० जे. पी. वर्मा
0
फिलिप कोटलर (Philip Kotler) को विपणन का पितामह कहा जाता है और उन्होंने 'Principles of Marketing' पुस्तक लिखी है।
विपणन अवधारणा है
उत्पादोन्मुखी
विक्रयोन्मुखी
ग्राहकोन्मुखी
इनमें से सभी
3
विपणन अवधारणा (Marketing Concept) में उत्पादन, बिक्री और ग्राहक संतुष्टि सभी पहलू शामिल होते हैं, लेकिन आधुनिक विपणन मुख्य रूप से ग्राहकोन्मुखी है। व्यापक अर्थ में 'इनमें से सभी' सही है।
विपणन पर व्यय किया गया धन है
बर्बादी
आवश्यक व्यय
ग्राहकों पर भार
विनियोजन
3
विपणन पर किया गया खर्च भविष्य में लाभ देता है, इसलिए इसे विनियोजन (Investment) माना जाता है।
विपणन व्यय भार है
उद्योग पर
व्यवसायियों पर
उपभोक्ताओं पर
इनमें से सभी
2
अंततः, विपणन का खर्च उत्पाद की कीमत में जुड़ जाता है, जिसका भार उपभोक्ताओं (Consumers) को उठाना पड़ता है।
व्यवसाय के लिये विपणन है
अनिवार्य
आवश्यक
अनावश्यक
विलासिता
0
आज के प्रतिस्पर्धी दौर में व्यवसाय के अस्तित्व और विकास के लिए विपणन अनिवार्य (Compulsory) है।
विक्रय प्रवर्तन का सबसे महँगा साधन है
विज्ञापन
व्यक्तिगत विक्रय
विक्रय संवर्धन
जन सम्पर्क
1
व्यक्तिगत विक्रय (Personal Selling) में प्रति व्यक्ति संपर्क लागत सबसे अधिक होती है, इसलिए यह सबसे महँगा साधन है।
पर्यवेक्षक कर्मचारियों का है
मित्र
मार्गदर्शक
दार्शनिक
इनमें से सभी
3
पर्यवेक्षक कर्मचारियों के लिए मित्र, दार्शनिक और मार्गदर्शक (Guide) तीनों की भूमिका निभाता है।
.......... निर्देशन कर्मचारियों से सम्बन्धित है।
उच्च स्तर
मध्यम स्तर
निम्न स्तर
इनमें से सभी
3
निर्देशन (Direction) प्रबंधन के सभी स्तरों (उच्च, मध्यम, निम्न) पर आवश्यक है और सभी स्तरों के कर्मचारियों से संबंधित है।
पर्यवेक्षण है
आवश्यक
अनावश्यक
समय की बर्बादी
इनमें से कोई नहीं
0
कर्मचारियों के कार्य की निगरानी और मार्गदर्शन के लिए पर्यवेक्षण (Supervision) आवश्यक (Necessary) है।
निर्देशन की प्रबन्ध के किस स्तर पर आवश्यकता होती है ?
उच्च
मध्यम
निम्न
इनमें से सभी
3
निर्देशन एक सर्वव्यापी कार्य है और प्रबंधन के सभी स्तरों पर इसकी आवश्यकता होती है।
निर्देशन का तत्व है
पर्यवेक्षण
अभिप्रेरण
नेतृत्व
इनमें से सभी
3
निर्देशन के चार मुख्य तत्व हैं: पर्यवेक्षण, अभिप्रेरण, नेतृत्व और सम्प्रेषण।
निर्देशन प्रबन्ध का ........... पहलू नहीं है।
व्यावहारिक
सैद्धान्तिक
अन्तर-व्यक्तिगत
सकारात्मक
1
निर्देशन प्रबंधन का व्यावहारिक (Practical) पहलू है, न कि केवल सैद्धान्तिक।
निर्देशन है
अनिवार्य
आवश्यक
अनावश्यक
समय की बर्बादी
0
संगठन के लक्ष्यों को प्राप्त करने और कार्यों को निष्पादित करने के लिए निर्देशन अनिवार्य (Compulsory) है। (Note: Sometimes 'Necessary' is also considered correct depending on context, but Compulsory is stronger).
