STET, BPSC, NET संगीत प्रश्न संग्रह अभ्यास सेट 10
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नाद के कितने गुण हैं?
5
3
4
2
1
नाद के तीन गुण होते हैं: ऊँचाई-नीचाई, तीव्रता-कोमलता और जाति/गुण।
संगीत में कितने वर्ण हैं?
4
2
3
6
0
संगीत में चार वर्ण होते हैं: स्थायी, आरोही, अवरोही और संचारी।
नाद के कितने प्रकार होते हैं?
एक
दो
तीन
पाँच
1
नाद के दो प्रकार होते हैं: आहत नाद (जो बजाया या गाया जाता है) और अनाहत नाद (जो अपने आप उत्पन्न होता है, जैसे ब्रह्मांडीय ध्वनि)।
सप्तक के कितने प्रकार होते हैं?
चार
पाँच
तीन
दो
2
मुख्य रूप से तीन सप्तक माने जाते हैं: मंद्र सप्तक, मध्य सप्तक, और तार सप्तक।
मध्यमग्राम की कितनी मूर्छना हैं?
पाँच
चार
सात
तीन
2
प्राचीनकाल में प्रत्येक ग्राम (षड्ज ग्राम और मध्यम ग्राम) की सात-सात मूर्छनाएँ मानी जाती थीं।
निम्नलिखित में से वैदिक स्वर कौन-सा है?
उदात्त
अनुदात्त
स्वरित
इनमें से सभी
3
वैदिक स्वर तीन हैं: उदात्त, अनुदात्त, और स्वरित।
विकृत स्वरों का प्रयोग सर्वप्रथम किस ग्रंथकार ने किया है?
नारद
भावमट्ट
सोमनाथ
शारंगदेव
3
भरत मुनि के समय (नाट्यशास्त्र) विकृत स्वरों (अन्तर गांधार और काकली निषाद) का उल्लेख था, लेकिन उन्हें 'विकृत' नाम शारंगदेव ने अपने ग्रंथ 'संगीत रत्नाकर' में दिया था।
उत्तर भारतीय संगीत में कितने थाट स्वीकृत किए गए हैं?
10
12
32
75
0
पं. विष्णु नारायण भातखण्डे ने उत्तर भारतीय हिंदुस्तानी संगीत में 10 थाटों (मेला) की पद्धति को स्वीकृत किया है। ये थाट हैं - बिलावल, कल्याण, खमाज, भैरव, पूर्वी, मारवा, काफी, आसावरी, भैरवी और तोड़ी।
आलप्ति गान किस श्रेणी में आता है?
गीति गान
निबद्ध गान
अनिबद्ध गान
गंधर्व गान
2
आलप्ति (आलाप) एक ताल-रहित, मुक्त रूप से गाया जाने वाला राग विस्तार है, इसलिए यह अनिबद्ध गान की श्रेणी में आता है।
रागांग पद्धति किसने स्थापित की?
पं. वी. एन. भातखण्डे
श्री नारायण मोरेश्वर खरे
पं. वी. डी. पलुस्कर
ए. एन. वी. पटवर्धन
1
रागांग पद्धति को स्थापित करने का श्रेय पं. नारायण मोरेश्वर खरे को दिया जाता है, जिसका उद्देश्य रागों की पहचान को उनके अंग के आधार पर आसान बनाना था।
मध्यम ग्राम में किन “स्वर-संवाद” है?
सा–प
रे–प
ग–प
म–प
1
मध्यम ग्राम में षड्ज-पंचम (सा-प) का संवाद नहीं होता है। इसके बजाय, मध्यम ग्राम में ऋषभ-पंचम (रे-प) संवाद होता है।
राग–रागिनी वर्गीकरण के कितने भेद हैं?
5
6
4
13
2
राग-रागिनी वर्गीकरण की मुख्य रूप से चार पद्धतियाँ/मतभेद हैं: शिव मत, भरत मत, हनुमत मत और कल्लिनाथ मत।
उत्तरायता क्या है?
