BPSC TRE 3.0 EXAM (22-July-2024) Class (11th - 12th)
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- किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी की स्थिति में आपको टूर्नामेंट से अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा।
नियम:
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- प्रत्येक सही उत्तर के लिए आपको 1 अंक मिलेगा।
- कोई नकारात्मक अंकन नहीं होगा।
- टूर्नामेंट समाप्त होने के बाद, परिणामों की घोषणा की जाएगी।
- विजेताओं को पुरस्कार वितरण समारोह में आमंत्रित किया जाएगा।
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ख्याल गायन शैली के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?
A. रचना में स्थाई और अंतरा शामिल है
B. विभिन्न प्रकार के तानों का उपयोग किया जाता है
C. सदारंग और अदारंग ने कई ख्याल रचनाएँ रचीं
D. उपर्युक्त में से एक से अधिक
E. उपर्युक्त में से कोई नहीं
3
ख्याल गायकी के बारे में दिए गए सभी कथन (A, B, और C) सही हैं। ख्याल रचना के दो मुख्य भाग स्थायी और अंतरा होते हैं, इसमें विभिन्न प्रकार की तानों का प्रयोग इसकी विशेषता है, और 18वीं शताब्दी के संगीतकार सदारंग और अदारंग को ख्याल के कई प्रसिद्ध रचनाओं का श्रेय दिया जाता है।
एम.एस. गोपालकृष्णन मूलतः उस्ताद थे—
A. सारंगी
B. शहनाई
C. वायलिन
D. उपर्युक्त में से एक से अधिक
E. उपर्युक्त में से कोई नहीं
2
एम.एस. गोपालकृष्णन एक विश्व प्रसिद्ध वायलिन वादक थे। वह हिंदुस्तानी और कर्नाटक दोनों संगीत शैलियों में अपनी महारत के लिए जाने जाते थे।
अलाउद्दीन नाम किससे जुड़ा है?
A. सरोद
B. बांसुरी
C. तबला
D. उपर्युक्त में से एक से अधिक
E. उपर्युक्त में से कोई नहीं
0
उस्ताद अलाउद्दीन खान 20वीं सदी के एक महान संगीतकार और गुरु थे, जो मुख्य रूप से सरोद वादन के लिए जाने जाते थे। उन्होंने मैहर घराने की स्थापना की।
कथकली शास्त्रीय नृत्य है—
A. कर्नाटक संगीत
B. हिंदुस्तानी संगीत
C. पंजाब का लोक संगीत
D. उपर्युक्त में से एक से अधिक
E. उपर्युक्त में से कोई नहीं
0
कथकली केरल का एक शास्त्रीय नृत्य-नाटिका है। इस नृत्य शैली के साथ प्रस्तुत होने वाला संगीत पारंपरिक रूप से कर्नाटक संगीत पद्धति पर आधारित होता है।
संगीतकारों और उनके वाद्ययंत्रों की निम्नलिखित में से कौन सी जोड़ी सही है?
A. हरिप्रसाद चौरसिया — शहनाई
B. एन. राजन — सितार
C. पंडित राम नारायण — सारंगी
D. उपर्युक्त में से एक से अधिक
E. उपर्युक्त में से कोई नहीं
2
सही जोड़ी C है। पंडित राम नारायण एक महान सारंगी वादक हैं। हरिप्रसाद चौरसिया बांसुरी बजाते हैं और एन. राजम एक वायलिन वादक हैं।
ताल में तिट-कत-गादि-गन बोल का प्रयोग किया जाता है—
A. चौताल
B. सूलताल
C. तीव्राताल
D. उपर्युक्त में से एक से अधिक
E. उपर्युक्त में से कोई नहीं
3
‘तिट-कत-गादि-गन’ पखावज के विशिष्ट बोल हैं। इन बोलों का प्रयोग विभिन्न गंभीर तालों जैसे चौताल, सूलताल, तीव्राताल आदि में रची गई परनों और रचनाओं में किया जाता है, इसलिए 'उपर्युक्त में से एक से अधिक' सही उत्तर है।
चतुर्दण्डी प्रकाशिका में सम्मिलित है—
A. गीत
B. आलाप
C. प्रबंध
D. उपर्युक्त में से एक से अधिक
E. उपर्युक्त में से कोई नहीं
3
वेंकटमखिन द्वारा रचित 'चतुर्दण्डी प्रकाशिका' कर्नाटक संगीत का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है। इसमें गीत (रचना), आलाप (राग विस्तार), और प्रबंध (एक संरचित रचना) जैसे संगीत के विभिन्न पहलुओं का विस्तृत वर्णन है। अतः सभी विकल्प इसमें सम्मिलित हैं।
तंजौर वीणा के नाम से भी जाना जाता है—
A. सरस्वती वीणा
B. विचित्र वीणा
C. रूद्र वीणा
D. उपर्युक्त में से एक से अधिक
E. उपर्युक्त में से कोई नहीं
0
कर्नाटक संगीत में प्रयुक्त होने वाली मुख्य वीणा को 'सरस्वती वीणा' कहा जाता है। इसे 'तंजौर वीणा' के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि तंजौर क्षेत्र वीणा निर्माण और वादन की परंपरा का एक प्रमुख केंद्र रहा है।
पहले कर्नाटक संगीतकार जिन्हें भारत रत्न पुरस्कार मिला—
A. टी.एम. कृष्णा
B. एम.एस. सुब्बुलक्ष्मी
C. डॉ. एम. बालमुरलीकृष्णन
D. उपर्युक्त में से एक से अधिक
E. उपर्युक्त में से कोई नहीं
1
मदुरै शनमुखावदिवु सुब्बुलक्ष्मी (एम.एस. सुब्बुलक्ष्मी) भारत की सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' प्राप्त करने वाली पहली संगीतकार थीं। उन्हें यह पुरस्कार वर्ष 1998 में प्रदान किया गया था।
‘सप्ताध्यायी’ के नाम से संगीतमय ग्रंथ प्रसिद्ध है—
A. स्वरमेल कलानिधि
B. नाट्यशास्त्र
C. संगीतरत्नाकर
D. उपर्युक्त में से एक से अधिक
E. उपर्युक्त में से कोई नहीं
2
शारंगदेव द्वारा 13वीं शताब्दी में रचित ग्रंथ 'संगीतरत्नाकर' को 'सप्ताध्यायी' भी कहा जाता है क्योंकि यह सात अध्यायों में विभाजित है। यह भारतीय संगीत के सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथों में से एक है।
हिंदुस्तानी संगीत का कौन सा संगीत रूप कर्नाटक संगीत के ‘जावली’ के समान है?
