STET, BPSC, NET संगीत प्रश्न संग्रह अभ्यास सेट 09
(कुल 80 प्रश्न)
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- टूर्नामेंट में आपके पास पूर्वनिर्धारित संख्या में प्रयास होंगे।
- उच्चतम स्कोर प्राप्त करने वाले प्रतिभागी विजेता होंगे।
- किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी की स्थिति में आपको टूर्नामेंट से अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा।
नियम:
- टूर्नामेंट में कुल 2 प्रश्न होंगे।
- प्रत्येक सही उत्तर के लिए आपको 1 अंक मिलेगा।
- कोई नकारात्मक अंकन नहीं होगा।
- टूर्नामेंट समाप्त होने के बाद, परिणामों की घोषणा की जाएगी।
- विजेताओं को पुरस्कार वितरण समारोह में आमंत्रित किया जाएगा।
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‘स्वरमालिका’ की लय होती है—
मध्य
द्रुत
विलंबित
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
0
‘स्वरमालिका’ की लय मध्य होती है, हालांकि यह कुछ हद तक द्रुत लय में भी गाई या बजाई जा सकती है, विशेषकर अभ्यास के दौरान या प्रदर्शन की प्रकृति के आधार पर।
‘स्वरमालिका’ मूल रूप से संगीत के विद्यार्थियों के लिए एक अभ्यास है जिसमें विभिन्न रागों के स्वरों को तालबद्ध तरीके से प्रस्तुत किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य छात्रों को राग के स्वरों की पहचान और ताल का ज्ञान कराना होता है।।
‘चेंबर म्यूजिक’ का संबंध किससे माना जाता है?
शाही घराने
हवेली संगीत
ऑर्केस्ट्रा
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
0
चेंबर संगीत (Chamber Music), जिसे 'दरबारी संगीत' या छोटे समूह का संगीत भी कहा जाता है, का संबंध ऐतिहासिक रूप से शाही घरानों और अभिजात वर्ग के निजी महफिलों से रहा है।
तबले पर दोनों हाथ से बजाया जाने वाला वर्ण है—
धिं/धा
क
तिं
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
0
'धिं' और 'धा' तबले के संयुक्त बोल हैं, जिन्हें बजाने के लिए दोनों हाथों का उपयोग किया जाता है (दायाँ हाथ 'ता' या 'ना' और बायाँ हाथ 'गे' या 'क')।
फर्रुखाबाद तबला-घराने के संस्थापक कौन थे?
सिद्दार खां
हाजी विलायत अली
मोदू खां और बक्सू खां
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
1
हाजी विलायत अली खान को फर्रुखाबाद तबला घराने का संस्थापक माना जाता है।
मध्यम सप्तक के सा की आन्दोलन संख्या क्या है ?
260
240
320
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
1
मध्यम सप्तक के सा की आंदोलन संख्या 240 हर्ट्ज़ है। यह भारतीय शास्त्रीय संगीत में एक आधारभूत स्वर है, जिस पर अन्य सभी स्वरों की आंदोलन संख्या का निर्धारण होता है।
राग में प्रयोग किए जाने वाले स्वरों की तालबद्ध रचना को क्या कहते हैं?
सुरादर्त
तराना
पकड़
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
3
राग में प्रयोग किए जाने वाले स्वरों की तालबद्ध रचना को सुरादर्त और तराना कहा जाता है।
पकड़ के संबंध में कौन सा सत्य है?
यह छोटा स्वर समुदाय होता है
पकड़ से किसी राग का बोध होता है
पकड़ को वादी स्वर भी कहते हैं
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
3
पकड़ एक छोटा स्वर-समुदाय होता है (A) जो राग के विशिष्ट चरित्र को तुरंत पहचान कराता है (B)। यह राग का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है।
कर्नाटक संगीत का सबसे महत्वपूर्ण अंग है?
तराना
जावली
कृति
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
2
कृति (त्यागराज, दीक्षितार, श्यामा शास्त्री) कर्नाटक संगीत का सबसे विकसित, लोकप्रिय और केंद्रीय रूप है।
द साइंस ऑफ भरतनाट्यम यह पुस्तक किसके द्वारा लिखा गया?