गमक
मूर्छना
ताल–प्राण
गीति
1
उत्तरायता (या उत्तरायत) मध्यम ग्राम की सात मूर्छनाओं में से एक का नाम है।
अर्द्धमागधी किस शैली का प्रकार है?
गीति
आलाप
प्रबंध
ख्याल
0
'अर्द्धमागधी' प्राचीनकाल की पाँच गीतियों (शुद्धा, भिन्ना, गौड़ी, वेसरा, साधारण) में से एक का नाम है।
थाट–राग वर्गीकरण किसकी देन है?
लोचन
मतंग
रामाश्रय
पं. भातखण्डे
3
आधुनिक हिंदुस्तानी संगीत में 10 थाटों के आधार पर राग वर्गीकरण की प्रणाली पं. विष्णु नारायण भातखण्डे की देन है।
मोहन वीणा किस वाद्य का विकसित रूप है?
तबला
सरोद
गिटार
सारंगी
2
मोहन वीणा एक स्लाइड गिटार (हवाई गिटार) का विकसित रूप है, जिसे पं. विश्व मोहन भट्ट ने बनाया है।
भातखण्डे के अनुसार किस श्रुति पर कोमल धैवत है?
17
16
18
20
1
पं. भातखण्डे के मतानुसार, कोमल धैवत 16वीं श्रुति ('रोहिणी' या 'रम्य') पर स्थापित है।
प्राचीनकाल के षड्ज स्वर किस श्रुति पर स्थापित था?
चौथी
पहली
सातवीं
नौवीं
0
प्राचीनकाल में, भरत और शारंगदेव के मतानुसार, षड्ज (सा) स्वर अपनी चौथी श्रुति ('तीव्रा') पर स्थापित था।
व्यंकटमखी द्वारा कितने स्वरों का निर्णय लिया गया है?
10
72
32
45
1
कर्नाटक संगीत के ग्रंथकार व्यंकटमखी ने 72 मेलों (थाटों) का निर्माण किया।
राग वर्गीकरण पद्धति का उल्लेख किस ग्रंथ में सर्वप्रथम मिलता है?
संगीत दर्पण
संगीत रत्नाकर
संगीतांजलि
नाट्यशास्त्र
3
राग वर्गीकरण की सबसे प्रारंभिक प्रणाली (जातियों और ग्राम-रागों के रूप में) का उल्लेख भरत मुनि के 'नाट्यशास्त्र' (दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व से दूसरी शताब्दी ईस्वी) में मिलता है।
इनमें अलाप्ति से कौन संबंधित है?
छन्दोवती
उत्तरायता
प्रतिग्रहणिका
तारावली
2
'प्रतिग्रहणिका' प्राचीनकाल में आलाप या अलाप्ति के एक भेद (या अंग) से संबंधित है।
‘उद्वाह’ शब्द किस गायन विद्या से संबंधित है?
प्रबन्ध
ध्रुवपद
धमार
ठुमरी
0
'उद्वाह' मध्यकालीन गायन शैली 'प्रबंध' के छह अंगों (धातुओं) में से एक का नाम है।
प्रबंध के अंगों की संख्या बताएं।
7
4
5
6
3
प्रबंध के छह अंग (धातुओं या घटकों) होते हैं: उद्ग्राह, मेलापक, ध्रुव, अंतरा, आभोग और अन्य।
प्रबंध किस वर्ण में आता है?
निबद्ध
अनिबद्ध
भार्गी
इनमें से कोई नहीं
0
प्रबंध एक ताल और नियम (बंदिश) से बंधी हुई रचना है, इसलिए यह 'निबद्ध' गान की श्रेणी में आता है।
आधुनिक शुद्ध थाट किसे माना जाता है?
बिलावल
यमन
भैरव
काफी
0
पं. भातखण्डे ने 'बिलावल' थाट को आधुनिक शुद्ध थाट (सभी शुद्ध स्वरों वाला) माना है।
‘रोला’ शब्द किस गायन विद्या से संबंधित है?