A. ध्रुपद
B. ठुमरी
C. तराना
D. उपर्युक्त में से एक से अधिक
E. उपर्युक्त में से कोई नहीं
1
कर्नाटक संगीत में 'जावली' एक हल्की, श्रृंगार-प्रधान और भावात्मक रचना है। इसका स्वरूप और भाव-भंगिमा हिंदुस्तानी संगीत की 'ठुमरी' शैली के बहुत समान है, जिसमें भी श्रृंगार और प्रेम की भावनाओं की प्रधानता होती है।
कर्नाटक संगीत का अग्रणी वास्तुकार किसे माना जाता है?
A. त्यागराज
B. मुथुस्वामी दीक्षितर
C. पुरंदर दास
D. उपर्युक्त में से एक से अधिक
E. उपर्युक्त में से कोई नहीं
2
पुरंदर दास को 'कर्नाटक संगीत का पितामह' कहा जाता है। उन्होंने कर्नाटक संगीत के शिक्षण के लिए प्रारंभिक अभ्यास (जैसे सरली वरसाई, जंट वरसाई) को व्यवस्थित किया और हजारों की संख्या में सरल कृतियों की रचना की, जिससे इस संगीत की नींव पड़ी।
हिंदुस्तानी संगीत में राग ‘मालकौंस’ कर्नाटक संगीत के समान है—
A. मोहनम्
B. हिंडोलम्
C. हंसध्वनि
D. उपर्युक्त में से एक से अधिक
E. उपर्युक्त में से कोई नहीं
1
हिंदुस्तानी संगीत का राग मालकौंस, कर्नाटक संगीत के राग हिंडोलम् के समकक्ष है। दोनों ही औडव (पांच स्वरों वाले) जाति के राग हैं और उनमें समान स्वर लगते हैं (सा ग म ध नि, जहाँ ग, ध, नि कोमल होते हैं)।
जो संतूर वादन के लिए विख्यात हैं—
A. पं. शिवकुमार
B. उस्ताद जाकिर हुसैन
C. उस्ताद राशिद खान
D. उपर्युक्त में से एक से अधिक
E. उपर्युक्त में से कोई नहीं
0
पंडित शिवकुमार शर्मा एक विश्व प्रसिद्ध संतूर वादक थे। उन्हें संतूर को एक लोक वाद्य से शास्त्रीय संगीत के मंच पर स्थापित करने का श्रेय दिया जाता है। उस्ताद जाकिर हुसैन तबला वादक हैं और उस्ताद राशिद खान एक गायक हैं।
कर्नाटक संगीत में प्रयुक्त मूल तालें हैं—
A. 35
B. 7
C. 6
D. उपर्युक्त में से एक से अधिक
E. उपर्युक्त में से कोई नहीं
0
कर्नाटक संगीत में 7 मूल ताल (सूलदि सप्त ताल) हैं - ध्रुव, मठ्य, रूपक, झम्प, त्रिपुट, आढ, और एक। प्रत्येक ताल के 5 जाति भेद (तिश्र, चतुरश्र, खंड, मिश्र, संकीर्ण) होते हैं, जिससे कुल 7 x 5 = 35 ताल बनते हैं।
नाट्यशास्त्र में कितने अध्याय हैं?
A. 36
B. 28
C. 10
D. उपर्युक्त में से एक से अधिक
E. उपर्युक्त में से कोई नहीं
0
भरत मुनि द्वारा रचित 'नाट्यशास्त्र' को पारंपरिक रूप से 36 अध्यायों में विभाजित माना जाता है। यह ग्रंथ नाट्य, नृत्य और संगीत सहित प्रदर्शन कलाओं पर एक विस्तृत विवेचन है।
‘अलारिप्पु’ सम्बंधित है—
A. कुचिपुड़ी
B. मोहिनीयट्टम
C. भरतनाट्यम
D. उपर्युक्त में से एक से अधिक
E. उपर्युक्त में से कोई नहीं
2
अलारिप्पु, भरतनाट्यम नृत्य शैली का पहला प्रदर्शन होता है। यह एक शुद्ध नृत्य (नृत्त) है जिसमें लयबद्ध गति और सरल शारीरिक मुद्राओं के माध्यम से शरीर को मुख्य प्रदर्शन के लिए तैयार किया जाता है।
संगीत वाद्ययंत्रों द्वारा उत्पन्न ध्वनि मॉड्यूलेशन को कहा जाता है—
A. राग काकू
B. स्वर काकू
C. यंत्र काकू
D. उपर्युक्त में से एक से अधिक
E. उपर्युक्त में से कोई नहीं
2
काकू का अर्थ है ध्वनि का विशिष्ट उतार-चढ़ाव या मॉड्यूलेशन। जब यह मॉड्यूलेशन किसी वाद्य यंत्र (यंत्र) द्वारा उत्पन्न किया जाता है, तो उसे 'यंत्र काकू' कहा जाता है। इसी प्रकार, जब यह मानव स्वर द्वारा होता है, तो उसे 'स्वर काकू' कहते हैं।
संगीतरत्नाकर में वर्णित स्वरों की कुल संख्या है—
A. 21
B. 19
C. 26
D. उपर्युक्त में से एक से अधिक
E. उपर्युक्त में से कोई नहीं
1
शारंगदेव ने अपने ग्रंथ 'संगीतरत्नाकर' में कुल 19 स्वरों का उल्लेख किया है, जिसमें 7 शुद्ध स्वर और 12 विकृत स्वर शामिल हैं।
‘संगीत चिंतामणि’ के लेखक कौन हैं?
A. ओंकारनाथ ठाकुर
B. ठाकुर जयदेव सिंह
C. आचार्य के.सी.डी. बृहस्पति
D. उपर्युक्त में से एक से अधिक
E. उपर्युक्त में से कोई नहीं
2
'संगीत चिंतामणि' ग्रंथ के लेखक प्रसिद्ध संगीतज्ञ और विद्वान आचार्य कैलाश चंद्र देव बृहस्पति (के.सी.डी. बृहस्पति) हैं।
संगीत के ‘कव्वाली’ रूप का निर्माण किसके द्वारा किया गया था?
A. खुसरो खाँ
B. मोहम्मद शाह रंगीला
C. अमीर खुसरो
D. उपर्युक्त में से एक से अधिक
E. उपर्युक्त में से कोई नहीं
2
13वीं सदी के महान कवि, संगीतकार और विद्वान अमीर खुसरो को सूफी संगीत के 'कव्वाली' रूप का जनक माना जाता है। उन्होंने भारतीय और फारसी संगीत परंपराओं का मिश्रण करके इस शैली को जन्म दिया।
वास्तविक शोध कार्य शुरू करने से पहले कौन सा घटक सबसे महत्वपूर्ण है?
