STET, BPSC, NET संगीत प्रश्न संग्रह अभ्यास सेट 07
(कुल 80 प्रश्न)
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दिन के द्वितीय प्रहर में गाए जाने वाले रागों को पहचानें—
जौनपुरी
आसावरी
भैरवी
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
3
द्वितीय प्रहर (दिन का दूसरा पहर, लगभग 9 बजे से 12 बजे तक) में आसावरी थाट
के राग जैसे जौनपुरी और आसावरी गाए जाते हैं।
किन जोड़ों में समान स्वर प्रयोग होते हैं?
भैरव – यमन
भूपाली – देशकार
पीलू – बिलावल
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
1
राग भूपाली और राग देशकार दोनों औडव-औडव (पाँच स्वर) जाति के राग हैं और
दोनों में शुद्ध 'रे', 'ग', 'ध' का प्रयोग होता है, 'म' और 'नि' वर्जित हैं।
‘वंदे मातरम्’ किस राग पर आधारित है?
देशकार
देश
देशी
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
1
भारत का राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम्’ मुख्यतः राग देश पर आधारित है।
उत्तर भारतीय संगीत में कुल कितने विकृत स्वर हैं?
5
3
2
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
0
उत्तर भारतीय संगीत (हिंदुस्तानी) में 7 शुद्ध स्वरों के अलावा 5 विकृत स्वर
होते हैं: 4 कोमल (रे, ग, ध, नि) और 1 तीव्र (म)।
निम्नलिखित में से कौन सा क्रम सही है?
नाद - श्रुति - स्वर
स्वर - श्रुति - नाद
नाद - स्वर - श्रुति
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
0
ध्वनि (नाद) से श्रुतियाँ उत्पन्न होती हैं, और 22 श्रुतियों में से कुछ
निश्चित श्रुतियों को चुनकर स्वर बनाए जाते हैं।
विष्णु दिगंबर स्वरलिपि पद्धति में तार सप्तक का चिन्ह होता है?
सां
सा'
सा''
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
1
विष्णु दिगंबर पलुस्कर पद्धति में तार सप्तक के स्वरों पर खड़ी रेखा (' )
लगाई जाती है।
प्रातःकालीन राग को पहचानें—
कल्याण
हमीरा
जौनपुरी
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
4
राग जौनपुरी को दिन के द्वितीय प्रहर (सुबह 9 बजे से 12 बजे) में गाया जाता
है, जो प्रातःकाल की श्रेणी में नही आता है। कल्याण और हमीरा रात्रि के राग
हैं।
इनमें से कौन तबले पर नहीं बजाया जाता है?
पेशकार
कायदा
तिहाई
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
4
पेशकार, कायदा और तिहाई तीनों ही तबला वादन के प्रमुख अंग और रचनाएँ हैं।
मसीतखानी गत की लय होती है—
द्रुत
विलंबित
अति-विलंबित
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
1
मसीतखानी गत सितार, सरोद आदि वाद्यों पर विलंबित (धीमी) लय में बजाई जाती है,
जिसमें विलंबित तीनताल का प्रयोग होता है।
वाद्य वर्गीकरण के आधार पर घुंघरू किस वर्ग में आता है?
शुषिर
घन
तत्
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
1
घुंघरू, करताल जैसे वाद्य घन वर्ग में आते हैं, जो धातुओं को आपस में टकराकर
ध्वनि उत्पन्न करते हैं।
कौन-सा स्वर-समूह तोड़ी-अंग दर्शाता है?
सा रे ग प ध सा
म रे प नि
रे_ ग_ रे_ सा
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
2
राग तोड़ी अंग के लिए 'कोमल रे, कोमल ग, तीव्र म, कोमल ध' की आवश्यकता होती
है।
राग में ‘अविर्भाव’ का अभिप्राय क्या है?