राजा रेड्डी
बंकिम चंद्र चटर्जी
यामिनी कृष्णमूर्ति
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
4
दिए गए विकल्पों (राजा रेड्डी, बंकिम चंद्र चटर्जी, यामिनी कृष्णमूर्ति) में से कोई भी इसके लेखक नहीं हैं। सरोजा वैद्यनाथन भरतनाट्यम की एक जानी-मानी नृत्यांगना, कोरियोग्राफर और गुरु थीं और 'द साइंस ऑफ भरतनाट्यम' (The Science of Bharata Natyam) पुस्तक का लेखन सरोजा वैद्यनाथन द्वारा किया गया है
श्री राघवन नायर इनमें से किस नृत्य के नर्तक हैं?
ओडीसी
भरतनाट्यम
कथकली
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
2
श्री राघवन नायर एक प्रसिद्ध कथकली कलाकार थे।
इमदाद खान की वादन शैली किस अंग पर आधारित थी?
गत - तोड़ा अंग
झाला - गत अंग
जोड़ - गत अंग
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
0
इमदाद खान की वादन शैली गत - तोड़ा अंग अंग पर आधारित थी?
भारतीय बेतार केंद्र का नाम आकाशवाणी किन के सुझाव पर रखा गया था?
महात्मा गांधी
रासबिहारी घोष
बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
4
भारतीय बेतार केंद्र (जिसे पहले ऑल इंडिया रेडियो या इंडियन स्टेट ब्रॉडकास्टिंग सर्विस कहा जाता था) का नाम आकाशवाणी महान कवि और नोबेल पुरस्कार विजेता रवीन्द्रनाथ टैगोर के सुझाव पर रखा गया था।
मूल सुझाव: रवीन्द्रनाथ टैगोर ने 1939 में कलकत्ता शॉर्टवेव सेवा के उद्घाटन के लिए लिखी गई अपनी एक कविता में रेडियो को 'आकाशवाणी' (अर्थात 'आकाश से आई हुई आवाज़') कहकर संबोधित किया था।
अन्य प्रयोग: यह शब्द मैसूर में एम.वी. गोपालस्वामी द्वारा स्थापित एक निजी रेडियो स्टेशन के लिए भी उपयोग किया गया था।
सरकारी नामकरण: 1957 में भारत सरकार द्वारा ऑल इंडिया रेडियो के ऑन-एयर नाम (on-air name) के रूप में आधिकारिक तौर पर आकाशवाणी शब्द को अपनाया गया, जो संस्कृत में इसके शाब्दिक अर्थ ('आकाश से आवाज़') के कारण प्रसारणकर्ता के लिए एक अत्यंत उपयुक्त नाम माना गया।
केलू चरण महापात्त्रा का संबंध किस प्रदेश से है?
बिहार
उड़ीसा
पश्चिम बंगाल
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
1
गुरु केलू चरण महापात्त्रा ओडिसी नृत्य के महानतम प्रतिपादकों में से एक थे और उनका संबंध ओडिशा राज्य से था।
धा ती नाडा किस वाद्य के बोल हैं?
नक्कारा
नफीरी
मृदंग
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
0
'धा ती नाडा' नक्कारा के आधारभूत बोल हैं।
कौन सा वाद्य यंत्र त्रितंत्री वीणा से विकसित हुआ है?
तानपुरा
सुरबहार
सितार
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
2
सितार का विकास 13वीं शताब्दी में अमीर खुसरो द्वारा प्राचीन भारतीय 'त्रितंत्री वीणा' और फ़ारसी 'सह-तार' (तीन तार) वाद्य के संयोजन से माना जाता है।
इनमें से कौन सारंगी वादक हैं?
असद अली खान
अमजद अली खान
बागेश्वरी कमर
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
4
असद अली खान रुद्र वीणा वादक थे, अमजद अली खान सरोद वादक हैं, और बागेश्वरी कमर शहनाई वादक थीं। दिए गए विकल्पों में कोई भी प्रसिद्ध सारंगी वादक नहीं है।
संगीत नाटक अकादमी का मुख्यालय कहां है?
कोलकाता
नई दिल्ली
मुंबई
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
1
भारत की संगीत, नृत्य और नाटक की राष्ट्रीय अकादमी, संगीत नाटक अकादमी का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है।
कुछ विशेष नियमों से बँधे हुए स्वर-समुदाय को क्या कहते हैं?