A. ग्रंथ सूची
B. रूपरेखा
C. फुटनोट्स
D. उपर्युक्त में से एक से अधिक
E. उपर्युक्त में से कोई नहीं
1
किसी भी शोध कार्य को शुरू करने से पहले एक विस्तृत रूपरेखा (Outline/Synopsis) बनाना सबसे महत्वपूर्ण होता है। रूपरेखा शोध के उद्देश्यों, कार्यप्रणाली, अध्यायों और दिशा को स्पष्ट करती है, जिससे शोध कार्य व्यवस्थित रूप से आगे बढ़ता है।
तार वाद्य यंत्र कौन सा है?
A. सुरबहार
B. हारमोनियम
C. नगाड़ा
D. उपर्युक्त में से एक से अधिक
E. उपर्युक्त में से कोई नहीं
0
सुरबहार एक तार वाद्य (String Instrument) है, जो सितार का एक बड़ा और गंभीर ध्वनि वाला संस्करण है। हारमोनियम एक कीबोर्ड वाद्य है और नगाड़ा एक ताल वाद्य (Percussion Instrument) है।
प्रबंध की ‘धातु’ कौन सी है?
A. उदग्रह
B. ध्रुव
C. मेलापक
D. उपर्युक्त में से एक से अधिक
E. उपर्युक्त में से कोई नहीं
3
प्राचीन और मध्यकालीन संगीत की रचना 'प्रबंध' के विभिन्न खंडों को 'धातु' कहा जाता था। उदग्रह (प्रारंभिक भाग), मेलापक (जोड़ने वाला भाग), और ध्रुव (स्थायी भाग) सभी प्रबंध के धातु थे। अतः 'उपर्युक्त में से एक से अधिक' सही है।
‘ध्रुव गीति’ का उल्लेख है—
A. बृहद्देशी में
B. नारदीय शिक्षा में
C. नाट्यशास्त्र में
D. उपर्युक्त में से एक से अधिक
E. उपर्युक्त में से कोई नहीं
2
भरत मुनि के 'नाट्यशास्त्र' में 'ध्रुवा गीति' का विस्तृत उल्लेख मिलता है। ये वे गीत थे जिनका प्रयोग नाटक के विभिन्न प्रसंगों जैसे पात्रों का प्रवेश, प्रस्थान, भाव परिवर्तन आदि में किया जाता था।
कौन सी संस्था विदेशों में भारतीय संगीत का आयोजन करती है?
A. ICHR
B. ICCR
C. ICSr
D. उपर्युक्त में से एक से अधिक
E. उपर्युक्त में से कोई नहीं
1
भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (Indian Council for Cultural Relations - ICCR) भारत सरकार की एक स्वायत्त संस्था है जो विदेशों में सांस्कृतिक कार्यक्रमों, जिनमें भारतीय संगीत और नृत्य शामिल हैं, के आयोजन के माध्यम से भारत की सांस्कृतिक कूटनीति का संचालन करती है।
मैहर घराने से कौन सम्बंधित है?
A. उस्ताद अली अकबर खाँ
B. पं. निखिल बनर्जी
C. पं. हरिप्रसाद चौरसिया
D. उपर्युक्त में से एक से अधिक
E. उपर्युक्त में से कोई नहीं
3
उस्ताद अली अकबर खाँ (उस्ताद अलाउद्दीन खान के पुत्र), पं. निखिल बनर्जी (उस्ताद अलाउद्दीन खान के शिष्य) और पं. हरिप्रसाद चौरसिया (उस्ताद अलाउद्दीन खान की पुत्री अन्नपूर्णा देवी के शिष्य) - ये सभी महान कलाकार मैहर घराने की संगीत परंपरा से जुड़े हैं।
उस्ताद चाँद खाँ का संबंध था—
A. दिल्ली घराना
B. जयपुर घराना
C. लखनऊ घराना
D. उपर्युक्त में से एक से अधिक
E. उपर्युक्त में से कोई नहीं
0
उस्ताद चाँद खाँ दिल्ली घराने के एक प्रतिष्ठित गायक थे। वह इस घराने के खलीफा (प्रमुख) भी रहे और उन्होंने कई शिष्यों को तालीम दी।
ठुमरी के लिए उपयुक्त ताल—
A. झपताल
B. दीपचंदी
C. एकताल
D. उपर्युक्त में से एक से अधिक
E. उपर्युक्त में से कोई नहीं
1
ठुमरी गायन के लिए दीपचंदी (14 मात्रा) और अद्धा ताल (16 मात्रा) सबसे उपयुक्त और पारंपरिक ताल माने जाते हैं। इनका धीमा और लहरदार चरित्र ठुमरी के भावात्मक पक्ष को उभारने में मदद करता है।
‘कलावन्त’ का मतलब है—
A. ध्रुपद गायक
B. ख्याल गायक
C. ठुमरी गायक
D. उपर्युक्त में से एक से अधिक
E. उपर्युक्त में से कोई नहीं
0
ऐतिहासिक रूप से, 'कलावन्त' शब्द का प्रयोग विशेष रूप से ध्रुपद शैली के उच्च कोटि के गायकों के लिए किया जाता था, जो अपनी कला में प्रवीण होते थे।
ग्वालियर घराने के संस्थापक हैं—
A. फैयाज खाँ
B. मियां शोरी
C. अब्दुल करीम खाँ
D. उपर्युक्त में से एक से अधिक
E. उपर्युक्त में से कोई नहीं
4
ग्वालियर घराने के संस्थापक नत्थन पीरबख्श और उनके पोते हद्दू खान, हस्सू खान और नत्थू खान माने जाते हैं। दिए गए विकल्पों में से कोई भी ग्वालियर घराने के संस्थापक नहीं हैं, इसलिए 'उपर्युक्त में से कोई नहीं' सही उत्तर है।
‘मूर्छना’ से हमें प्राप्त होता है—
A. राग
B. संगीत रचनाएँ
C. आलाप
D. उपर्युक्त में से एक से अधिक
E. उपर्युक्त में से कोई नहीं
0
प्राचीन संगीत में, 'मूर्छना' का अर्थ था सप्तक के किसी भी स्वर से क्रमानुसार आरोह-अवरोह करना। इस प्रक्रिया से विभिन्न प्रकार के स्केल (मेल) उत्पन्न होते थे, जो आधुनिक रागों के विकास का आधार बने।
भरतमुनि द्वारा प्रवर्तित ‘सारणा चतुष्टयी’ ने सिद्ध किया—
A. एक सप्तक में 22 श्रुतियाँ होती हैं
B. पहले सारणा में सा-मा संवाद रे-पा स्वर में देखा जाता था
C. सा-मा-पा स्वर में प्रत्येक के 4 श्रुति होती हैं
D. उपर्युक्त में से एक से अधिक
E. उपर्युक्त में से कोई नहीं
3
भरत मुनि का 'सारणा चतुष्टयी' प्रयोग एक महत्वपूर्ण प्रयोग था जिसने कई सिद्धांतों को सिद्ध किया। इसने यह स्थापित किया कि एक सप्तक में 22 श्रुतियाँ होती हैं, इसने स्वरों के बीच संवाद (consonance) को दर्शाया, और इसने स्वरों के श्रुति-अंतराल (जैसे सा, म, प में 4-4 श्रुतियाँ) को भी निर्धारित किया। अतः सभी कथन सही हैं।
अहोबल के अनुसार स्वरों की संख्या है—
A. 26
B. 14
C. 29
D. उपर्युक्त में से एक से अधिक
E. उपर्युक्त में से कोई नहीं
2
पंडित अहोबल ने अपने ग्रंथ 'संगीत पारिजात' में 7 शुद्ध और 22 विकृत स्वरों का उल्लेख किया है, जिससे कुल स्वरों की संख्या 29 हो जाती है।
मध्यम ग्राम में श्रुतियों का कौन सा क्रम पाया जाता है?