नेता अधीनस्थों से काम लेता है
चातुर्य से
डण्डे से
धमकाकर
इनमें से कोई नहीं
0
एक अच्छा नेता अपने अधीनस्थों को प्रभावित करके और चातुर्य (Tact) से काम लेता है, न कि डरा-धमका कर।
समतल सन्देशवाहन में सुझाव का प्रवाह होता है
ऊपर की ओर
नीचे की ओर
समतल स्तर पर
इनमें से सभी
2
समतल (Horizontal) संदेशवाहन में सूचना का प्रवाह समान स्तर के अधिकारियों या कर्मचारियों के बीच (समतल स्तर पर) होता है।
प्रबन्धकीय नियंत्रण किया जाता है
निम्न स्तरीय प्रबन्धकों द्वारा
मध्यम स्तरीय प्रबन्धकों द्वारा
उच्चतम स्तरीय प्रबन्धकों द्वारा
सभी स्तरीय प्रबन्धकों द्वारा
3
नियंत्रण एक सर्वव्यापी कार्य है और यह प्रबंधन के सभी स्तरों (उच्च, मध्यम, निम्न) पर किया जाता है।
प्रबन्ध कला है
स्वयं काम करने की
दूसरों से काम लेने की
(A) और (B) दोनों
इनमें से कोई नहीं
2
प्रबंध स्वयं काम करने और दूसरों से काम कराने की कला है।
प्रबन्ध की प्रकृति है
जन्मजात प्रतिभा के रूप में
अर्जित प्रतिभा के रूप में
(A) और (B) दोनों
इनमें से कोई नहीं
2
प्रबंधकीय योग्यता कुछ हद तक जन्मजात होती है और इसे शिक्षण-प्रशिक्षण द्वारा अर्जित भी किया जा सकता है।
‘‘प्रबन्ध व्यक्तियों का विकास है, न कि वस्तुओं का निर्देशन।’’ यह कथन है
लॉरेंस ए. एप्पले का
आर. सी. डेविस का
कीथ एवं गुबेलिन का
जॉर्ज आर. टेरी का
0
यह प्रसिद्ध कथन लॉरेंस ए. एप्पले (Lawrence A. Appley) का है।
किसी भी देश के विकास में सबसे अधिक आवश्यकता है
भौतिक संसाधन की
आर्थिक संसाधन की
कुशल प्रबन्ध की
इनमें से कोई नहीं
2
कुशल प्रबंधन (Efficient Management) संसाधनों के सर्वोत्तम उपयोग को सुनिश्चित करता है, जो विकास के लिए सबसे महत्वपूर्ण है।
प्रबन्ध एक नाजुक उत्तरदायित्व है, क्योंकि इसमें सम्मिलित है
मुद्रा
मशीन
मनुष्य
सामग्री
2
प्रबंध मनुष्यों (People) से संबंधित है और मानवीय व्यवहार जटिल होता है, इसलिए यह एक नाजुक उत्तरदायित्व है।
प्रबन्ध का कर्मचारियों को सर्वाधिक प्रेरणा देने वाला कार्य है
नियुक्तिकरण
अभिप्रेरण
संगठन
इनमें से कोई नहीं
1
अभिप्रेरण (Motivation) वह कार्य है जो कर्मचारियों को कार्य करने के लिए प्रोत्साहित और प्रेरित करता है।
प्रबन्ध के कितने स्तर हैं ?
4
3
2
1
1
प्रबंध के तीन स्तर होते हैं: उच्च स्तर (Top), मध्यम स्तर (Middle), और निम्न स्तर (Lower/Supervisory).