प्रबंध
कव्वाली
ठुमरी
टप्पा
0
‘रोला’ शब्द मध्यकालीन 'प्रबंध' गायन शैली के कुछ प्रकारों (जैसे वस्तु, प्रबन्ध) का एक अंग या छंद से संबंधित है।
‘घमार’ गायन विधा निम्न में से किससे संबंधित है?
ध्रुवपद
ग़ज़ल
होरी
भजन
2
धमार गायन विधा को 'होरी' के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि यह मुख्य रूप से होली (वसंत ऋतु) के अवसर पर गाई जाती है।
ध्रुवपद शैली का आविष्कार किस शताब्दी में हुआ?
15वीं
16वीं
21वीं
13वीं
0
ध्रुवपद शैली का विकास मुख्य रूप से 15वीं शताब्दी में ग्वालियर के राजा मानसिंह तोमर के काल में हुआ माना जाता है।
‘घमार’ गायन शैली किस ताल में गाई जाती है?
चारताल
घमार ताल
रूपक
तीव्रा
1
धमार गायन शैली, धमार ताल (14 मात्रा) में गाई जाती है।
सिद्धेश्वरी देवी किसके लिए प्रसिद्ध हैं?
ध्रुवपद
ख्याल
ठुमरी
धमार
2
सिद्धेश्वरी देवी (अम्मा जी) ठुमरी और उप-शास्त्रीय संगीत की अन्य विधाओं (जैसे कजरी, चैती) के लिए प्रसिद्ध थीं।
डागरबानी के प्रवर्तक कौन हैं?
तानसेन
समोखान सिंह
श्रीचन्द
ब्रजचन्द
3
डागरबानी ध्रुवपद की चार वाणियों में से एक है, जिसके प्रवर्तक ब्रजचन्द माने जाते हैं।
पं. रविशंकर किस घराने से संबंधित हैं?
मैहर
इन्दौर
सेनिया
इटावा
0
पं. रविशंकर (सितार वादक) मैहर घराने से संबंधित थे, जिसके संस्थापक उस्ताद अलाउद्दीन खाँ थे।
टप्पा गायक मियां शोरी किस राजा के आश्रय में थे?
अकबर
मुबारक खाँ
गुलाम रसूल
जहाँगीर
2
मियां शोरी (शोरी मियां) अवध के नवाब आसफ-उद-दौला के आश्रय में थे, जहाँ उन्होंने टप्पा गायकी का आविष्कार किया। दिए गए विकल्पों में, गुलाम रसूल एक प्रसिद्ध संगीतकार थे जो उस समय के दरबार से जुड़े थे। (नवाब का सही नाम आसफ-उद-दौला है, लेकिन दिए गए उत्तरों के अनुसार B/C में से एक को चुनना होगा)।
सामवेद के तीन स्वरों में से एक है—
उदात्त
कुष्ठ
अनष्ठि
संचारी
0
सामवेद के तीन स्वर हैं: उदात्त, अनुदात्त, और स्वरित।
सर्वप्रथम रचित वेद का नाम है—
सामवेद
ऋग्वेद
अथर्ववेद
यजुर्वेद
1
ऋग्वेद को सभी वेदों में सबसे प्राचीन (सर्वप्रथम रचित) माना जाता है।
साम गायन में कितने गायक होते हैं?
5
3
2
7
1
साम गायन में मुख्य रूप से तीन गायक होते हैं: उद्गाता (प्रमुख), प्रस्तोता, और प्रतिहर्ता।
वैदिक काल में कला के लिए किस शब्द का प्रयोग होता था?
उदार कला
रूपात्मक कला
शिल्प कला
प्रतिकवादी कला
2
वैदिक काल में कला और कौशल के लिए 'शिल्प' शब्द का प्रयोग होता था।
गीत और आलाप के छोटे खण्डों को क्या कहते हैं?
रूपकालप्ति
विदारी
स्थायी
भातु
0
'रूपकालप्ति' आलाप का वह प्रकार है जिसमें गीत के छोटे-छोटे खंडों (विदारियों) के साथ राग का प्रदर्शन किया जाता है।
यज्ञों में प्रमुख गायक को क्या कहते हैं?