A. 4-3-2-4-4-3-2
B. 4-4-3-4-3-2-2
C. 4-3-2-4-3-4-2
D. उपर्युक्त में से एक से अधिक
E. उपर्युक्त में से कोई नहीं
2
प्राचीन संगीत में, मध्यम ग्राम में पंचम स्वर षड्ज ग्राम की तुलना में एक श्रुति नीचे होता था। इसका श्रुति-विभाजन क्रमशः सा(4)-रे(3)-ग(2)-म(4)-प(3)-ध(4)-नि(2) था।
निम्नलिखित में से कौन सा ‘नाद’ का गुण है?
A. तारता
B. तीव्रता
C. जाति या गुण
D. उपर्युक्त में से एक से अधिक
E. उपर्युक्त में से कोई नहीं
3
संगीत में उपयोगी ध्वनि 'नाद' के तीन मुख्य गुण होते हैं: तारता (Pitch - ध्वनि का ऊँचा या नीचा होना), तीव्रता (Intensity/Loudness - ध्वनि का धीमा या तेज होना), और जाति या गुण (Timbre - विभिन्न वाद्यों या आवाजों की ध्वनि में अंतर)। इसलिए सभी विकल्प सही हैं।
जिसने वीणा के तार पर स्वरों को लम्बाई के अनुसार स्थापित किया—
A. अहोबल
B. मतंगमुनि
C. शारंगदेव
D. उपर्युक्त में से एक से अधिक
E. उपर्युक्त में से कोई नहीं
0
पंडित अहोबल ने अपने ग्रंथ 'संगीत पारिजात' में पहली बार वीणा के तार की लंबाई के आधार पर स्वरों के सटीक स्थान को वैज्ञानिक रूप से स्थापित करने का प्रयास किया, जो भारतीय संगीत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण कदम था।
आंदोलित, हुम्फित और उल्लासित प्रकार हैं—
A. मूर्छना
B. गमक
C. अलंकार
D. उपर्युक्त में से एक से अधिक
E. उपर्युक्त में से कोई नहीं
1
आंदोलित, हुम्फित और उल्लासित, ये सभी 'गमक' के प्रकार हैं। गमक का अर्थ है स्वरों का कंपन या अलंकरण, जो भारतीय शास्त्रीय संगीत का एक अनिवार्य हिस्सा है।
अंश, ग्रह, तार और मन्द्र लक्षण हैं—
A. जाति गान
B. राग लक्षण
C. गंधर्व गान
D. उपर्युक्त में से एक से अधिक
E. उपर्युक्त में से कोई नहीं
0
अंश, ग्रह, न्यास, अपन्यास, तार, मंद्र आदि 'जाति गान' के दस लक्षण (दसविध लक्षण) हैं, जिनका वर्णन भरत मुनि के नाट्यशास्त्र में मिलता है। यही लक्षण बाद में रागों के विकास का आधार बने।
काल, मार्ग, क्रिया और अंग प्रकार हैं—
A. राग लक्षण
B. जाति-गान के लक्षण
C. ताल के दस प्राण
D. उपर्युक्त में से एक से अधिक
E. उपर्युक्त में से कोई नहीं
2
काल, मार्ग, क्रिया, अंग, ग्रह, जाति, कला, लय, यति, और प्रस्तार - ये 'ताल के दस प्राण' कहलाते हैं, जो ताल की संरचना और विशेषताओं को परिभाषित करते हैं।
वैदिक काल में जमीन पर बने गड्ढे को चमड़े से ढक दिया जाता था और वह यंत्र कहा जाता था—
A. भूमि दुन्दुम्भी
B. बामा
C. पुष्कर
D. उपर्युक्त में से एक से अधिक
E. उपर्युक्त में से कोई नहीं
0
वैदिक काल में 'भूमि दुंदुभी' एक आदिम ताल वाद्य था, जिसे जमीन में गड्ढा खोदकर और उसे जानवर की खाल से ढककर बनाया जाता था। इसे यज्ञ जैसे अनुष्ठानों में बजाया जाता था।
वैदिक काल में ‘रज्जु’ का अर्थ है—
A. समूह गीत
B. समूह नृत्य
C. आर्केस्ट्रा
D. उपर्युक्त में से एक से अधिक
E. उपर्युक्त में से कोई नहीं
1
वैदिक साहित्य में 'रज्जु' शब्द का प्रयोग संभवतः एक प्रकार के समूह नृत्य के संदर्भ में किया गया है, हालांकि इसकी सटीक व्याख्या पर विद्वानों में मतभेद है।
हिंदुस्तानी संगीत में ‘धीर-शंकराभरण’ को कहा जाता है—
A. बिलावल
B. भैरव
C. तोड़ी
D. उपर्युक्त में से एक से अधिक
E. उपर्युक्त में से कोई नहीं
0
कर्नाटक संगीत का 29वां मेलकर्ता राग 'धीर-शंकराभरण' है, जिसमें सभी स्वर शुद्ध होते हैं। यह हिंदुस्तानी संगीत के 'बिलावल' थाट के समकक्ष है।
ठुमरी गायन शैली की ‘रानी’ किसे माना जाता है?