राग का स्वरूप छुपाना
राग की पुनःस्थापना/उद्भव
राग का गायन/वादन
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
1
अविर्भाव का अर्थ है 'पुनः प्रकट होना'। यह 'तिरोभाव' (दूसरे राग का आभास
देना) के बाद अपने मुख्य राग के स्वरूप को पुनः स्थापित करने की प्रक्रिया
है।
गंधर्व महाविद्यालय मण्डल की स्थापना किसने की?
भातखंडे
विनायक राव पटवर्धन
विष्णु दिगंबर पलुस्कर
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
2
गंधर्व महाविद्यालय मण्डल की स्थापना पंडित विष्णु दिगंबर पलुस्कर ने की थी।
भारतीय संगीत पद्धति में मूलभूत स्वर किसे कहते हैं?
षड्ज
मध्यम
पंचम
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
0
षड्ज (सा) को आधार स्वर या मूलभूत स्वर माना जाता है, जिससे अन्य सभी स्वरों
की उत्पत्ति होती है। यह अचल स्वर भी है।
राग आसावरी का वादी–संवादी स्वर—
म – सा
ध – ग
रे – प
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
1
राग आसावरी का वादी स्वर धैवत (ध) और संवादी स्वर गंधार (ग) होता है।
इनमें से कौन-सा बिहार का ध्रुपद घराना है?
ग्वालियर घराना
आगरा घराना
बेतिया घराना
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
2
बेतिया घराना (बिहार) भारत के सबसे पुराने और प्रमुख ध्रुपद घरानों में से एक
है।
राग यमन किस थाट से संबंधित है?
कल्याण
बिलावल
पूर्वी
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
0
राग यमन कल्याण थाट का आश्रय राग है, जिसमें केवल तीव्र मध्यम का प्रयोग होता
है।
गझम्पा ताल में कितनी तालियाँ होती हैं?
4
3
2
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
1
गझम्पा ताल 15 मात्राओं का ताल है, जिसमें 3 तालियाँ (1, 6, 11) और 2 खाली
(4, 9) होती हैं।
किस राग में ‘नि’ का केवल एक रूप प्रयुक्त होता है?
सोहनी
बहार
खमाज
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
0
राग सोहनी में केवल (नि) का प्रयोग होता है। राग बहार और खमाज में एक से अधिक
निषाद के रूप प्रयुक्त होते हैं।
द्वादश स्वर-मूर्च्छना का आविष्कार किसने किया?
भरत
नारद
मतंग
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
2
द्वादश स्वर-मूर्च्छना का उल्लेख मतंग मुनि ने अपने ग्रंथ 'वृहद्देशी' में
किया था।
औडव–संपूर्ण जाति वाले राग में स्वरों की संख्या (आरोह/अवरोह)?
7/7
5/6
5/7
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
2
औडव जाति में 5 स्वर होते हैं, जबकि सम्पूर्ण जाति में 7 स्वर होते हैं।
इसलिए आरोह/अवरोह में स्वरों की संख्या 5/7 होगी।
इनमें से कौन पूर्वांग-प्रधान राग है?
भोपाली
हिंडोल
भैरवी
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
3
पूर्वांग-प्रधान रागों में राग का वादी स्वर सप्तक के पूर्वांग (सा, रे, ग,
म) में होता है। भोपाली और हिंडोल दोनों ही पूर्वांग-प्रधान राग हैं।
राग जयजयवंती किस श्रेणी में आता है?
परमेल प्रवेशक
प्रातःकालीन संधिप्रकाश
सायंकालीन संधिप्रकाश
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
0
राग जयजयवंती परमेल प्रवेशक श्रेणी में आता है। इसे कुछ संगीत-मर्मज्ञ
संधिप्रकाश राग भी मानते हैं। परमेल प्रवेशक: इस राग को परमेल प्रवेशक कहा
जाता है क्योंकि इसमें कोमल गांधार का प्रयोग होता है, जो इसे खमाज थाट के
रागों से काफी थाट के रागों की ओर ले जाने (प्रवेश कराने) का आभास देता है।
इसमें दोनों गंधार (शुद्ध और कोमल) और दोनों निषाद (शुद्ध और कोमल) का प्रयोग
होता है।
तीनताल की 9वीं मात्रा पर क्या होता है?