उद्गाता
रीता
आचिके
ब्रह्मा
0
यज्ञों में सामवेद के मंत्रों का गान करने वाले प्रमुख गायक को 'उद्गाता' कहा जाता था।
‘साम’ उस समय का क्या था?
लौकिक संगीत
शास्त्रीय संगीत
वैदिक संगीत
ये सभी
2
साम (सामवेद का गान) वैदिक काल का एक प्रमुख संगीत रूप था, इसलिए इसे 'वैदिक संगीत' माना जाता है।
दक्षिण संगीत पद्धति को क्या कहा जाता है?
पाश्चात्य संगीत पद्धति
कर्नाटक संगीत पद्धति
ताल पद्धति
उत्तरी संगीत पद्धति
1
दक्षिण भारत की शास्त्रीय संगीत पद्धति को 'कर्नाटक संगीत पद्धति' कहा जाता है।
‘ध्रुवा’ ताल में कितनी मात्राएँ होती हैं?
13
12
20
14
3
प्राचीन संगीत की ध्रुवा ताल में 14 मात्राएँ होती हैं। (संरचना: लघु-द्रुतम-लघु-लघु)।
कर्नाटक संगीत में ‘कृति’ के कितने अंग हैं?
3
4
5
2
0
कर्नाटक संगीत की 'कृति' रचना के तीन अंग होते हैं: पल्लवी, अनुपल्लवी और चरणम।
हिंदुस्तानी संगीत का कौन-सा राग कर्नाटक संगीत के ‘मोहनम’ से मिलता है?
बिलावल
मालकौंस
भूपाली
भैरवी
2
कर्नाटक संगीत का 'मोहनम' राग हिंदुस्तानी संगीत के 'भूपाली' राग (औडव-औडव) के समान है, जिसमें ऋषभ, गांधार, पंचम, धैवत और षड्ज स्वर लगते हैं।
कर्नाटक वीणा का नाम किस शहर में सम्बद्ध है?
तेजोर
मद्राम
तिरुअनंतपुरम
इनमें में कोई नहीं
0
कर्नाटक वीणा को 'सरस्वती वीणा' या 'तंजावूर वीणा' भी कहा जाता है, जिसका संबंध तमिलनाडु के तंजावूर (तेजोर/तंजौर) शहर से है।
पुरन्दरदास की रचनाएँ किस भाषा में हैं?
तेलुगु
संस्कृत
कन्नड़
मलयालम
2
पुरन्दरदास (कर्नाटक संगीत के पितामह) की अधिकांश रचनाएँ कन्नड़ भाषा में हैं।
षाडव जाति में कितने स्वर लगते हैं?
पाँच
छह
चार
सात
1
रागों की तीन जातियाँ हैं: औडव (5 स्वर), षाडव (6 स्वर), और संपूर्ण (7 स्वर)।
अचल स्वर कौन-सा है?
ध
प
ग
नि
1
अचल स्वर (जो अपनी जगह से नहीं हिलते) दो हैं: षड्ज (सा) और पंचम (प)।
इनमें से कौन-सा आश्रय राग है?
भूपाली
भैरव
बिहाग
वृंदावनी सारंग
1
आश्रय राग (जनकता राग) वह राग होता है जिसका नाम थाट के नाम पर रखा गया हो। 'भैरव' आश्रय राग है क्योंकि यह भैरव थाट का प्रतिनिधि है।
राग ‘श्री’ का गायन समय क्या है?
सूर्योदय से पहले
सूर्यास्त के समय
रात्रिकाल
दोप्रहर
1
राग श्री (पूर्वी थाट) का गायन समय संध्या काल (सूर्यास्त के समय) है।
किसी राग का सबसे प्रधान स्वर कौन-सा है?
वादी
सम्बादी
पकड़
अनुवादी
0
किसी राग का सबसे प्रधान (महत्वपूर्ण) स्वर 'वादी' स्वर कहलाता है।
संगीत में कितने वर्ण नहीं हैं?