आलाप
अलंकार
गमक
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
1
कुछ विशेष नियमों से बँधे हुए स्वर-समुदाय को अलंकार कहते हैं।
अलंकार: संगीत में, स्वरों के निश्चित क्रम और नियमों में बँधे हुए अभ्यास को अलंकार कहते हैं, जो गायन और वादन को सजाने और तकनीकी कौशल को बढ़ाने में मदद करते हैं।
गमक: यह स्वरों का एक विशेष प्रकार का कंपन या आंदोलन है जो गायन-वादन में मिठास और भाव पैदा करता है।
आलाप: यह राग के स्वरूप को धीरे-धीरे खोलने की प्रक्रिया है, जिसमें राग के स्वरों का विस्तार किया जाता है, आमतौर पर लय और ताल के बंधन के बिना।
वह कौन से दो स्वर हैं, जिन्हें एक साथ किसी राग में वर्जित नहीं किया जाता है?
ग प
म प
सा प
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
1
मध्यम (म) और पंचम (प) किसी भी राग में 'म' और 'प' को एक साथ वर्जित नहीं किया जा सकता।
भारतीय संगीत के रागों में कौन सा वह स्वर है जिसे कभी भी वर्जित नहीं किया जा सकता है?
प
म
सा
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
2
षड्ज (सा) मूलभूत आधार स्वर है, जिसे किसी भी राग में कभी भी वर्जित नहीं किया जा सकता है।
राग गायन का विकास किसे माना जाता है?
ग्राम
जाति
मूर्च्छना
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
1
रागों का विकास प्राचीन 'जाति' गायन से माना जाता है। जाति गायन ही रागों का मूल आधार है।
तबले में सर्वाधिक गतें कहाँ बजाई जाती है?
फरुखाबाद
पंजाब
अजराड़ा
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
0
फर्रुखाबाद घराना अपनी 'गत' रचनाओं की समृद्धि और विविधता के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है।
यामिनी कृष्णमूर्ति का संबंध किस शास्त्रीय नृत्य से है?
कुचिपुड़ी
मणिपुरी
कत्थक
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
0
यामिनी कृष्णमूर्ति कुचिपुड़ी की प्रसिद्ध नृत्यांगना रही हैं।
"बाबुल मोरे नईहर छुटो जाए" किस प्रसिद्ध संगीतज्ञ की ठुमरी है?
अब्दुल करीम खां
वाजिद अली शाह
बड़े गुलाम अली
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
1
यह प्रसिद्ध ठुमरी अवध के नवाब वाजिद अली शाह की रचना है, जिन्होंने 'अख्तर पिया' उपनाम से रचनाएं कीं।
कर्नाटक संगीत में मंच प्रदर्शन से पहले क्या गाया जाता है?
नाद स्वरम
जाति स्वरम्
सामगान
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
1
कर्नाटक संगीत के मंच प्रदर्शन में 'जातिस्वरम्' का गायन या वादन एक प्रारंभिक प्रस्तुति हो सकता है। 'वर्णम्' भी एक पारंपरिक प्रारंभिक प्रस्तुति है।
लोक संगीत में कौन-कौन से तत्वों का समावेश होता है?
स्वर
ताल
लय
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
3
लोक संगीत में गायन-वादन के सभी मूल तत्व (स्वर, ताल, और लय) सम्मिलित होते हैं।
ताल का शुरुआती स्थान ?
सम
विषम
अतीत
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
0
ताल का शुरुआती स्थान 'सम' (पहली मात्रा) होता है, जो ताल का केंद्र बिंदु और सबसे महत्वपूर्ण स्थान होता है।
ध्वनि की उस विशिष्ट रचना को क्या कहा जाता है, जिसे स्वर तथा वर्ण द्वारा सौंदर्य प्राप्त हुआ हो?
ताल
राग
लय
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
1
राग ध्वनि की वह विशिष्ट रचना है, जिसे स्वर (सुरों) और वर्ण (गाने/बजाने की शैली) के माध्यम से एक विशेष सौंदर्य (रंजकता) प्रदान होता है।
राग के लिए कम से कम कितने स्वरों का होना आवश्यक है?