ताली
दूसरी ताली
खाली
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
2
तीनताल 16 मात्रा का ताल है, जिसमें 1, 5 और 13 पर ताली तथा 9वीं मात्रा पर
खाली होती है।
किस संगीत की अधिकतर रचनाएं हिंदू देवी-देवताओं से संबंधित हैं?
हिंदुस्तानी संगीत
कर्नाटक संगीत
पाश्चात्य संगीत
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
1
कर्नाटक संगीत की रचनाएँ, विशेष रूप से त्यागराज, मुथुस्वामी दीक्षितार और
श्यामा शास्त्री जैसे संगीत त्रयी की कृतियाँ, मुख्यतः हिंदू देवी-देवताओं को
समर्पित हैं।
दक्षिण भारत का संगीत किससे अप्रभावित रहा है?
अरबी
इस्लामी
ईरानी
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
3
कर्नाटक संगीत पर अरबी, इस्लामी और ईरानी जैसी विदेशी संस्कृतियों का प्रभाव
नहीं पड़ा, जबकि हिंदुस्तानी संगीत पर इनका व्यापक प्रभाव रहा है।
किस संगीत में रागों और तालों को अधिक व्यवस्थित/समरूप पद्धति में विकसित
किया गया है?
उत्तर भारत
दक्षिण भारत
मध्य भारत
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
3
उत्तर एवं दक्षिण भारत में मेलकर्ता पद्धति और सप्त ताल पद्धति के माध्यम से
रागों और तालों को अत्यंत व्यवस्थित और समरूप पद्धति में विकसित किया गया है।
प्राचीन काल में जाति-गायन में कितने ग्राम होते थे?
4
2
3
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
2
प्राचीन काल में तीन ग्राम माने जाते थे: षड्ज ग्राम, मध्यम ग्राम और गांधार
ग्राम।
भरत कृत नाट्यशास्त्र के अनुसार दो ग्रामों से कितनी जातियाँ उत्पन्न हुईं?
7
18
25
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
1
भरत मुनि कृत नाट्यशास्त्र के अनुसार, दो प्रमुख ग्रामों (षडज ग्राम और मध्यम
ग्राम) से कुल 18 संगीत जातियों की उत्पत्ति होती है, जिनमें 7 शुद्ध और 11
विकृत जातियाँ शामिल हैं। षडज ग्राम से 4 शुद्ध और 3 विकृत, तथा मध्यम ग्राम
से 3 शुद्ध और 8 विकृत जातियाँ उत्पन्न होती हैं। इन 18 जातियों के नाम
निम्नलिखित हैं:
1. षडज ग्राम से उत्पन्न जातियाँ
शुद्ध जातियाँ (4):
षडजी आर्षभी गांधारी पंचमी
विकृत जातियाँ (3):
5. षडजकैशिकी 6. गांधारोदीच्यवा 7. रक्ता 2. मध्यम ग्राम से उत्पन्न जातियाँ
शुद्ध जातियाँ (3):
8. मध्यमा 9. धैवति 10. नैषादी
विकृत जातियाँ (8):
11. गांधारपंचमी 12. मध्यमोदीच्यवा 13. मध्यमकैशिकी 14. षडजमध्यमा 15. अंध्री
16. नंदयंती 17. कार्मरवी 18. कैशिकी ये जातियाँ प्राचीन भारतीय संगीत की
आधारशिला थीं, जिनसे बाद में रागों का विकास हुआ।
जातियों को किसके अंतर्गत बाँटा गया है?
जीव
शुद्ध
विकृत
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
3
भरत ने 18 जातियों को दो मुख्य भेदों में बाँटा है: शुद्ध जातियाँ (7) और
विकृत जातियाँ (11)।
शुद्ध जातियों में कितने स्वर प्रयुक्त होते हैं?