समन्वय स्थापित किया जाता है
समूहों के मध्य
विभागों के मध्य
प्रबन्ध एवं कर्मचारियों के मध्य
इनमें से सभी
3
समन्वय (Coordination) संस्था के सभी अंगों, समूहों, विभागों और व्यक्तियों के बीच आवश्यक होता है।
समन्वय है
ऐच्छिक
आवश्यक
अनावश्यक
समय की बर्बादी
1
प्रबंध में समन्वय आवश्यक (Necessary) है क्योंकि यह संगठन के लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए विभिन्न क्रियाओं में तालमेल बिठाता है।
जार्ज आर. टेरी के अनुसार प्रबन्ध के कार्य हैं
2
4
6
इनमें से कोई नहीं
1
जार्ज आर. टेरी ने प्रबंध के 4 मुख्य कार्य बताए हैं: नियोजन, संगठन, उत्प्रेरण (Actuating), और नियंत्रण।
विकास की विधियाँ हैं
पद हेरफेर
अल्पकालीन पाठ्यक्रम
कार्य पर विकास
इनमें से सभी
3
विकास (Development) की विधियों में जॉब रोटेशन (पद हेरफेर), अल्पकालीन कोर्स और कार्य पर विकास आदि सभी शामिल हैं।
प्रशिक्षण की विधियाँ हैं
कार्य बदली प्रशिक्षण
कार्य पर प्रशिक्षण
प्रशिक्षुता प्रशिक्षण
इनमें से सभी
3
ये सभी (Job rotation, On-the-job training, Apprenticeship) प्रशिक्षण की विधियाँ हैं।
नियुक्तिकरण है
नियोजन करना
नियंत्रण करना
निर्देशित करना
व्यक्तियों को कार्य पर लगाना
3
नियुक्तिकरण (Staffing) का अर्थ है संगठन में रिक्त पदों को भरने के लिए व्यक्तियों को कार्य पर लगाना।
अधिकारियों का चयन होता है
निम्न श्रेणी के अधिकारियों का
मध्यम श्रेणी के अधिकारियों का
उच्चतम श्रेणी के अधिकारियों का
इनमें से सभी
3
चयन (Selection) प्रक्रिया सभी स्तरों (निम्न, मध्यम, उच्च) के अधिकारियों के लिए की जाती है।
विकास का उद्देश्य है
पदोन्नति के अवसर
श्रेष्ठ निष्पादन
कौशल में वृद्धि
इनमें से सभी
3
कर्मचारी विकास का उद्देश्य उनके कौशल बढ़ाना, प्रदर्शन सुधारना और भविष्य की पदोन्नति के लिए तैयार करना है।
प्रबन्धक होता है
बॉस
स्वामी
नेता
इनमें से कोई नहीं
2
आधुनिक अवधारणा में प्रबंधक एक नेता (Leader) होता है जो अपनी टीम का मार्गदर्शन और नेतृत्व करता है।
नेता के पास सत्ता होती है
अनौपचारिक
औपचारिक
निजी
सरकारी
1
संगठन में प्रबंधक (नेता) के पास अपने पद के कारण औपचारिक (Formal) सत्ता होती है।
अंगूरीबेल सन्देशवाहन होता है
अनौपचारिक
औपचारिक
लिखित
इनमें से कोई नहीं
0
अंगूरीलता (Grapevine) संचार अनौपचारिक (Informal) संचार का एक रूप है।
निर्देशन के प्रमुख तत्व हैं
2
3
4
6
2
निर्देशन के 4 प्रमुख तत्व हैं: पर्यवेक्षण, अभिप्रेरण, नेतृत्व और संचार।
पर्यवेक्षण प्रबन्ध का स्तर है
उच्च
मध्यम
निम्न
इनमें से सभी
2
पर्यवेक्षण (Supervision) मुख्य रूप से निम्न (Lower) या प्रथम पंक्ति के प्रबंधन का कार्य है।
प्रबन्ध का सिद्धान्त है
गतिशील
लोचशील
सार्वभौमिक
इनमें से सभी
3
प्रबंध के सिद्धांत गतिशील, लोचशील (Flexible) और सार्वभौमिक (Universal) होते हैं।
वैज्ञानिक प्रबन्ध कब प्रारम्भ हुआ ?
1913
1832
1903
1923
0
एफ.डब्ल्यू. टेलर द्वारा वैज्ञानिक प्रबंधन के सिद्धांतों का प्रतिपादन मुख्य रूप से 1913 (जब उनकी पुस्तक प्रकाशित हुई) के आसपास माना जाता है। (हालांकि प्रयोग पहले शुरू हुए थे, पर 1913 मानक उत्तर माना जाता है)।
भारत में उदारीकरण की नीति रही है
सफल
असफल
पूर्णतः असफल
इनमें से कोई नहीं
0
1991 के बाद से भारत में उदारीकरण की नीति सफल (Successful) रही है और इससे आर्थिक विकास हुआ है।
सामाजिक वातावरण का निम्नलिखित में से कौन-सा उदाहरण है ?