7
6
5
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
2
रागों की जाति वर्गीकरण के अनुसार, औडव जाति में कम से कम 5 स्वरों का होना आवश्यक है।
राग में नहीं लगने वाले स्वर कहलाते हैं -
वादी
संवादी
विवादी
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
2
राग में वर्जित स्वर 'विवादी' कहलाते हैं।
राग के रूप तथा चलन की स्पष्टता के लिए किसका होना महत्वपूर्ण होता है?
आरोह - अवरोह
स्वर्ण और वर्ण
संवादी - विवादी
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
3
राग के रूप और चलन को स्पष्ट करने के लिए आरोह-अवरोह और वादी-संवादी दोनों ही महत्वपूर्ण होते हैं।
राग के स्वर में पाया जाता है -
वादी
अनुवादी
संवादी
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
3
राग के स्वरों को वादी (राजा), संवादी (मंत्री), अनुवादी (सेवक) और विवादी (शत्रु) चार भागों में विभाजित किया जाता है। अतः ये सभी पाए जाते हैं।
सप्तक राग में कुल कितने स्वर माने जाते हैं?
7
12
22
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
1
एक सप्तक में कुल 12 स्वर होते हैं: 7 शुद्ध और 5 विकृत (4 कोमल, 1 तीव्र)।
निम्न में से कौन आश्रय राग है -
भैरव
कल्याण
भैरवी
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
3
आश्रय राग वे हैं जिनके नाम पर थाट का नाम रखा गया है। भैरव, कल्याण, और भैरवी तीनों ही अपने-अपने थाट के आश्रय राग हैं।
निम्न में से कौन सा राग के भेद नहीं हैं -
शुद्ध राग
शुद्धा राग
संकीर्ण राग
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
1
रागों के प्रमुख भेद हैं: शुद्ध, छायानट (छायालग) और संकीर्ण। 'शुद्धा राग' कोई प्रचलित वर्गीकरण नहीं है (शुद्ध राग के स्थान पर)।
निम्न में से कौन छायालग राग कहलाते हैं -
तिलक
कामोद
छायानट
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
3
छायालग राग (या छायानट) वे राग हैं जिनमें एक से अधिक रागों की छाया दिखाई देती है।
राजस्थान के लोक संगीत में अनेक रागों की छाया देखने को मिलती है उनमें प्रमुख हैं -
देश सोरठ मॉड पीलू खमाज
मारू परज कलिंगड़ा काफी
जोगिया असावरी बिलावल
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
3
A. देश सोरठ मॉड पीलू खमाज: ये सभी राग राजस्थान के लोक संगीत में प्रमुखता से पाए जाते हैं। 'मांड' तो राजस्थान की एक विशिष्ट गायन शैली ही है।
B. मारू परज कलिंगड़ा काफी: ये राग भी राजस्थानी लोक संगीत का हिस्सा हैं।
C. जोगिया असावरी बिलावल: ये राग भी राजस्थान के पारंपरिक लोक संगीत में प्रयुक्त होते हैं।
चूंकि तीनों विकल्पों (A, B, C) में उल्लिखित अधिकांश या सभी राग राजस्थान के लोक संगीत में प्रचलित हैं, इसलिए विकल्प D (उपर्युक्त में से एक से अधिक) सबसे सटीक उत्तर है।
किराना घराना के कलाकार ?
अब्दुल करीम खां
वाजिद अली शाह
बड़े गुलाम अली
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
0
उस्ताद अब्दुल करीम खान किराना घराने के संस्थापक हैं। वाजिद अली शाह ठुमरी और बड़े गुलाम अली खान पटियाला घराने से संबंधित थे।
बधावा गीत की रचना कौन से राग में की गई है?
खमाज
तिलक
पीलू
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
1
बधावा गीत (खुशी और बधाई के गीत) प्रायः तिलक हल्के और चंचल रागों/थाटों में गाए जाते हैं।
प्रमुख रूप से माँड शैली के कितने प्रकार प्रसिद्ध है?
3
2
4
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
2
मांड शैली के प्रमुख रूप से 4 प्रकार माने जाते हैं, जो क्षेत्र के आधार पर भिन्न होते हैं।
घूमर, डांडिया, गैर, कच्ची घोड़ी नृत्य गीत विशेष का निबद्ध होते हैं?