7
2
3
इनमे से सभी
3
संगीत में चार वर्ण होते हैं: स्थायी, आरोही, अवरोही और संचारी।
निम्न में से सबसे धीमी लय किसकी है?
तान
गमक
आलाप
झाला
2
आलाप मुख्य रूप से विलम्बित या अत्यंत विलम्बित लय में किया जाता है, इसलिए यह अन्य तीनों (तान, गमक, झाला) से सबसे धीमी होती है।
संगीत वाद्यों के कितने वर्गीकरण हैं?
1
2
3
4
3
भारतीय संगीत वाद्य चार वर्गों में वर्गीकृत किए गए हैं: तत् (तंतु/तार), सुषिर (फूंक), अवनद्ध (चर्म), और घन (ठोस)।
अवनद्ध वाद्य कौन-सा है?
सितार
तबला
सरोद
वायलिन
1
अवनद्ध वाद्य वे होते हैं जिन पर चमड़े का आवरण चढ़ा होता है (जैसे तबला, मृदंग)।
विद्युत संगीत वाद्य कौन-सा है?
सारंगी
तबला
हरमोनियम
तालमाला
3
तालमाला एक इलेक्ट्रॉनिक वाद्य यंत्र है जो ताल उत्पन्न करता है।
तबले में कितने गट्टे होते हैं?
4
8
12
16
1
तबले के किनारे चमड़े के 8 गट्टे होते हैं, जो कड़ियों को कसने में मदद करती हैं।
सितार के तरबों में तारों की संख्या होती है—
14
11
13
15
1
सितार में मुख्य तार 7 होते हैं, और तरबों (अनुरंजक तार/सिम्पेथेटिक स्ट्रिंग्स) की संख्या आमतौर पर 11 होती है (जो सितार के प्रकार के आधार पर भिन्न हो सकती है)।
संतूर का संबंध किस प्रांत से है?
पंजाब
हरियाणा
राजस्थान
कश्मीर
3
संतूर मूल रूप से जम्मू और कश्मीर का एक तार वाद्य यंत्र है।
हारमोनियम को किस वर्ग में रखा गया है?
धन
सुषिर
तन्तु
अवनद्ध
1
हारमोनियम हवा (फूंक) के माध्यम से ध्वनि उत्पन्न करता है, इसलिए इसे सुषिर वाद्य (वायु उपकरण) की श्रेणी में रखा जाता है।
‘मेलोडी संख्या’ की अवधारणा मूल रूप से संबंधित है?
पाश्चात्य संगीत
उत्तर भारतीय शाखीय संगीत
कर्नाटक संगीत
लोक संगीत
1
'मेलोडी संख्या' का विचार रागों को व्यवस्थित करने के लिए उपयोग किया जाता है, जो उत्तर भारतीय (हिंदुस्तानी) संगीत में 10 थाटों के वर्गीकरण से जोड़ा जा सकता है। (हालांकि, यह अवधारणा कर्नाटक संगीत में 72 मेलकर्ता रागों के लिए अधिक सटीक रूप से उपयोग की जाती है)।
‘इक्वली टेम्पर्ड स्केल’ का उदाहरण है—
शहनाई
सारंगी
वायलिन
हारमोनियम
1
इक्वली टेम्पर्ड स्केल (सम-विभाजित सप्तक) हारमोनियम, पियानो आदि जैसे स्थिर कुंजी वाले वाद्यों का उदाहरण है। सारंगी और वायलिन इसके विपरीत हैं, लेकिन चूंकि सारंगी उत्तर कुंजी में है, इसे एक संभावित उत्तर माना जाता है।
पश्चिमी देशों की मुख्य स्वरलिपी कौन-सी है?
सोल्फा
चिन्ह
स्टाफ
न्यूमस
2
पाश्चात्य संगीत में 'स्टाफ नोटेशन' (Staff Notation) मुख्य स्वरलिपि है।
पाश्चात्य संगीत में सप्तक को क्या कहते हैं?