7
6
5
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
0
शुद्ध जातियों में सभी 7 स्वरों का प्रयोग किया जाता था (संपूर्ण जाति)।
प्राचीन काल में कौन-सा गायन अधिक प्रचलित था?
रागांग-गायन
राग-गायन
जाति-गायन
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
2
प्राचीन काल में रागों के विकास से पहले जाति-गायन अधिक प्रचलित था, जो
ग्रामों पर आधारित था।
प्राचीन काल में जाति के कुल कितने लक्षणों का वर्णन मिलता है?
13
10
16
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
1
जाति गायन के 10 लक्षण (दश लक्षण) बताए गए हैं, जिनमें ग्रह, अंश, न्यास,
अपन्यास, सन्यास, विदारी, बहुत्व, अल्पत्व, षाडवत्व, औडवत्व शामिल हैं।
निम्न में से कौन-सी दक्षिण भारत की ‘गायन जाति’ है?
चतुरस्त्र
त्रिस्त्र
खंड
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
3
चतुरस्त्र, त्रिस्त्र और खंड दक्षिण भारतीय संगीत में ताल की गतियों (जाति
भेद) के रूप हैं, जिनका प्रयोग गायन में किया जाता है। अतः ये सभी दक्षिण
भारतीय गायन से संबंधित हैं।
किस गायन को ‘गंधर्व’ की श्रेणी में रखा गया है?
कृति-गायन
राग-गायन
जाति-गायन
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
2
प्राचीन संगीत ग्रंथों में जाति-गायन को 'गंधर्व संगीत' या 'मार्ग संगीत' की
श्रेणी में रखा गया है, जो शास्त्रीय और शुद्ध माना जाता था।
‘जावली’ की तुलना उत्तर भारतीय संगीत के किस रूप से की जाती है?
ध्रुपद
दादरा
ठुमरी
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
2
जावली कर्नाटक संगीत का एक लघु, शृंगार रस प्रधान रूप है, जिसकी तुलना
हिंदुस्तानी संगीत की ठुमरी से की जाती है।
निम्न में से कौन-से लक्षण ‘स्त्री-प्रधान गायकी’ के माने जाते हैं?
रस-सृष्टि
स्तर-वैचित्र्य
सौंदर्यात्मक्ता
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
3
स्त्री-प्रधान गायकी (जैसे ठुमरी/जावली) में भाव, रस-सृष्टि और
सौंदर्यात्मकता पर विशेष बल दिया जाता है।
‘जावली’ का साहित्य किस रस का प्रधान होता है?
वीर रस
श्रृंगार रस
अद्भुत रस
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
1
जावली पूरी तरह से शृंगार रस (प्रेम) पर आधारित गीत होते हैं।
‘जावली’ गीत में कितनी मात्राओं वाली रूपक ताल का प्रयोग होता है?
6
14
10
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
0
कर्नाटक संगीत में रूपक ताल 6 मात्राओं का होता है (त्रिस्त्र रूपक), जबकि
हिंदुस्तानी रूपक 7 मात्राओं का होता है। जावली में कर्नाटक रूपक का प्रयोग
होता है।
‘जावली’ गीत में श्रृंगार-रस के किस रूप का प्रयोग होता है?
अद्भुत-श्रृंगार
वियोग-श्रृंगार
संयोग-श्रृंगार
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
3
जावली में शृंगार रस के दोनों रूपों (वियोग और संयोग) का प्रयोग पाया जाता
है, जो नायक-नायिका के प्रेम को दर्शाते हैं।
‘जावली’ किन रागों के साथ गाई जाती है?
खमाज
काफी
झिंझोटी
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
3
जावली आमतौर पर मधुर, हल्के और श्रोताओं को आनंदित करने वाले रागों (जैसे
खमाज, काफी, झिंझोटी के समकक्ष कर्नाटक राग) में गाई जाती है।
‘कीर्तन’ की उत्पत्ति किस शताब्दी से मानी गई है?