अर्थव्यवस्था में मुद्रा की आपूर्ति
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम
देश का संविधान
परिवार की संरचना
3
परिवार की संरचना सामाजिक वातावरण (Social Environment) का हिस्सा है। बाकी आर्थिक या वैधानिक वातावरण हैं।
व्यवसाय के आर्थिक वातावरण को प्रभावित करते हैं
आर्थिक नीति
आर्थिक प्रणाली
आर्थिक विकास
इनमें से सभी
3
आर्थिक नीति, प्रणाली और विकास का स्तर सभी आर्थिक वातावरण (Economic Environment) के घटक हैं।
नियोजन है
लक्ष्य अभिमुखी
उद्देश्य अभिमुखी
मानसिक प्रक्रिया
इनमें से सभी
3
नियोजन (Planning) लक्ष्य-उन्मुख, उद्देश्य-उन्मुख और एक मानसिक प्रक्रिया है।
निम्नलिखित में से कौन-सी नियोजन की सीमा नहीं है ?
संकीर्णता
समय की बर्बादी
नियंत्रण का आधार
अत्यधिक लागत
2
'नियंत्रण का आधार' नियोजन का महत्व/लाभ है, न कि सीमा। बाकी सभी सीमाएँ हैं।
नियोजन है
आवश्यक
अनावश्यक
समय की बर्बादी
धन की बर्बादी
0
किसी भी कार्य को सुचारू रूप से करने और लक्ष्यों को पाने के लिए नियोजन आवश्यक (Necessary) है।
बजट का अर्थ है
निष्पादन का नियोजित लक्ष्य
भविष्य के कार्यकलाप का प्रयोग
व्यवस्थित कार्यवाही
आशान्वित परिणाम का अंकों में विवरण
3
बजट अपेक्षित परिणामों का संख्यात्मक (अंको में) विवरण है।
नियोजन प्रबंध का चरण है
प्रथम
मध्यम
अंतिम
वैकल्पिक
0
नियोजन (Planning) प्रबंधन प्रक्रिया का सबसे पहला (Primary/First) चरण है।
व्यावसायिक उपक्रम में नियंत्रण की आवश्यकता होती है
व्यवसाय की स्थापना के समय
व्यवसाय के संचालन के समय
वर्ष के अन्त में
निरन्तर
3
नियंत्रण एक सतत प्रक्रिया है जिसकी आवश्यकता निरंतर (Continuously) होती है।
नियन्त्रण प्रबन्ध का कार्य है
प्रथम
द्वितीय
तृतीय
अन्तिम
3
नियंत्रण (Controlling) प्रबंधन प्रक्रिया का अंतिम (Last) कार्य है (नियोजन, संगठन, नियुक्तिकरण, निर्देशन के बाद)।
प्रभावी नियन्त्रण है
स्थिर
पूर्व निर्धारित
गत्यात्मक
इनमें से सभी
2
प्रभावी नियंत्रण गत्यात्मक (Dynamic) होता है, जो बदलती परिस्थितियों के अनुसार समायोजित होता है।
नियंत्रण प्रबन्धकीय कार्य है
अनिवार्य
आवश्यक
ऐच्छिक
इनमें से कोई नहीं
0
नियंत्रण संगठन के सुचारू संचालन के लिए अनिवार्य (Compulsory) है।
एक प्रभावी नियन्त्रण तन्त्र सहायक होता है
संगठनात्मक लक्ष्यों की प्राप्ति में
कर्मचारियों की मनोदशा के संवर्धन में
मानकों की यथार्थता के निर्णय में
इनमें से सभी
3
प्रभावी नियंत्रण इन सभी कार्यों (लक्ष्य प्राप्ति, मनोबल, मानकों की जांच) में सहायता करता है।
स्थायी पूँजी का स्रोत नहीं है
ऋणपत्रों का निर्गमन
अंशों का निर्गमन
ऋणदाता
भारतीय औद्योगिक वित्त निगम से ऋण
2
ऋणदाता (Creditors) आम तौर पर अल्पकालिक वित्त (Short term finance) का स्रोत होते हैं, न कि स्थायी या दीर्घकालिक पूँजी का। बाकी सब दीर्घकालिक स्रोत हैं।
वित्तीय प्रबंध की आधुनिक विचारधारा है
कोषों को प्राप्त करना
कोषों का उपयोग करना
(A) और (B) दोनों
इनमें से कोई नहीं
2