रागों व तालों से
बोल और गीतों से
थाट और यति से
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
0
लोक नृत्यों के गीत भले ही शास्त्रीय न हों, लेकिन वे रागों (जैसे खमाज, पीलू) की छाया और लोक तालों में निबद्ध होते हैं।
लोक संगीत में विशेष कर इनमें से कौन सा राग का प्रयोग होता है?
राग यमन
राग भैरव
राग सोरठ
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
2
राग सोरठ एक लोक संगीत शैली से उत्पन्न हुआ है और यह लोक गीतों में विशेष रूप से प्रयुक्त होता है।
भवाई व कालबेलिया नृत्य में किन-किन का विनियोग होता है?
शारीरिक संतुलन
लय
ताल
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
3
भवाई (संतुलन) और कालबेलिया (चंचल) दोनों नृत्यों में शारीरिक संतुलन के साथ-साथ ताल और लय का विशेष महत्व होता है।
बिलावल राग में सभी ........ का प्रयोग किया जाता है।
विकृत स्वर
तीव्र स्वर
शुद्ध स्वर
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
2
राग बिलावल, जो कि बिलावल थाट का आश्रय राग है, में सभी 7 शुद्ध स्वरों का प्रयोग होता है।
इनमें से किस राग में तीव्र मध्यम का प्रयोग किया जाता है?
कल्याण
भैरवी
भैरव
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
0
राग कल्याण (कल्याण थाट) में तीव्र मध्यम (म) का प्रयोग किया जाता है। भैरवी और भैरव में नहीं।
राग पीलू की रचना किन-किन रागों के मिश्रण से हुई है?
भैरवी खमाज भीमपलासी
भैरवी भीमपलासी गौरी
भैरव ललित कल्याण
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
2
राग पीलू एक संकीर्ण प्रकृति का राग है, जिसमें भैरवी भीमपलासी गौरी जैसे कई रागों/थाटों की छाया का मिश्रण होता है।
उच्च स्वरों के लोकगीतों में अधिकांश किस राग की स्वरावलियों का प्रयोग किया जाता है?
भैरवी और खमाज
बिलावल और पूर्वी
परज या परन
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
2
परज या परन (और इनके संबंधित राग) का प्रयोग लोकगीतों में उनके मधुर और लचीलेपन के कारण बहुतायत से होता है।
राग तिलककामोद का राग का स्वर किन-किन रागों से मिलता है?
पूर्वी और बसंत
बिहाग और देशकर
देस और सोरठ
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
2
तिलक कामोद संकीर्ण प्रकृति का राग है, जिसमें राग देस और राग सोरठ की छाया विशेष रूप से दिखाई देती है।
इंडोनी गीत की रचना किस राग में की गई है?
वृंदावनी सारंग
मध्यमाद सारंग
पीलू
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
0
इंडोनी गीत की रचना वृंदावनी सारंग राग में की गई है।
भारतीय लोक कलाकार कला अभिव्यक्ति में सौंदर्य व माधुर्य उत्पन्न किसके माध्यम से करते हैं?
राग
ताल
थाट
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
3
लोक कलाकार अपनी कला अभिव्यक्ति में सौंदर्य और माधुर्य उत्पन्न करने के लिए राग (या लोक राग), ताल (लय) और थाट (स्वर-समूह) तीनों का ही सहारा लेते हैं।
गायन वादन और नृत्य की क्रिया को किस आधार पर मापा जाता है?
राग
ताल
थाट
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
1
गायन, वादन और नृत्य तीनों की गति (लयकारी) और समयबद्धता को 'ताल' के आधार पर मापा जाता है।
गाने-बजाने व नाचने की शोभा है -
आंगिक मुद्राओं से
ताल से
स्वरावलियों से
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
3
गायन-वादन नृत्य की शोभा स्वरावलियों और ताल से होती है।
चाचरताल उत्तर भारतीय संगीत पद्धति में कौन सी ताल का प्रतिरूप है?