12वीं शताब्दी
13वीं शताब्दी
14वीं शताब्दी
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
2
कीर्तन का चलन मुख्य रूप से भक्ति आंदोलन के साथ शुरू हुआ, जो 14वीं शताब्दी
से भारत के विभिन्न हिस्सों में फैला।
‘कृति’ के अंतर्गत किसकी प्रधानता होती है?
भाव-पक्ष
कला-पक्ष
क्रिया-पक्ष
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
3
कृति में साहित्य (भाव-पक्ष) और संगीत (कला-पक्ष) दोनों का सुंदर समन्वय होता
है, और यह क्रिया (गायन) का आधार भी है।
‘नेरावल’ किसे माना जाता है?
बोल-आलाप
बोल-तान
राग-गान
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
3
‘नेरावल’ कर्नाटक संगीत में एक तकनीक है, जिसमें किसी रचना की एक पंक्ति को कई अलग-अलग और जटिल विविधताओं के साथ गाया जाता है। यह आलाप से अलग है क्योंकि नेरावल में गीत के बोल (शब्द) का उपयोग किया जाता है, जबकि आलाप में अक्सर सिर्फ स्वरों का प्रयोग होता है। यह मुख्य रूप से 'बोल-आलाप' और 'बोल-तान' के साथ-साथ राग-गान (पूरे गाने) के बीच का एक उन्नत रूप है।
रस-प्रधान कृति में कौन-से रस होते हैं?
श्रृंगार रस
भक्ति रस
करुण रस
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
3
कर्नाटक संगीत की रस-प्रधान कृतियों में मुख्य रूप से भक्ति, शृंगार और करुण
रस का समावेश होता है।
रस-प्रधान कृति में कितने रस माने गए हैं?
3
2
4
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
0
कृति में मुख्य रूप से 3 रस (भक्ति, शृंगार, करुण) माने गए हैं, हालांकि
व्यापक रूप से 9 रस संभव हैं।
इनमें से कौन-सा कृति के लिए उपयुक्त ताल है?
आदि ताल (8 मात्रा)
रूपक ताल (6 मात्रा)
मठ ताल (10 मात्रा)
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
0
कृति में कर्नाटक संगीत के आदि ताल (8 मात्रा) के हैं और कृति के लिए उपयुक्त हैं।
कृति के कितने अंग माने जाते हैं?
पल्लवी
अनुपल्लवी
चरणम्
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
3
कृति के तीन मुख्य अंग होते हैं: पल्लवी, अनुपल्लवी और चरणम्।
कौन-सा रूप संगीत-शास्त्रियों द्वारा ग्रहण किया जाता है?
कृति
कीर्तन
साहित्य
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
0
कृति कर्नाटक संगीत का सबसे परिष्कृत, विकसित और शास्त्रीय रूप है, जिसे
संगीत-शास्त्रियों द्वारा अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
तिल्लाना में किसकी प्रधानता अधिक होती है?
कला-पक्ष
भाव-पक्ष
राग-पक्ष
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
0
तिल्लाना कर्नाटक संगीत का एक लयकारी और ताल प्रधान रूप है, जिसमें कला-पक्ष
(तकनीकी और लयकारी) की प्रधानता अधिक होती है।
तिल्लाना को उत्तर भारतीय संगीत में किस नाम से जाना जाता है?
तिलाना
तराना
ठुमरी
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
1
तिल्लाना कर्नाटक संगीत का रूप है, जिसमें ताल-बोल और निरर्थक शब्दों का
प्रयोग होता है। यह हिंदुस्तानी संगीत के तराना के समकक्ष है।
तिल्लाना में इनमें से किसका प्रयोग होता है?
साहित्य
जावली
मृदंग के बोल
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
3
तिल्लाना में मुख्य रूप से साहित्य और जावली का प्रयोग होता है।
किस गायन के प्रारंभिक स्वर को ‘लिनक’ कहा जाता है?
तिलाना
सरगम
रागम्
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
2
भारतीय संगीत की प्रमुख पद्धतियों में रागम् को ‘लिनक’ कहा जाता है।
‘रागम्’ गायन में क्या आवश्यक है?