आधुनिक वित्तीय प्रबंधन में कोषों की प्राप्ति (Procurement) और उनका प्रभावी उपयोग (Utilization) दोनों शामिल हैं।
वित्तीय प्रबंध का मुख्य कार्य है
वित्तीय नियोजन
कोषों को प्राप्त करना
शुद्ध लाभ का आवंटन
इनमें से सभी
3
वित्तीय प्रबंधन के कार्यों में वित्तीय नियोजन, कोषों का अधिग्रहण और लाभ का आवंटन (लाभांश निर्णय) सभी शामिल हैं।
वित्तीय प्रबंधक निर्णय लेता है
वित्तीय
विनियोग
लाभांश
इनमें से सभी
3
वित्तीय प्रबंधक के तीन मुख्य निर्णय होते हैं: वित्तीयन (Financing), विनियोग (Investment), और लाभांश (Dividend)।
वित्तीय प्रबंध है
कला
विज्ञान
कला एवं विज्ञान दोनों
इनमें से कोई नहीं
2
वित्तीय प्रबंध कला (व्यावहारिक ज्ञान) और विज्ञान (सिद्धांतों पर आधारित) दोनों है।
वित्तीय प्रबंधन की परम्परागत विचारधारा को त्याग दिया गया था
1910-20 में
1920-30 में
1930-40 में
1940-50 में
2
1930-40 के दशक में (विशेषकर 1930 की मंदी के बाद) वित्तीय प्रबंधन की परंपरागत विचारधारा को त्यागकर आधुनिक दृष्टिकोण अपनाया गया।
सुदृढ़ वित्तीय नियोजन की विशेषता है
सरलता
तरलता
मितव्ययिता
इनमें से सभी
3
एक अच्छे वित्तीय नियोजन में सरलता, तरलता, मितव्ययिता और लोचशीलता जैसे गुण होने चाहिए।
कार्यशील पूँजी का निर्धारक है
संस्था का आकार
निर्माण प्रक्रिया की अवधि
कच्चे माल की उपलब्धता
इनमें से सभी
3
कार्यशील पूँजी की आवश्यकता इन सभी कारकों (आकार, उत्पादन चक्र, कच्चे माल की उपलब्धता) पर निर्भर करती है।
स्थाई पूँजी की आवश्यकता होती है
दैनिक व्ययों का भुगतान करने के लिए
भूमि खरीदने के लिए
स्टॉक खरीदने के लिए
लेनदारों का भुगतान करने के लिए
1
स्थायी पूँजी (Fixed Capital) का उपयोग दीर्घकालिक संपत्तियों जैसे भूमि, भवन, मशीनरी आदि खरीदने के लिए किया जाता है।
बोनस निर्णय का निर्धारक है
लाभों की मात्रा
कोषों में तरलता
कम्पनी की आयु
इनमें से सभी
3
बोनस देने का निर्णय लाभ, तरलता और कंपनी की स्थिति (आयु) सभी पर निर्भर करता है।
भारत में मुद्रा बाजार का नियन्त्रण कौन करता है ?
वित्त विभाग
रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया
वित्तीय संस्थायें
सेबी
1
भारत में मुद्रा बाजार (Money Market) का नियामक भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) है, जबकि पूँजी बाजार का नियामक सेबी (SEBI) है।
मुद्रा बाजार की मुख्य समस्या कौन-सी है ?
पूँजी की कमी
हुण्डी
बाजार की कमी
इनमें से कोई नहीं
0
भारतीय मुद्रा बाजार की एक प्रमुख समस्या पूँजी की कमी (Lack of Capital) है।
मुद्रा बाजार व्यवहार करता है
अल्पकालीन कोष
मध्यकालीन कोष
दीर्घकालीन कोष
इनमें से कोई नहीं
0
मुद्रा बाजार (Money Market) अल्पकालीन कोषों (Short-term funds) में व्यवहार करता है।
वर्तमान में भारत में स्कंध विपणियों की संख्या है
21
23
24
इनमें से कोई नहीं
1
पाठ्यपुस्तकों के अनुसार भारत में मान्यता प्राप्त स्कंध विपणियों (Stock Exchanges) की संख्या 23 है। (Note: Actual functional exchanges might differ, but 23 is the standard textbook answer).