एक ताल
तीन ताल
दीपचन्दी ताल
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
2
चाचरताल 14 मात्रा का एक लोक ताल है, जो शास्त्रीय संगीत के दीपचन्दी ताल का ही प्रतिरूप है।
तल् धातु से किस शब्द की उत्पत्ति हुई है -
ठेका
ताल
तराना
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
1
ताल शब्द की उत्पत्ति संस्कृत की 'तल्' धातु से मानी जाती है, जिसका अर्थ 'प्रतिष्ठा करना' या 'निश्चित करना' होता है।
सूरजकुंड क्राफ्ट मेला कहां लगता है?
फरीदाबाद
पंजाब
इलाहाबाद
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
0
प्रसिद्ध 'सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेला' हरियाणा के फरीदाबाद जिले में प्रतिवर्ष आयोजित किया जाता है।
इनमें से किस ग्रंथ की रचना अहोबल के द्वारा की गई है?
संगीत दर्पण
संगीत पारिजात
राग दर्पण
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
1
पंडित अहोबल ने 17वीं शताब्दी में प्रसिद्ध ग्रंथ 'संगीत पारिजात' की रचना की।
वीणा के तार पर सर्वप्रथम स्वरों की स्थापना किसने की?
पंडित शारंगदेव
श्रीनिवास
पंडित अहोबल
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
2
पंडित अहोबल ने सर्वप्रथम अपनी वीणा के तार पर स्वरों की निश्चित दूरी (इंचों में) की स्थापना की, जो आधुनिक स्वर-सिद्धांत का आधार बनी।
‘संगीत पारिजात’ का फ़ारसी में अनुवाद किसने किया?
पंडित दीनानाथ
फ़कीरूल्लाह
विनायक राव पटवर्धन
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
0
दीनानाथ मिश्र ने ‘संगीत पारिजात’ का फ़ारसी में अनुवाद किया था। यह ग्रंथ पंडित अहोबल द्वारा 17वीं शताब्दी में लिखा गया था और दीनानाथ मिश्र ने इसका अनुवाद 1724 ई. में किया था।
अहोबल ने कितने विकृत स्वर बताए हैं?
22
12
2
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
0
पं. अहोबल के द्वारा किया गया स्वरों का विश्लेषण विशेष रूप से उल्लेखनीय है, क्योंकि आधुनिक स्वरों की स्थापना में उनका महत्त्वपूर्ण योगदान है। यद्यपि इन्होंने शास्त्रानुसार सात शुद्ध तथा बाईस विकृत स्वर बताये हैं, फिर भी क्रियात्मक प्रयोग की दृष्टि से वीणा के तार पर सात शुद्ध एवं पाँच विकृत स्वरों को स्थापित किया है।
‘संगीत पारिजात’ को कितने भागों में बाँटा गया है?
5
10
2
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
2
पंडित अहोबल द्वारा रचित प्रसिद्ध संगीत ग्रंथ 'संगीत पारिजात' को मुख्य रूप से दो भागों या खंडों में बाँटा गया है:
राग गीता विचार काण्ड: यह पहला भाग है, जिसमें मुख्य रूप से रागों और गीतों से संबंधित विषयों पर चर्चा की गई है।
वाद्य ताल काण्ड (या वाद्याध्याय): यह दूसरा भाग है, जिसमें विभिन्न प्रकार के संगीत वाद्ययंत्रों (जैसे तत्, आनद्ध, सुषिर, घन) और ताल पद्धतियों का विस्तृत वर्णन है।
अहोबल ने कितने प्रकार की वीणाओं का वर्णन किया है?
8
17
12
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
0
अहोबल ने अपने ग्रंथ "संगीत पारिजात" में तत् वाद्यों के अंतर्गत आठ प्रकार की वीणाओं का वर्णन किया है। इसके अतिरिक्त, उन्होंने चार मुख्य वाद्य वर्गों - तत् (तार वाद्य), अवनद्ध (ताल वाद्य), सुषिर (वायु वाद्य) और घन (धातु वाद्य) - का भी वर्णन किया है।
‘संगीत पारिजात’ में शुषिर वाद्यों की संख्या कितनी बताई गई है?
8
10
12
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
1
अहोबल ने शुषिर (फूँक) वाद्यों की संख्या 10 बताई है।
निम्न में से किस ग्रंथ की रचना लोचन ने की?
संगीत दर्पण
मंशोल्लासा
संगीत चूडामणि
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
2
कवि लोचन ने 'संगीत चूडामणी' नामक ग्रंथ की रचना की।
लोचन ने कितने मेल माने हैं?