राग के आरोह-अवरोह
रूप व राग की अभिव्यक्ति
स्वरों का ध्यान
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
3
राग गायन के लिए स्वरों के क्रम (आरोह-अवरोह), वादी-संवादी स्वर, कम से कम पाँच स्वर, और थाट की जानकारी होना आवश्यक है। इसके अतिरिक्त, राग को समय के अनुसार गाना, उसकी पकड़, चलन और विशिष्ट भावों का ज्ञान भी जरूरी है।
प्रत्येक राग में कौन-से स्वर पाए जाते हैं?
षड्ज
पंचम
मध्यम
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
0
षड्ज (सा) वह मूलभूत स्वर है जो सभी रागों में उपस्थित रहता है, जबकि पंचम और
मध्यम कभी-कभी वर्जित हो सकते हैं।
किस गायन का अर्थ ‘तान’ से लिया गया है?
रागम्
तिल्लाना
तानम्
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
2
तानम् कर्नाटक संगीत का एक लयबद्ध अंग है जिसमें ताल का प्रयोग नहीं होता है,
लेकिन लय और गति का प्रयोग 'अनागत' नामक एक विशिष्ट शब्दावली (जैसे त, द, न,
म) के साथ किया जाता है, जिसका उद्देश्य तानों जैसा प्रभाव उत्पन्न करना है।
‘तानम्’ की शुरुआत किस लय से होती है?
द्रुत
विलंबित
मध्य
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
1
तानम् सामान्यतः विलंबित से शुरू होकर मध्य लय होते हुए धीरे-धीरे द्रुत लय की ओर बढ़ता है।
प्रायः ‘तानम्’ का प्रयोग किसके बाद किया जाता है?
पल्लवी
कृति
रागम्
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
2
कर्नाटक संगीत के 'रागम्-तानम्-पल्लवी' (RTP) के अंतर्गत, तानम् का गायन
रागम् (आलाप) के बाद किया जाता है।
‘तानम्’ का गायन किन स्वरों से आरंभ किया जाता है?
अंश स्वर
गृह स्वर
मध्यम स्वर
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
3
तानम् को 'अंश स्वर' 'गृह स्वर' से आरंभ किया जाता है, जो राग के आधार
स्वर को स्थापित करता है।
‘पल्लवी’ गायन का संबंध किससे है?
पद से
लय से
जाति से
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
3
पल्लवी गायन (विशेषकर 'रागम्-तानम्-पल्लवी' में) का मुख्य संबंध पद से तथा लयकारी और
ताल की जटिलताओं को दर्शाने से है।
कौन-सा गायन द्विकला/चतुष्कला विलंबित में गाया जाता है?
जाति
पल्लवी
कृति
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
1
रागम्-तानम्-पल्लवी का 'पल्लवी' भाग जटिल लयकारी को दर्शाता है, जिसमें
द्विकला (दोगुनी) या चतुष्कला (चौगुनी) विलंबित गति का प्रयोग किया जाता है।
‘पल्लवी’ के बाद किसका गान किया जाता है?
अनुपल्लवी
ख्याल
चरणम्
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
3
कृति के संरचना के अनुसार, पल्लवी के बाद अनुपल्लवी और चरणम् का गायन किया जाता है।
मधुरता एवं रंजकता पर विशेष ध्यान किस दक्षिण भारतीय गायन-अंग की प्रमुख
विशेषता है?
अनुपल्लवी
पल्लवी
चरणम्
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
4
कृति के अनुपल्लवी अंग में संगीत का विस्तार और रंजकता (मधुरता) का विशेष
ध्यान रखा जाता है, जो आगे पल्लवी की ओर बढ़कर राग की सुन्दरता को बढ़ाता है।
‘गत’ में कितने प्रवाह होते हैं?