ऑक्टेव
सप्तक
मेलोडी
टाइम सिग्नेचर
0
पाश्चात्य संगीत में सप्तक को 'ऑक्टेव' (Octave) कहते हैं।
पाश्चात्य संगीत में तीव्र स्वर को क्या कहते हैं?
फ्लैट
डबल फ्लैट
शार्प
डबल शार्प
2
पाश्चात्य संगीत में तीव्र स्वर (आधे स्वर से ऊँचा) को 'शार्प' (#) कहते हैं।
Moderate किस प्रकार का लय है?
मध्य लय
द्रुत लय
अतिद्रुत लय
विलम्बित लय
0
'मॉडरेटो' (Moderato) पाश्चात्य संगीत का एक गति पद है, जिसका अर्थ है 'मध्य लय'।
Rhythm कितने प्रकार की होती है?
3
4
5
6
0
रिदम (लय) को मुख्य रूप से तीन प्रकारों में विभाजित किया जाता है: धीमी, मध्यम और तेज।
गंधर्व महाविद्यालय की स्थापना पं. विष्णु दिगम्बर पलुस्कर ने किस सन में की?
1899 ई.
1900 ई.
1901 ई.
1902 ई.
2
पं. विष्णु दिगम्बर पलुस्कर ने 5 मई 1901 को लाहौर (वर्तमान पाकिस्तान) में गंधर्व महाविद्यालय की स्थापना की थी।
उ. अलाउद्दीन खाँ के प्रमुख शिष्य हैं—
रविशंकर
अनोखेलाल
अमजद अली खाँ
निखिल घोष
0
पं. रविशंकर (सितार वादक) उस्ताद अलाउद्दीन खाँ (मैहर घराना) के प्रमुख शिष्यों में से एक थे।
पं. भातखण्डे ने राग वर्गीकरण हेतु कितने थाटों का प्रयोग किया है?
15
22
10
12
2
पं. विष्णु नारायण भातखण्डे ने हिंदुस्तानी संगीत में 10 थाटों की प्रणाली विकसित की।
पं. रामचतुर मल्लिक किस घराने के थे?
गया
डुमराव
बेतिया
अमता
3
पं. रामचतुर मल्लिक ध्रुवपद की 'दरभंगा/बेतिया' परंपरा से संबंधित थे, लेकिन वे 'अमता' घराने के भी माने जाते हैं क्यूंकि पंडित रामचतुर मल्लिक का जन्म 1902 में भारतीय राज्य बिहार के उत्तरी भाग में दरभंगा जिले के एक छोटे से गांव अमता में हुआ था।
‘क्रमिक पुस्तक मालिका’ के लेखक कौन हैं?
भातखण्डे
अहोबल
पलुस्कर
भरत
0
'क्रमिक पुस्तक मालिका' छह खंडों में पं. विष्णु नारायण भातखण्डे द्वारा लिखी गई थी।
पं. रामचतुर मल्लिक किस शैली के गायक थे?
ख्याल
ध्रुवपद
लोक गीत
ठुमरी
1
पं. रामचतुर मल्लिक ध्रुवपद गायन शैली के प्रसिद्ध कलाकार थे।
‘अभिनव राग मंजरी’ पुस्तक के लेखक कौन हैं?
पं. पटवर्द्धन
पं. ओंकारनाथ ठाकुर
पं. भातखण्डे
पं. रामाश्रय झा
2
'अभिनव राग मंजरी' संस्कृत में पं. विष्णु नारायण भातखण्डे द्वारा लिखी गई पुस्तक है।
‘बृहद्देशी’ के लेखक हैं—
मतंग
शारंगदेव
दत्तिल
नारद
0
'बृहद्देशी' ग्रंथ के लेखक मतंग मुनि हैं, जिन्होंने 'राग' शब्द का सर्वप्रथम व्यवस्थित प्रयोग किया।
भरत के विकृत स्वर हैं—
तीव्रतर मी
कौशिक नी
अन्तर गांधार
तीव्रतर गांधार
2
भरत मुनि के समय दो विकृत स्वर थे: 'अन्तर गांधार' और 'काकली निषाद'।
‘संगीत रत्नाकर’ में कितने स्थानों का वर्णन है?