A. बेगम अख्तर
B. गिरिजा देवी
C. सविता देवी
D. उपर्युक्त में से एक से अधिक
E. उपर्युक्त में से कोई नहीं
1
बनारस घराने की महान गायिका गिरिजा देवी को उनकी ठुमरी गायकी में असाधारण महारत और भावात्मक प्रस्तुति के लिए 'ठुमरी की रानी' (Queen of Thumri) के रूप में जाना जाता है।
कौन सा राग ‘संधि-प्रकाश’ राग है?
A. मियां की मल्हार
B. कामोद
C. देसी
D. उपर्युक्त में से एक से अधिक
E. उपर्युक्त में से कोई नहीं
4
संधि-प्रकाश राग वे राग होते हैं जो सूर्योदय और सूर्यास्त के समय गाए जाते हैं। इनमें कोमल ऋषभ और कोमल धैवत का प्रयोग होता है (जैसे भैरव, पूर्वी, मारवा)। दिए गए विकल्पों में से कोई भी राग इस श्रेणी में नहीं आता है, इसलिए 'उपर्युक्त में से कोई नहीं' सही है।
किस राग का शुद्ध रूप ‘सारंग-अंग’ नहीं है?
A. शुद्ध सारंग
B. वृंदावनी सारंग
C. मदमाद सारंग
D. उपर्युक्त में से एक से अधिक
E. उपर्युक्त में से कोई नहीं
0
यह एक तकनीकी प्रश्न है। वृंदावनी सारंग और मदमाद सारंग को सारंग अंग का विशिष्ट प्रतिनिधि माना जाता है। 'शुद्ध सारंग' में तीव्र मध्यम का प्रयोग इसे एक अलग चरित्र देता है और कुछ विद्वान इसे सारंग के सबसे शुद्ध रूप के बजाय एक विशिष्ट रूप मानते हैं जिसमें अन्य रागों का प्रभाव भी है।
‘राग तरंगिणी’ के रचयिता—
A. नारद
B. मकरंद
C. मतंग मुनि
D. उपर्युक्त में से एक से अधिक
E. उपर्युक्त में से कोई नहीं
4
'राग तरंगिणी' ग्रंथ के लेखक लोचन कवि हैं। चूंकि उनका नाम विकल्पों में नहीं है, इसलिए 'उपर्युक्त में से कोई नहीं' सही उत्तर है।
यदि थाट-भैरव में शुद्ध मध्यम को तीव्र मध्यम से बदल दिया जाए तो कौन सा थाट मिलेगा?
A. तोड़ी
B. पूर्वी
C. मारवा
D. उपर्युक्त में से एक से अधिक
E. उपर्युक्त में से कोई नहीं
1
भैरव थाट के स्वर हैं - सा रे(k) ग म प ध(k) नि। यदि इसमें शुद्ध म के स्थान पर तीव्र म (M) का प्रयोग किया जाए तो स्वर होंगे - सा रे(k) ग म' प ध(k) नि, जो कि 'पूर्वी' थाट के स्वर हैं।
राग का कौन सा युग्म ‘साम्प्रकृतिक’ राग का है?
A. भैरव–भैरवी
B. धनश्री–पूरियाधनाश्री
C. भोपाली–देशकर
D. उपर्युक्त में से एक से अधिक
E. उपर्युक्त में से कोई नहीं
2
साम्प्रकृतिक राग वे होते हैं जिनके स्वर समान होते हैं लेकिन वादी-संवादी और चलन भिन्न होने के कारण उनका स्वरूप अलग होता है। भोपाली और देशकर दोनों में सा रे ग प ध स्वर लगते हैं, लेकिन उनका चलन और रागांग अलग-अलग है, जो उन्हें साम्प्रकृतिक राग का उत्कृष्ट उदाहरण बनाता है।
‘प–रे’ स्वर-संगति में शामिल हैं—
A. कान्हड़ा रागांग
B. कल्याण रागांग
C. मल्हार रागांग
D. उपर्युक्त में से एक से अधिक
E. उपर्युक्त में से कोई नहीं
1
'प-रे' की स्वर संगति कल्याण रागांग की एक विशिष्ट पहचान है, खासकर जब यह गंधार के साथ प्रयोग की जाती है (जैसे ग म' प, रे)। यह संगति कल्याण थाट के कई रागों में प्रमुखता से सुनाई देती है।
मसीतखानी गत के सही बोल हैं—
A. दिर दिर दा दिर दा रा दा रा
B. दिर दा दिर दा रा दा रा दा
C. दिर दा दिर दा रा दा दा रा
D. उपर्युक्त में से एक से अधिक
E. उपर्युक्त में से कोई नहीं
2
मसीतखानी गत (विलंबित गत) का पारंपरिक और सबसे प्रसिद्ध ठेका 'दिर दा दिर दा रा दा दा रा' है। यह 16 मात्रा की तीनताल में बजाया जाता है और 12वीं मात्रा से शुरू होता है।
जिस राग में ‘म–नि_’ की स्वर-संगति प्रमुख है—
A. बहार
B. बिलावल
C. शंकर
D. उपर्युक्त में से एक से अधिक
E. उपर्युक्त में से कोई नहीं
0
'म-नि_' की मींडयुक्त संगति राग बहार और मल्हार अंग के रागों की एक विशिष्ट पहचान है, जो वसंत और वर्षा ऋतु का वातावरण बनाती है।
इस राग में ‘ग’ और ‘ध’ स्वरों का आन्दोलन महत्वपूर्ण है—
A. काफ़ी
B. दरबारी
C. जौनपुरी
D. उपर्युक्त में से एक से अधिक
E. उपर्युक्त में से कोई नहीं
1
राग दरबारी कान्हड़ा की आत्मा उसके कोमल गंधार (ग) और कोमल धैवत (ध) स्वरों पर किए जाने वाले अति-विलंबित और गंभीर आंदोलन (oscillations) में बसती है। यह इस राग की सबसे बड़ी पहचान है।
‘ध नि सा, म ध नि ध ग॒ म म प, ध, ग म रे सा’ किस राग का स्वर है?
A. बागेश्री
B. भीमपलासी
C. काफ़ी
D. उपर्युक्त में से एक से अधिक
E. उपर्युक्त में से कोई नहीं
0
यह स्वर-समूह राग बागेश्री का एक विशिष्ट पकड़ है। यह उसके करुण और श्रृंगारिक भाव को स्पष्ट करता है।
स्टाफ-नोटेशन में 4 श्रुतियों के अंतराल को कहा जाता है—
A. माइनर स्वर
B. मेजर स्वर
C. सेमी स्वर
D. उपर्युक्त में से एक से अधिक
E. उपर्युक्त में से कोई नहीं
1
भारतीय संगीत में 4 श्रुतियों का अंतराल लगभग पश्चिमी संगीत के 'मेजर टोन' (Major Tone) या मेजर स्वर के बराबर होता है, जैसे सा और रे के बीच का अंतराल।
निम्नलिखित में से कौन सितार वादक हैं?