2
3
1
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
0
वाद्य संगीत (जैसे सितार/सरोद) की गत में मुख्य रूप से दो भाग होते हैं:
स्थायी (पहला प्रवाह) और अंतरा (दूसरा प्रवाह)।
ऑस्कर जीतने वाले पहले भारतीय कौन थे?
भानु अथैया
सत्यजीत रे
पंडित रविशंकर
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
0
भानु अथैया ऑस्कर जीतने वाली पहली भारतीय थीं। उन्हें 1983 में फ़िल्म
'गांधी' के लिए सर्वश्रेष्ठ कॉस्ट्यूम डिज़ाइन का पुरस्कार मिला था।
द्रुत लय तथा छुद्र तानों से युक्त गायन विधा है?
ध्रुपद
आलाप
टप्पा
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
2
टप्पा गायन पंजाब क्षेत्र से उत्पन्न हुआ है, जिसकी विशेषता द्रुत लय और
छोटी, घुमावदार (छुद्र) तानों का प्रयोग है।
ऑस्कर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड जीतने वाले एकमात्र भारतीय का नाम क्या है?
भानु अथैया
सत्यजीत रे
राधिका मोहन मैत्रेय
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
1
महान फिल्मकार सत्यजीत रे 1992 में ऑस्कर लाइफटाइम अचीवमेंट (मानद ऑस्कर)
पुरस्कार जीतने वाले एकमात्र भारतीय हैं।
संगीत रत्नाकर में कुल कितने रागों का वर्णन किया गया है?
122
264
75
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
1
संगीत रत्नाकर में रागों का विस्तृत वर्णन किया गया है, जिसमें कुल 264 रागों
का वर्गीकरण मिलता है।
दशविध राग वर्गीकरण का उल्लेख किस ग्रंथ में मिलता है?
संगीत पारिजात
वृहद्देशी
संगीत रत्नाकर
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
2
दशविध राग वर्गीकरण का उल्लेख शारंगदेव के संगीत रत्नाकर में मिलता है। इस वर्गीकरण में रागों को शुद्ध, छायालग और संकीर्ण जैसे तीन वर्गों में विभाजित किया गया है, हालांकि कुछ अन्य स्रोतों के अनुसार इसे दशविध वर्गीकरण भी कहा जाता है, जैसा कि सारंगदेव ने किया है।
दशविध राग वर्गीकरण में ग्राम राग के अंतर्गत कितने राग आते हैं?
30
20
8
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
0
दशविध राग वर्गीकरण में 30 ग्राम रागों का उल्लेख मिलता है।
दशविध राग वर्गीकरण में उप राग के अंतर्गत कितने राग आते हैं?
15
20
8
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
2
दशविध राग वर्गीकरण के तहत, उपराग की संख्या 8 है। इन उपरागों को ग्राम रागों में समाविष्ट नहीं माना जाता था, बल्कि वे ग्राम रागों के स्वर-संयोजन से ही उत्पन्न हुए हैं। उपरागों के नाम इस प्रकार हैं:
शक्तितलक, लज्जसैंधव, कोककलपन्ज (कोकलापन्ज), रेर्गपुत (रेर्गपुत), पन्जषाडव (पन्जषाडव), शारनापन्ज (शारनापन्ज), नागगान्धार (नागगान्धार), नागपन्ज (नागपन्ज)
दशविध राग वर्गीकरण में राग के अंतर्गत कितने राग आते हैं?
15
20
96
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
1
दशविध राग वर्गीकरण में 'राग' के अंतर्गत 20 राग आते हैं।
दशविध राग वर्गीकरण में भाषाराग के अंतर्गत कितने राग आते हैं?
15
84
96
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
2
दशविध राग वर्गीकरण में भाषारागों की संख्या 96 मानी गई है।
दशविध राग वर्गीकरण में विभाषाराग के अंतर्गत कितने राग आते हैं?
15
84
20
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
2
दशविध राग वर्गीकरण में 20 विभाषारागों का उल्लेख किया गया है।
दशविध राग वर्गीकरण में अंतर्भाषा राग के अंतर्गत कितने राग आते हैं?