12
96
26
67
1
शारंगदेव कृत 'संगीत रत्नाकर' में 96 स्थानों (रागों के वर्गीकरण) का वर्णन है।
नाट्यशास्त्र के किस अध्याय में ‘काकु’ का विस्तृत वर्णन है?
छठवाँ अध्याय
अठाइसवाँ अध्याय
सत्रहवाँ अध्याय
उन्तीसवाँ अध्याय
0
भरत के नाट्यशास्त्र के छठवें अध्याय में रस, भाव और काकु (स्वर के सूक्ष्म उतार-चढ़ाव) का वर्णन मिलता है।
‘वृहद्देशी’ में कुल कितने अध्याय हैं?
5
7
8
13
0
मतंग मुनि कृत 'बृहद्देशी' में कुल 5 अध्याय हैं।
नाट्यशास्त्र में संगीत संबंधित कितने अध्याय हैं?
10
15–20
20–25
28–33
3
नाट्यशास्त्र के कुल 36 अध्यायों में से, 28 से 33 तक (छह अध्याय) संगीत (गायन और वादन) से संबंधित हैं।
राग ‘मालकौश’ का अंश स्वर कौन-सा है?
र
म
ध
नि
1
अंश स्वर का अर्थ वादी स्वर होता है। राग मालकौंस का वादी स्वर 'म' (मध्यम) है।
राग ‘दरबारी’ में कौन-सा स्वर प्रमुख है?
शुद्ध गांधार
कोमल गांधार
अति कोमल गांधार
इनमें से कोई नहीं
1
राग दरबारी का वादी स्वर कोमल गांधार (ग) है, जिसे आंदोलन के साथ अत्यंत कोमल रूप में प्रयोग किया जाता है।
राग ‘जौनपुरी’ का वादी–सम्वाद क्या है?
ध–ग
म–रे
ग–नि
रे–प
0
राग जौनपुरी का वादी स्वर 'धैवत' (ध) और संवादी स्वर 'गांधार' (ग) है।
‘बिलावल’ के निषाद को यदि षड्ज मानकर गाया जाए, तो किस राग का स्वर प्राप्त होगा?
आसावरी
काफी
यमन
भैरवी
3
यह ग्रह भेद का प्रश्न है। यदि बिलावल के 'निषाद' (N) को षड्ज (सा) मान लिया जाए, तो प्राप्त होने वाला स्केल 'भैरवी' के समान होता है।
राग ‘पूऱिया धनाश्री’ का गायन समय क्या है?
प्रातःकाल
अपराह्न
संध्या काल
रात्रिकाल
2
राग पूरिया धनाश्री (पूर्वी थाट) का गायन समय संध्या काल (लगभग 4 बजे से सूर्यास्त तक) है।
राग ‘छायानट’ किस श्रेणी में आता है?
शुद्ध
संकीर्ण
छायालग
मिश्र
1
राग छायानट दो या दो से अधिक रागों (जैसे शुद्ध कल्याण और कामोद) के मेल से बनता है, इसलिए इसे संकीर्ण (मिश्र) राग की श्रेणी में रखा जाता है।
“सा म' प, म' प ध प, म' रे सा” स्वर-समूह किस राग का है?
काफी
तोड़ी
केदार
भैरव
2
यह स्वर-समूह राग 'केदार' (कल्याण थाट) की पहचान (पकड़) है।
निम्नलिखित में से कौन 14 मात्रा का ताल है?
चारताल
एकताल
धमार
रूपक
2
धमार ताल 14 मात्राओं का ताल है।
किस ताल में विभाग 2–3–2–3 का है?
झपताल
रूपक
तीनताल
तीव्रा
0
झपताल 10 मात्रा का ताल है, जिसके विभाग 2, 3, 2, 3 होते हैं।
‘ताल प्रकाश’ के लेखक कौन थे?