पूँजी बाजार व्यवहार करता है
अल्पकालीन कोष
मध्यकालीन कोष
दीर्घकालीन कोष
इनमें से कोई नहीं
2
पूँजी बाजार (Capital Market) दीर्घकालीन कोषों (Long-term funds) में व्यवहार करता है।
विपणन प्रबन्ध अवधारणा का जन्म स्थान है
इंग्लैण्ड
अमेरिका
फ्रांस
जापान
1
विपणन प्रबंधन (Marketing Management) की अवधारणा का जन्म अमेरिका (USA) में हुआ।
भारत में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम प्रभावी है
1986 से
1987 से
1988 से
इनमें से कोई नहीं
0
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 में पारित हुआ था और तभी से प्रभावी माना जाता है (हालाँकि कुछ प्रावधान 1987 में लागू हुए, लेकिन 1986 मानक उत्तर है)।
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत शिकायतकर्ता से आशय है
उपभोक्ता
राज्य सरकार
केन्द्रीय सरकार
इनमें से सभी
3
अधिनियम के तहत उपभोक्ता, राज्य सरकार, केंद्र सरकार या कोई मान्यता प्राप्त उपभोक्ता संघ शिकायत दर्ज कर सकता है।
जिला मंच विवादों का निपटारा कर सकता है
5 लाख तक
10 लाख तक
15 लाख तक
1 करोड़ तक
3
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के तहत जिला आयोग (District Forum) अब 1 करोड़ रुपये तक के मामलों की सुनवाई कर सकता है। (पुराने 1986 अधिनियम में यह सीमा 20 लाख थी)।
भारत में कार्यरत गैर-सरकारी संगठन है
वॉइस
कॉमन कॉज
(A) और (B) दोनों
इनमें से कोई नहीं
2
VOICE (Voluntary Organization in Interest of Consumer Education) और Common Cause दोनों भारत में सक्रिय उपभोक्ता संगठन (NGO) हैं।
उपभोक्ता विवादों के निपटारे की अवस्था तन्त्र है
एक-स्तरीय
त्रि-स्तरीय
द्वि-स्तरीय
इनमें से कोई नहीं
1
भारत में उपभोक्ता विवाद निवारण तंत्र त्रि-स्तरीय (Three-tier) है: जिला आयोग, राज्य आयोग और राष्ट्रीय आयोग।
भारत में उद्यमिता विकास कार्यक्रम रहा है
सफल
असफल
सुधार की आवश्यकता
इनमें से कोई नहीं
2
हालांकि भारत में उद्यमिता विकास कार्यक्रम (EDP) चलाए गए हैं, लेकिन उनकी पूर्ण सफलता संदिग्ध है और उनमें अभी भी बहुत 'सुधार की आवश्यकता' (Need of improvement) मानी जाती है।
उद्यमिता विकास कार्यक्रम के प्रति भारत के सरकारी तन्त्र का दृष्टिकोण है
विनाशात्मक
नकारात्मक
रचनात्मक
असहयोगात्मक
3
आलोचकों के अनुसार, भारत में सरकारी तंत्र का दृष्टिकोण अक्सर असहयोगात्मक (Non-cooperative) या नौकरशाही बाधाओं से भरा रहा है।
भारतीय उद्यमिता विकास संस्थान की स्थापना की गयी थी
महाराष्ट्र सरकार द्वारा
गुजरात सरकार द्वारा
मध्य प्रदेश सरकार द्वारा
तमिलनाडु सरकार द्वारा
1
भारतीय उद्यमिता विकास संस्थान (EDI) की स्थापना 1983 में अहमदाबाद में गुजरात सरकार और वित्तीय संस्थानों के सहयोग से की गई थी।
भारतीय उद्यमिता विकास संस्थान स्थित है
अहमदाबाद में
मुम्बई में
नई दिल्ली में
चेन्नई में
0
EDI (Entrepreneurship Development Institute of India) अहमदाबाद, गुजरात में स्थित है।
कूण्ट्स एवं ओ’डोनेल के अनुसार प्रबन्ध के मुख्य .......... कार्य हैं।