A. हलीम जाफ़र खाँ
B. शाहिद परवेज
C. बुद्धादित्य मुखर्जी
D. उपर्युक्त में से एक से अधिक
E. उपर्युक्त में से कोई नहीं
3
हलीम जाफ़र खाँ, उस्ताद शाहिद परवेज, और पंडित बुद्धादित्य मुखर्जी, तीनों ही अपने-अपने अनूठे अंदाज के लिए प्रसिद्ध, विश्व स्तरीय सितार वादक हैं।
सूलताल और झपताल में क्या समानता है?
A. दोनों के बोल एक जैसे हैं
B. दोनों में 10 मात्राएँ हैं
C. दोनों का प्रयोग ख्याल गायन के लिए किया जाता है
D. उपर्युक्त में से एक से अधिक
E. उपर्युक्त में से कोई नहीं
1
सूलताल और झपताल दोनों ही 10 मात्रा के ताल हैं। हालांकि, उनके विभाग (divisions) और बोल अलग-अलग हैं। सूलताल का प्रयोग ध्रुपद के साथ होता है जबकि झपताल का प्रयोग ख्याल के साथ होता है।
वैदिक काल में किस प्रकार की वीणा का प्रयोग किया जाता था?
A. भामरी
B. कच्छपी
C. वल्लकी
D. उपर्युक्त में से एक से अधिक
E. उपर्युक्त में से कोई नहीं
2
वैदिक और उत्तर-वैदिक साहित्य में 'वल्लकी' नामक वीणा का उल्लेख मिलता है, जो एक प्रकार की हार्प (Harp) जैसी वीणा थी।
बिहार का प्रमुख लोक नृत्य है—
A. गिद्धा
B. जट-जटीन
C. नाटी
D. उपर्युक्त में से एक से अधिक
E. उपर्युक्त में से कोई नहीं
1
जट-जटीन बिहार के मिथिला क्षेत्र का एक बहुत लोकप्रिय लोक नृत्य है, जिसे युगल रूप में प्रस्तुत किया जाता है। गिद्धा पंजाब का और नाटी हिमाचल प्रदेश का लोक नृत्य है।
‘कथक’ शब्द की उत्पत्ति हुई है—
A. कहानीकार नृत्य
B. भावनात्मक नृत्य
C. मुद्रा नृत्य
D. उपर्युक्त में से एक से अधिक
E. उपर्युक्त में से कोई नहीं
0
'कथक' शब्द संस्कृत के 'कथा' शब्द से बना है, जिसका अर्थ है 'कहानी'। प्राचीन काल में 'कथक' वे लोग थे जो मंदिरों में पौराणिक कथाओं को नृत्य और अभिनय के माध्यम से प्रस्तुत करते थे, इसलिए यह मूल रूप से एक कहानीकार नृत्य है।
इस राग में ‘म’ (शुद्ध और तीव्र) दोनों का प्रयोग होता है—
A. जौनपुरी
B. ललित
C. अलहैया बिलावल
D. उपर्युक्त में से एक से अधिक
E. उपर्युक्त में से कोई नहीं
1
राग ललित एक प्रभातकालीन (सुबह का) राग है जिसमें शुद्ध मध्यम (म) और तीव्र मध्यम (M) दोनों का प्रयोग किया जाता है। यह इस राग की एक विशिष्ट पहचान है।
कौन सा राग ‘काफी’ थाट का है?
A. मेघ
B. नायकी कान्हरा
C. मियां की मल्हार
D. उपर्युक्त में से एक से अधिक
E. उपर्युक्त में से कोई नहीं
3
मेघ, नायकी कान्हड़ा, और मियां की मल्हार, ये तीनों ही राग काफी थाट (जिसमें ग और नि कोमल होते हैं) से उत्पन्न हुए हैं। अतः 'उपर्युक्त में से एक से अधिक' सही है।
जिस राग में स्वर तो भैरवी के समान होते हैं, परंतु रागांग भिन्न-भिन्न होते हैं—
A. किरवानी
B. भोपाल तोड़ी
C. बिलासखानी तोड़ी
D. उपर्युक्त में से एक से अधिक
E. उपर्युक्त में से कोई नहीं
2
बिलासखानी तोड़ी एक बहुत ही अनोखा राग है जिसमें स्वर भैरवी थाट के (रे, ग, ध, नि सभी कोमल) लगते हैं, लेकिन इसका चलन, पकड़ और भाव तोड़ी रागांग का होता है, जिससे यह भैरवी से बिल्कुल अलग सुनाई देता है।
कौन सा राग ‘संकिर्ण’ राग के नाम से जाना जाता है?
A. भटियार
B. नंद
C. अहीर भैरव
D. उपर्युक्त में से एक से अधिक
E. उपर्युक्त में से कोई नहीं
3
संकिर्ण राग वह होता है जिसमें दो या दो से अधिक रागों का मिश्रण हो। भटियार (मारवा + अन्य), नंद (कल्याण + बिलावल), और अहीर भैरव (भैरव + काफी) - ये सभी राग अपनी संरचना में मिश्रण का गुण रखते हैं, इसलिए इन्हें संकिर्ण रागों की श्रेणी में रखा जा सकता है।
कथक नृत्य की ‘ठुमरी’ शैली किससे संबंधित है?
A. तेजी से पैरों का काम
B. हाथ की हरकतें
C. भावनात्मक गीतों के साथ एक शैली
D. उपर्युक्त में से एक से अधिक
E. उपर्युक्त में से कोई नहीं
3
जब कथक में ठुमरी पर नृत्य किया जाता है, तो जोर शुद्ध नृत्य के साथ अभिनय और भाव-प्रदर्शन पर भी जाता है। इसमें नर्तक ठुमरी के भावनात्मक गीतों के बोलों पर चेहरे के भावों और शरीर की मुद्राओं से भी अभिनय करता है।
विलम्बित ख्याल गायन के लिए कौन सा ताल उपयुक्त है?