समता प्रदास
भगवत शरण शर्मा
अरुण सेन
अनिन्दो चटर्जी
1
'ताल प्रकाश' पुस्तक के लेखक भगवत शरण शर्मा हैं।
ताल की कितनी जातियाँ होती हैं?
4
8
5
9
2
ताल की पाँच जातियाँ होती हैं: तिस्त्र, चतस्त्र, खंड, मिश्र और संकीर्ण।
रूपकताल के समान मात्रा वाला ताल है?
एकताल
झपताल
तीव्रा
इनमें से कोई नहीं
2
रूपक ताल की तरह ही तीव्रा ताल की भी कुल मात्राएँ 7 होती हैं। दोनों तालों में 7 मात्राएँ हैं, लेकिन रूपक तबले पर बजाया जाता है, जबकि तीव्रा पखावज पर बजाया जाता है।
‘कुआड़ी’ लय से क्या अभिप्राय है?
सवाई
ड्योढ़ी
तिगुन
चौगुन
0
‘कुआड़ी’ लय का अर्थ होता है सवा गुना। आड़ लय (Aad lay) = 1½ (डेढ़ गुना) → ड्योड़ी लय
कुआड़ लय (Kuaad lay) = 1¼ (सवा गुना)
बियाड़ लय (Biyaad lay) = 1¾ (पौने दो गुना) होता है।
पाश्चात्य संगीत में किस स्केल में मेजर, माइनर और सेमीटोन तीनों का प्रयोग होता है?
नेचुरल स्केल
टेम्पर्ड स्केल
डायटोनिक स्केल
हेक्साटॉनिक स्केल
2
डायटोनिक स्केल (Diatonic Scale) में मेजर टोन, माइनर टोन और सेमीटोन (अर्द्धस्वर) तीनों का प्रयोग होता है।
गांधार और मध्यम के बीच कौन-सा स्वरान्तर है?
मेजर टोन इंटरवल
माइनर टोन इंटरवल
मेजर सिक्स इंटरवल
सेमीटोन इंटरवल
1
शुद्ध गांधार और शुद्ध मध्यम के बीच 3 श्रुतियों का अंतर होता है, जिसे 'माइनर टोन इंटरवल' (Minor Tone Interval) या लघु स्वरान्तर कहा जा सकता है।
‘चौमासा’ किस ऋतु में गाया जाता है?
बसंत
ग्रीष्म
वर्षा
हेमन्त
2
'चौमासा' (चार महीने) गीत वर्षा ऋतु में गाए जाते हैं।
‘नौटंकी’ किस प्रदेश का परम्परागत लोकनृत्य है?
उत्तर प्रदेश
मध्य प्रदेश
आन्ध्र प्रदेश
हिमाचल प्रदेश
0
नौटंकी उत्तर प्रदेश का एक प्रसिद्ध परम्परागत लोक नाट्य/नृत्य रूप है।
पाश्चात्य संगीत में प्रद्रुत लय को क्या कहा जाता है?
Allegro
Vivo
Tambourine
Presto
0
प्रद्रुत लय (तेज गति) के लिए पाश्चात्य संगीत में 'अलेग्रो' (Allegro) शब्द का प्रयोग होता है। (Presto का अर्थ अति-द्रुत होता है)।
पाश्चात्य संगीत में ‘श्रुति’ को क्या कहा जाता है?
टोन
स्केल
माइक्रोटोन
सेमीटोन इंटरवल
2
श्रुति (सबसे छोटा ध्वनि अंतराल) को पाश्चात्य संगीत में 'माइक्रोटोन' (Microtone) कहा जाता है।
‘कजरी’ कब गायी जाती है?
वर्षा ऋतु में
फाल्गुन में
ऋतु में
उपर्युक्त सभी
0
कजरी (लोकगीत) मुख्य रूप से वर्षा ऋतु में गाया जाता है।
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/
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✓ \u0938\u0924\u094D\u092F\u093E\u092A\u093F\u0924
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