5
4
3
इनमें से कोई नहीं
0
कूण्ट्स और ओ'डोनेल के अनुसार प्रबंध के 5 मुख्य कार्य हैं: नियोजन, संगठन, नियुक्तिकरण, निर्देशन और नियंत्रण।
समन्वय स्थापित किया जाता है
उच्चतम स्तरीय प्रबन्ध द्वारा
मध्यम स्तरीय प्रबन्ध द्वारा
निम्न स्तरीय प्रबन्ध द्वारा
इनमें से कोई नहीं
0
यद्यपि समन्वय सभी स्तरों पर आवश्यक है, लेकिन संगठन में समग्र समन्वय स्थापित करने की मुख्य जिम्मेदारी उच्चतम स्तरीय प्रबंधन (Top Level Management) की होती है।
प्रबन्ध की सामाजिक उत्तरदायित्व की प्रकृति में लागू होता है
‘क्रेता की सावधानी’ का नियम
‘विक्रेता की सावधानी’ का नियम
(A) और (B) दोनों
इनमें से कोई नहीं
1
सामाजिक उत्तरदायित्व के तहत विक्रेता (प्रबंधक/व्यवसायी) जिम्मेदार होता है, इसलिए 'विक्रेता की सावधानी' (Seller beware) का नियम लागू होता है, न कि क्रेता की सावधानी (Buyer beware) का।
वैज्ञानिक प्रबन्ध में उत्पादन होता है
अधिकतम
न्यूनतम
सामान्य
इनमें से कोई नहीं
0
वैज्ञानिक प्रबंधन का उद्देश्य कार्यकुशलता बढ़ाकर उत्पादन को अधिकतम (Maximum) करना है।
एक कार्य के निष्पादन के लिये प्रबन्ध का ‘सर्वोत्तम रास्ता’ ढूँढ़ना चाहिए। वैज्ञानिक प्रबन्ध का कौन-सा सिद्धान्त इस पंक्ति की व्याख्या करता है ?
सार्वभौमिक
लचीले
सम्पूर्ण
व्यावहारिक
3
टेलर का यह सिद्धांत कि हर काम को करने का एक 'सर्वोत्तम तरीका' (One best way) होता है, वैज्ञानिक प्रबंधन की व्यावहारिक या वैज्ञानिक प्रकृति को दर्शाता है। (नोट: विकल्पों में 'विज्ञान न कि अंगूठा टेक' नहीं दिया है, तो संदर्भानुसार यह व्यावहारिक दृष्टिकोण है)।
वैज्ञानिक प्रबन्ध से श्रमिकों को
लाभ होता है
हानि होती है
कोई प्रभाव नहीं
इनमें से कोई नहीं
0
वैज्ञानिक प्रबंधन से कार्यक्षमता बढ़ती है और श्रमिकों की आय में वृद्धि होती है, इसलिए उन्हें लाभ (Benefit) होता है।
वैज्ञानिक प्रबन्ध से लाभों में होती है
वृद्धि
कमी
कोई प्रभाव नहीं
इनमें से कोई नहीं
0
वैज्ञानिक प्रबंधन से उत्पादकता बढ़ती है और लागत कम होती है, जिससे लाभों में वृद्धि (Increase) होती है।
वैज्ञानिक प्रबन्ध से श्रमिकों के कार्य के घण्टों में होती है
वृद्धि
कमी
कोई प्रभाव नहीं
इनमें से कोई नहीं
1
वैज्ञानिक प्रबंधन कार्य को व्यवस्थित करके अनावश्यक थकान को कम करता है, जिससे कार्य के घंटों में कमी (Decrease) संभव होती है या कम समय में अधिक कार्य होता है।
वैज्ञानिक प्रबन्ध से उपभोक्ताओं को
कोई प्रभाव नहीं होता है
शोषण होता है
लाभ होता है
हानि होती है
2
वैज्ञानिक प्रबंधन से उत्पादन लागत कम होती है और गुणवत्ता बढ़ती है, जिससे उपभोक्ताओं को सस्ती और अच्छी वस्तुएं मिलती हैं, अतः उन्हें लाभ होता है।
प्रशासनिक प्रबन्ध के प्रस्तुतकर्त्ता थे
फेयोल
टेलर
टेरी
इनमें से कोई नहीं
0
हेनरी फेयोल (Henry Fayol) को प्रशासनिक प्रबंधन (Administrative Management) का जनक माना जाता है।
‘‘नियोजन भविष्य को पकड़ने के लिए बनाया गया पिंजरा है।’’ यह कथन किसका है ?