A. एकताल
B. तिलवाड़ा
C. झूमरा
D. उपर्युक्त में से एक से अधिक
E. उपर्युक्त में से कोई नहीं
3
विलम्बित (धीमी गति) ख्याल या 'बड़ा ख्याल' के साथ एकताल (12 मात्रा), तिलवाड़ा (16 मात्रा), और झूमरा (14 मात्रा) तीनों ही ताल बहुत उपयुक्त माने जाते हैं और इनका व्यापक रूप से प्रयोग किया जाता है।
‘पंचम सवारी’ ताल में मात्राएँ हैं—
A. 14 मात्राएँ
B. 15 मात्राएँ
C. 16 मात्राएँ
D. उपर्युक्त में से एक से अधिक
E. उपर्युक्त में से कोई नहीं
1
'पंचम सवारी' ताल 15 मात्राओं का एक ताल है। यह एक अप्रचलित लेकिन सुंदर ताल है जिसका प्रयोग कभी-कभी ठुमरी और वाद्य संगीत में किया जाता है।
‘लग्गी-लड़ी’ प्रयोग की जाती है—
A. ध्रुपद
B. ख्याल
C. ठुमरी
D. उपर्युक्त में से एक से अधिक
E. उपर्युक्त में से कोई नहीं
2
'लग्गी-लड़ी' तबले पर बजाई जाने वाली एक द्रुत गति की लयकारी है जिसका प्रयोग अक्सर उप-शास्त्रीय संगीत जैसे ठुमरी, दादरा और कजरी के अंत में गति बढ़ाने और श्रोताओं में उत्साह भरने के लिए किया जाता है।
बिहार का लोकगीत कौन सा है?
A. बिरहा गीत
B. लावणी
C. हीर
D. उपर्युक्त में से एक से अधिक
E. उपर्युक्त में से कोई नहीं
0
बिरहा भोजपुरी भाषी क्षेत्रों का एक प्रमुख लोकगीत है, जो पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार में बहुत लोकप्रिय है। इसमें विरह और अन्य सामाजिक विषयों पर गीत गाए जाते हैं। लावणी महाराष्ट्र का और हीर पंजाब का लोकगीत है।
मैथिली लोक-संगीत में जड़ें रखने वाले बिहार के प्रमुख लोक गायक को पहचानें—
A. हंसराज हंस
B. उदित नारायण
C. कृष्ण राव सेबल
D. उपर्युक्त में से एक से अधिक
E. उपर्युक्त में से कोई नहीं
1
प्रसिद्ध पार्श्व गायक उदित नारायण बिहार के मिथिला क्षेत्र से आते हैं। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत मैथिली लोक गीतों से की थी और बाद में बॉलीवुड में अपार सफलता हासिल की।
बिहार के लोक नृत्य को पहचानें—
A. बिदेसिया
B. झिंझिया
C. झूमैर
D. उपर्युक्त में से एक से अधिक
E. उपर्युक्त में से कोई नहीं
3
बिदेसिया (भिखारी ठाकुर द्वारा लोकप्रिय), झिंझिया (मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा किया जाने वाला), और झूमैर - ये सभी बिहार के विभिन्न क्षेत्रों में प्रचलित प्रसिद्ध लोक नृत्य हैं। अतः 'उपर्युक्त में से एक से अधिक' सही है।
‘बैजू बावरा’ का लोकप्रिय फिल्मी गीत “मन तरपत हरि दर्शन को आज” राग पर आधारित है—
A. मालकौंस
B. भोपाली
C. दुर्गा
D. उपर्युक्त में से एक से अधिक
E. उपर्युक्त में से कोई नहीं
0
1952 की फिल्म 'बैजू बावरा' का यह प्रसिद्ध भजन, जिसे मोहम्मद रफी ने गाया था, राग मालकौंस पर आधारित है। यह मालकौंस के सबसे लोकप्रिय फिल्मी उदाहरणों में से एक है।
विश्व प्रसिद्ध कलाकार और ग्रैमी पुरस्कार पाने वाले पहले भारतीय—
A. उस्ताद विलायत ख़ान
B. पं. रविशंकर
C. उस्ताद बिस्मिल्लाह ख़ान
D. उपर्युक्त में से एक से अधिक
E. उपर्युक्त में से कोई नहीं
1
सितार वादक पंडित रविशंकर 1968 में ग्रैमी पुरस्कार जीतने वाले पहले भारतीय थे। उन्हें यह पुरस्कार उनके एल्बम 'वेस्ट मीट्स ईस्ट' के लिए मिला था।
लोकप्रिय फिल्म गीत “बहारों फूल बरसाओ” राग पर आधारित है—
A. शिवरंजनी
B. दरबारी
C. बिलावल
D. उपर्युक्त में से एक से अधिक
E. उपर्युक्त में से कोई नहीं
0
फिल्म 'सूरज' का यह प्रसिद्ध गीत, जिसे मोहम्मद रफी ने गाया है, राग शिवरंजनी पर आधारित है। यह राग करुण और श्रृंगार रस के लिए जाना जाता है।
किस वाद्य यंत्र में तारों की संख्या सबसे अधिक है?
A. गिटार
B. सितार
C. वायलिन
D. उपर्युक्त में से एक से अधिक
E. उपर्युक्त में से कोई नहीं
1
दिए गए विकल्पों में से, सितार में सबसे अधिक तार होते हैं। एक मानक सितार में 6-7 मुख्य बजाने वाले तार और 11-13 तरब (sympathetic) के तार होते हैं, जिससे कुल संख्या 17 से 20 तक हो जाती है, जबकि गिटार में 6 और वायलिन में 4 तार होते हैं।
किस वाद्य को ‘घन वाद्य’ माना जाता है?
A. सारंगी
B. सुरबहार
C. शहनाई
D. उपर्युक्त में से एक से अधिक
E. उपर्युक्त में से कोई नहीं
4
'घन वाद्य' वे वाद्य होते हैं जो ठोस धातु या लकड़ी से बने होते हैं और जिन्हें टकराकर ध्वनि उत्पन्न की जाती है (जैसे मंजीरा, करताल, जल तरंग)। दिए गए विकल्प - सारंगी (तार वाद्य), सुरबहार (तार वाद्य), और शहनाई (सुषिर वाद्य) - इस श्रेणी में नहीं आते हैं। अतः 'उपर्युक्त में से कोई नहीं' सही है।
समूह गायन में सबसे महत्वपूर्ण क्या है?