19
23
12 (अंतर्गत 75 राग)
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
2
कवि लोचन ने अपने 'राग तरंगिणी' ग्रंथ में 12 मेलों (थाटों) के अंतर्गत 75 रागों का वर्णन किया है।
कवि लोचन ने श्रुतियों की संख्या कितनी बताई है?
22
24
12
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
0
कवि लोचन ने श्रुतियों की संख्या 22 मानी है। भारतीय संगीत में श्रुतियों की कुल संख्या को लेकर विभिन्न मत मिलते हैं, लेकिन कवि लोचन ने 22 श्रुतियाँ स्वीकार की हैं।
नायक बकसू किसके दरबार में नियुक्त थे?
अकबर
दौलतराव सिंधिया
मानसिंह तोमर
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
2
नायक बकसू राजा मान सिंह तोमर (ग्वालियर) के दरबार के प्रसिद्ध संगीतज्ञ थे और ध्रुपद के विकास में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा।
‘मानकौतूहल’ ग्रंथ का अनूदित ग्रंथ कौन-सा है?
राग दर्पण
संगीत दर्पण
श्रुति दर्पण
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
0
मान सिंह तोमर के ग्रंथ 'मानकौतूहल' का फ़ारसी में अनुवाद फ़कीरूल्लाह ने 'राग दर्पण' नाम से किया था।
सोमनाथ ने कितने मेल माने हैं?
22
23
28
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
1
सोमनाथ (राग विबोध के लेखक) ने कुल 23 मेलों (थाटों) का वर्णन किया है।
भरत ने ‘काकू’ के कितने प्रकार बताए हैं?
2
3
6
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
2
भरत मुनि ने नाट्यशास्त्र में ‘काकू’ (स्वर की ध्वनि या उच्चारण शैली) के दो प्रकार बताए हैं। ये हैं:
साकांक्षा काकू (अपेक्षा युक्त): यह अपूर्ण वाक्य या भाव की अभिव्यक्ति के लिए उपयोग होता है, जिसमें उच्चारण में सस्पेंस या अपेक्षा पैदा होती है। यह गले और वक्ष स्थान से निकलने वाली ध्वनियों पर आधारित होता है, जो ऊँचे स्वर (तार) से शुरू होकर निचले स्वर (मंद्र) पर समाप्त होता है।
निराकांक्षा काकू (अपेक्षा रहित): यह पूर्ण वाक्य या भाव की अभिव्यक्ति के लिए उपयोग होता है, जिसमें समापन या स्पष्टता आती है। यह मस्तक स्थान से निकलने वाली ध्वनियों पर आधारित होता है, जो निचले स्वर (मंद्र) से शुरू होकर ऊँचे स्वर (तार) पर समाप्त होता है।
ये प्रकार नाट्यशास्त्र के अध्याय 19 में वर्णित हैं, जहाँ काकू को रस, भाव और वाचिक अभिनय के संदर्भ में समझाया गया है। बाद के ग्रंथों जैसे संगीत रत्नाकर में काकू के छह प्रकार बताए गए हैं, लेकिन भरत ने केवल दो का उल्लेख किया है।
भरत ने ‘काकू’ का वर्णन नाट्यशास्त्र के किस अध्याय में किया है?
30वाँ अध्याय
17वाँ अध्याय
29वाँ अध्याय
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
1
भरत मुनि ने नाट्यशास्त्र के 17वें अध्याय में 'वाचिक अभिनय' के अंतर्गत काकू (आवाज की भिन्नता) का वर्णन किया है।
‘वृहद्देशी’ किस भाषा में रचा गया?
प्राकृत
हिंदी
संस्कृत
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
2
मतंग मुनि कृत 'वृहद्देशी' (8वीं-9वीं शताब्दी) संस्कृत भाषा में रचा गया एक महत्वपूर्ण संगीत ग्रंथ है।
‘वृहद्देशी’ में कितने प्रकार के संगीत का वर्णन मिलता है?
5
2
4
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
1
मतंग ने अपने ग्रंथ में 'मार्ग संगीत' (शास्त्रीय/पारंपरिक) और 'देसी संगीत' (लोक/क्षेत्रीय) दो प्रकार के संगीत का वर्णन किया है।
राजन–साजन मिश्र किस घराने से संबंधित हैं?