न्यूमैन
हर्ले
ऐलन
टेरी
2
यह प्रसिद्ध कथन एलेन (Allen) का है।
.......... संगठन स्वतः निर्मित होता है।
कार्यात्मक
अनौपचारिक
औपचारिक
विभागीय
1
अनौपचारिक संगठन (Informal Organization) आपसी संबंधों और सामाजिक अंतःक्रियाओं से स्वतः (Automatically) उत्पन्न होता है।
.......... संगठन में पक्षपात नहीं होता है।
औपचारिक
अनौपचारिक
विभागीय
कार्यात्मक
0
औपचारिक संगठन (Formal Organization) नियमों और प्रक्रियाओं पर आधारित होता है, इसलिए इसमें व्यक्तिगत पक्षपात की संभावना कम होती है।
कर्मचारियों की स्वेच्छा पर निर्भर करता है
औपचारिक संगठन
कार्यात्मक संगठन
अनौपचारिक संगठन
विभागीय संगठन
2
अनौपचारिक संगठन (Informal Organization) कर्मचारियों की इच्छा और उनके सामाजिक संबंधों पर निर्भर करता है।
अनौपचारिक संगठन की दशा में अधिकार होते हैं
विकेन्द्रित
केन्द्रित
समान रूप से वितरित
इनमें से कोई नहीं
3
अनौपचारिक संगठन में अधिकार किसी पदानुक्रम या नियम से नहीं, बल्कि व्यक्तिगत प्रभाव से उत्पन्न होते हैं। इसलिए यह न तो पूरी तरह विकेंद्रित है और न ही केंद्रित। (अक्सर इसे विकेंद्रित माना जाता है क्योंकि सत्ता बिखरी होती है, लेकिन सही उत्तर 'इनमें से कोई नहीं' या संदर्भ पर निर्भर है। दिए गए विकल्पों में यह स्पष्ट परिभाषित नहीं है)। *Correction*: अनौपचारिक संगठन में सत्ता का प्रवाह किसी भी दिशा में हो सकता है और यह किसी एक जगह केंद्रित नहीं होती। आमतौर पर इसे विकेंद्रित या बिखरा हुआ माना जाता है, लेकिन औपचारिक अर्थ में नहीं। इसलिए D सही हो सकता है।
संगठन प्रक्रिया के कदम हैं
2
4
6
8
3
संगठन प्रक्रिया के आमतौर पर 6-8 कदम माने जाते हैं, लेकिन मानक पाठ्यपुस्तकों में 8 कदम (उद्देश्य, कार्यों की पहचान, समूहीकरण, कर्तव्य, अधिकार, संबंध आदि) का उल्लेख मिलता है। (कुछ स्रोतों में 4-6 भी हैं, लेकिन 8 सबसे विस्तृत है)। *Correction*: NCERT के अनुसार संगठन प्रक्रिया के 4 मुख्य चरण हैं: कार्य की पहचान, विभागीकरण, कर्तव्यों का निर्धारण, रिपोर्टिंग संबंध स्थापित करना। अगर यह NCERT आधारित है तो 4 सही होगा। लेकिन विकल्प में 8 भी है। बिहार बोर्ड के लिए अक्सर 8 सही माना जाता है।
संगठन के पदाधुक्रम में निचले स्तर पर शामिल है
उपाध्यक्ष
उत्पादन प्रबंधक
मुख्य परिचालन अधिकारी
फोरमैन और पर्यवेक्षक
3
फोरमैन और पर्यवेक्षक (Foreman and Supervisor) निम्न स्तरीय प्रबंधन (निचले स्तर) में आते हैं।
संगठन संरचना को आकार देती है
प्रतिनिधिमण्डल की सीमा
प्रबन्ध की अवधि
कर्मचारियों की संख्या
योजना
1
प्रबंध का विस्तार (Span of Management) या प्रबंध की अवधि संगठन संरचना (लंबा या चपटा) को निर्धारित करती है।
कर्मचारियों का प्रशिक्षण है
आवश्यक
अनावश्यक
अनिवार्य
धन की बर्बादी
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कर्मचारियों की दक्षता बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण आवश्यक (Necessary) है।
कर्मचारियों के विकास में सम्मिलित है
पदोन्नति
स्थानान्तरण
प्रशिक्षण
इनमें से सभी
3
कर्मचारी विकास (Development) एक व्यापक अवधारणा है जिसमें प्रशिक्षण, पदोन्नति और स्थानांतरण (नई भूमिकाओं के लिए) सभी शामिल हैं।
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/
\u0905\u0938\u092B\u0932 (FAIL)
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✓ \u0938\u0924\u094D\u092F\u093E\u092A\u093F\u0924
\u0917\u094D\u0930\u0947\u0921\u093F\u0902\u0917 \u092E\u093E\u0928\u0926\u0902\u0921
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