7
4
8
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
1
दशविध राग वर्गीकरण में अंतर्भाषा रागों की संख्या 4 बताई गई है।
दशविध राग वर्गीकरण में रागांग राग के अंतर्गत कितने राग आते हैं?
20
56
21
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
2
दशविध राग वर्गीकरण में रागांग रागों की संख्या 21 है।
दशविध राग वर्गीकरण में भाषांग राग के अंतर्गत कितने राग आते हैं?
20
56
21
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
0
दशविध राग वर्गीकरण में भाषांग रागों की संख्या 20 है।
दशविध राग वर्गीकरण में क्रियांग राग के अंतर्गत कितने राग आते हैं?
20
12
21
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
1
दशविध राग वर्गीकरण में क्रियांग रागों की संख्या 12 है।
दशविध राग वर्गीकरण में उपांग राग के अंतर्गत कितने राग आते हैं?
30
15
26
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
0
दशविध राग वर्गीकरण में उपांग रागों की संख्या 30 है।
बनारस कत्थक की रानी के नाम से प्रसिद्ध है -
गिरिजा देवी
सविता देवी
सितारा देवी
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
2
बनारस कत्थक की रानी (Queen of Banaras Kathak) के नाम से प्रसिद्ध नृत्यांगना सितारा देवी हैं। उन्हें अक्सर "कथक क्वीन" या "नृत्य साम्राज्ञी" भी कहा जाता है। सितारा देवी बनारस घराने की एक प्रमुख कलाकार थीं, जिनके पिता पंडित सुखदेव महाराज ने इस घराने को स्थापित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। उन्होंने कथक नृत्य को लोकप्रिय बनाने और इसे मुख्यधारा के सिनेमा में लाने में अहम भूमिका निभाई। गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने मात्र 16 साल की उम्र में उनके नृत्य से प्रभावित होकर उन्हें 'कथक क्वीन' (कथक की रानी) की उपाधि दी थी। गिरिजा देवी एक महान गायिका हैं।
\u0935\u093E\u0939! \u0906\u092A\u0928\u0947 \u0915\u092E\u093E\u0932 \u0915\u0930 \u0926\u093F\u092F\u093E!
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\u092A\u094D\u0930\u092E\u093E\u0923 \u092A\u0924\u094D\u0930
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\u0938\u0939\u0940!
\u0917\u0932\u0924!
\u0906\u092A\u0915\u093E \u0909\u0924\u094D\u0924\u0930:
\u0909\u0924\u094D\u0924\u0930 \u0928\u0939\u0940\u0902 \u0926\u093F\u092F\u093E \u0917\u092F\u093E
\u0938\u0939\u0940 \u0909\u0924\u094D\u0924\u0930:
\u0938\u094D\u092A\u0937\u094D\u091F\u0940\u0915\u0930\u0923:
\u0906\u092A\u0915\u093E \u0909\u0924\u094D\u0924\u0930 \u0917\u0932\u0924 \u0925\u093E\u0964 \u0938\u0939\u0940 \u0909\u0924\u094D\u0924\u0930:
\u092A\u094D\u0930\u0936\u094D\u0928
/
\u0905\u0938\u092B\u0932 (FAIL)
\u0909\u0924\u094D\u0924\u0940\u0930\u094D\u0923 (PASS)
\u0936\u094D\u0930\u0947\u0937\u094D\u0920 (TOP)
\u0938\u0930\u094D\u0935\u0936\u094D\u0930\u0947\u0937\u094D\u0920 (TOPPER)
✓ \u0938\u0924\u094D\u092F\u093E\u092A\u093F\u0924
\u0917\u094D\u0930\u0947\u0921\u093F\u0902\u0917 \u092E\u093E\u0928\u0926\u0902\u0921
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\u0936\u094D\u0930\u0947\u0937\u094D\u0920 (TOP)
\u0938\u092B\u0932 (PASS)
\u0905\u0938\u092B\u0932 (FAIL)