आगरा घराना
बनारस घराना
लखनऊ घराना
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
1
पंडित राजन और साजन मिश्र बनारस घराने की प्रसिद्ध जोड़ी हैं।
भरतमुनि ने नृत्य के कितने प्रकार बताए हैं?
4
5
3
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
2
भरतमुनि ने 'नाट्यशास्त्र' में नृत्य के 3 प्रकार बताए हैं: नाट्य (अभिनय), नृत्त (ताल और लय पर आधारित शुद्ध नृत्य), और नृत्य (भाव और रस के साथ)।
कंप के आधार पर ‘गमक’ के कितने भेद होते हैं?
15
6
10
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
0
संगीत रत्नाकर के अनुसार, कंप के आधार पर गमक के 15 भेद होते हैं: तिरिप, स्फुरित, कम्पित, लोच, आन्दोलित, वलि, त्रिभिन्न, कुरुल, आहत, उल्लासित, प्लावित, गुम्फित, मुद्रित, नमित और मिश्रित। ये विभिन्न प्रकार के कंपित स्वर आंदोलनों को दर्शाते हैं, जिनका उपयोग भारतीय शास्त्रीय संगीत में रागों को सजाने के लिए किया जाता है।
अहोबल ने कितने ‘गमक’ माने हैं?
15
20
10
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
1
अहोबल ने ‘गमक’ के 20 प्रकार माने हैं। इन्हें उन्होंने अपने ग्रंथ ‘संगीत पारिजात’ में वर्णित किया है, जो 17वीं शताब्दी का एक महत्वपूर्ण संगीत ग्रंथ है। ये गमक स्वरों के कंपन और लयबद्ध गतियों पर आधारित हैं, जो रागों की अभिव्यक्ति को समृद्ध करते हैं। अहोबल के अनुसार, ये प्रकार शारंगदेव के 15 गमक से अधिक विस्तृत हैं और भरत मुनि के 10 से आगे विकसित हैं।
स्वर-रचना का संबंध किससे माना जाता है?
धातु
मातु
गद्य
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
0
संगीत में 'धातु' राग की स्वर-रचना (धुन) को संदर्भित करता है।
पद्य-रचना का संबंध किससे माना जाता है?
धातु
मातु
गद्य
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
1
संगीत में 'मातु' गीत के पद्य (बोल/साहित्य) को संदर्भित करता है।
ऋग्वैदिक काल में ‘संगीत’ के लिए किस शब्द का प्रयोग होता था?
गीर
गाथा
गीति
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
3
ऋग्वैदिक काल में संगीत के लिए 'गीर' (प्रशंसा/स्तुति), 'गाथा' (गीत) और 'गीति' (गायन) जैसे शब्दों का प्रयोग होता था।
ऋग्वेद की रचनाएँ स्वरावलियों में निबद्ध होने के कारण क्या कहलाती हैं?
स्त्रोत
गाथा
गीति
उपर्युक्त में से एक से अधिक
उपर्युक्त में से कोई नहीं
0
ऋग्वेद की रचनाएँ (ऋचाएँ) स्तुतिपरक होने के कारण 'स्त्रोत' कहलाती हैं, जो स्वरावलियों में गाए जाते थे। सामवेद में ये ही 'सामगान' कहलाए।
\u0935\u093E\u0939! \u0906\u092A\u0928\u0947 \u0915\u092E\u093E\u0932 \u0915\u0930 \u0926\u093F\u092F\u093E!
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\u092A\u094D\u0930\u092E\u093E\u0923 \u092A\u0924\u094D\u0930
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\u0917\u0932\u0924!
\u0906\u092A\u0915\u093E \u0909\u0924\u094D\u0924\u0930:
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/
\u0905\u0938\u092B\u0932 (FAIL)
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\u0936\u094D\u0930\u0947\u0937\u094D\u0920 (TOP)
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✓ \u0938\u0924\u094D\u092F\u093E\u092A\u093F\u0924
\u0917\u094D\u0930\u0947\u0921\u093F\u0902\u0917 \u092E\u093E\u0928\u0926\u0902\u0921
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\u0938\u092B\u0932 (PASS)
\u0905\u0938\u092B\u0932 (FAIL)