A. राग
B. तादात्म्य
C. लयकारी
D. उपर्युक्त में से एक से अधिक
E. उपर्युक्त में से कोई नहीं
1
समूह गायन (Choral singing) में सबसे महत्वपूर्ण तत्व 'तादात्म्य' या सामंजस्य (blending/unison) है। इसका अर्थ है कि सभी गायक एक साथ, एक सुर और एक लय में गाएं ताकि एक एकीकृत और मधुर ध्वनि उत्पन्न हो।
बनारस घराने के तबला वादक जिन्हें 2002 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया—
A. पं. किशन महाराज
B. कंठे महाराज
C. अनोखे लाल
D. उपर्युक्त में से एक से अधिक
E. उपर्युक्त में से कोई नहीं
0
बनारस घराने के महान तबला वादक पंडित किशन महाराज को संगीत में उनके अपार योगदान के लिए वर्ष 2002 में भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'पद्म विभूषण' से सम्मानित किया गया था।
दिल्ली के तबला घराने के संस्थापक—
A. सिद्धार ख़ान
B. कल्लू ख़ान
C. राम सहाय
D. उपर्युक्त में से एक से अधिक
E. उपर्युक्त में से कोई नहीं
0
उस्ताद सिद्धार खान धारी को तबले के दिल्ली घराने का संस्थापक माना जाता है। माना जाता है कि उन्होंने 18वीं शताब्दी में इस घराने की नींव रखी थी, जो तबले का सबसे पुराना घराना है।
यदि मध्य सप्तक के ‘सा’ की आवृत्ति 240 है, तो मध्य सप्तक की ‘मा’ की आवृत्ति क्या होगी?
A. 360
B. 300
C. 320
D. उपर्युक्त में से एक से अधिक
E. उपर्युक्त में से कोई नहीं
2
भारतीय शास्त्रीय संगीत के अनुसार, शुद्ध मध्यम (मा) और षड्ज (सा) की आवृत्ति का अनुपात 4:3 होता है। इसलिए, यदि सा की आवृत्ति 240 Hz है, तो मा की आवृत्ति होगी (240 * 4/3) = 80 * 4 = 320 Hz।
\u0935\u093E\u0939! \u0906\u092A\u0928\u0947 \u0915\u092E\u093E\u0932 \u0915\u0930 \u0926\u093F\u092F\u093E!
\u092C\u0939\u0941\u0924 \u092C\u0922\u093C\u093F\u092F\u093E! \u0925\u094B\u0921\u093C\u093E \u0914\u0930 \u092E\u0947\u0939\u0928\u0924 \u0906\u092A\u0915\u094B \u0938\u0930\u094D\u0935\u0936\u094D\u0920 \u092C\u0928\u093E \u0938\u0915\u0924\u093E \u0939\u0948!
\u092C\u0939\u0941\u0924 \u0916\u093C\u0930\u093E\u092C \u092A\u0930\u092B\u0949\u0930\u092E\u0947\u0902\u0938! \u0925\u094B\u0921\u093C\u093E \u0914\u0930 \u091F\u094D\u0930\u093E\u0908 \u0915\u0930\u094B!
\u0915\u094B\u0908 \u092C\u093E\u0924 \u0928\u0939\u0940\u0902! \u0926\u094B\u092C\u093E\u0930\u093E \u0915\u094B\u0936\u093F\u0936 \u0915\u0930\u094B \uD83D\uDE0A
\u0938\u093E\u092E\u093E\u0928\u094D\u092F \u091C\u094D\u091E\u093E\u0928 \u0914\u0930 \u0917\u0923\u093F\u0924 \u0915\u094D\u0935\u093F\u091C\u093C
\u092A\u093F\u091B\u0932\u093E
\u0905\u0917\u0932\u093E
\u0938\u092E\u093E\u092A\u094D\u0924
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\u0938\u0939\u0940 \u0909\u0924\u094D\u0924\u0930
\u0917\u0932\u0924 \u0909\u0924\u094D\u0924\u0930
\u0938\u092E\u092F \u0932\u0917\u093E
\u0909\u0924\u094D\u0924\u0930 \u0938\u092E\u0940\u0915\u094D\u0937\u093E \u0926\u0947\u0916\u0947\u0902
\u0938\u092E\u0940\u0915\u094D\u0937\u093E \u091B\u093F\u092A\u093E\u090F\u0902
\u0909\u0924\u094D\u0924\u0930 \u0938\u092E\u0940\u0915\u094D\u0937\u093E \u0938\u0942\u091A\u0940
\u092A\u094D\u0930\u092E\u093E\u0923 \u092A\u0924\u094D\u0930 \u0926\u0947\u0916\u0947\u0902
\u092A\u0941\u0928\u0903 \u0936\u0941\u0930\u0942 \u0915\u0930\u0947\u0902
\u0915\u094D\u0935\u093F\u091C\u093C \u092A\u0942\u0930\u094D\u0923!
\u092A\u094D\u0930\u092E\u093E\u0923 \u092A\u0924\u094D\u0930
\u0938\u092B\u0932\u0924\u093E\u092A\u0942\u0930\u094D\u0935\u0915 \u092A\u0942\u0930\u094D\u0923 \u0915\u0930\u0928\u0947 \u0915\u0947 \u0932\u093F\u090F
\u0938\u0924\u094D\u092F\u093E\u092A\u093F\u0924 \u092A\u094D\u0930\u092E\u093E\u0923 \u092A\u0924\u094D\u0930
\u0938\u094D\u0915\u094B\u0930
\u0915\u0941\u0932 \u092A\u094D\u0930\u0936\u094D\u0928
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\u0932\u093F\u092F\u093E \u0917\u092F\u093E \u0938\u092E\u092F
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\u0938\u0939\u0940!
\u0917\u0932\u0924!
\u0906\u092A\u0915\u093E \u0909\u0924\u094D\u0924\u0930:
\u0909\u0924\u094D\u0924\u0930 \u0928\u0939\u0940\u0902 \u0926\u093F\u092F\u093E \u0917\u092F\u093E
\u0938\u0939\u0940 \u0909\u0924\u094D\u0924\u0930:
\u0938\u094D\u092A\u0937\u094D\u091F\u0940\u0915\u0930\u0923:
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\u092A\u094D\u0930\u0936\u094D\u0928
/
\u0905\u0938\u092B\u0932 (FAIL)
\u0909\u0924\u094D\u0924\u0940\u0930\u094D\u0923 (PASS)
\u0936\u094D\u0930\u0947\u0937\u094D\u0920 (TOP)
\u0938\u0930\u094D\u0935\u0936\u094D\u0930\u0947\u0937\u094D\u0920 (TOPPER)
✓ \u0938\u0924\u094D\u092F\u093E\u092A\u093F\u0924
\u0917\u094D\u0930\u0947\u0921\u093F\u0902\u0917 \u092E\u093E\u0928\u0926\u0902\u0921
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\u0936\u094D\u0930\u0947\u0937\u094D\u0920 (TOP)
\u0938\u092B\u0932 (PASS)
\u0905\u0938\u092B\u0932 (FAIL)